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सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा में कटौती पर कांग्रेस ने उठाए सवाल - वीआईपी सुरक्षा के प्रकार

छिंदवाड़ा सांसद नुकलनाथ की सुरक्षा को Y+ से घटाकर X श्रेणी की करने पर कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि, बीजेपी भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है.

MP Nakul Nath and former Chief Minister Kamal Nath
सांसद नकुल नाथ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ
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Published : Jun 18, 2020, 3:59 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे व प्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा को घटाने पर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि, राज्य की बीजेपी सरकार सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा घटाने के कारण स्पष्ट करे. प्रदेश में कितने लोगों को Y+ सुरक्षा प्रदान जा रही है, उनके पद और नाम सार्वजनिक करें. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि, ये दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस ने कभी ऐसी हरकत नहीं की है. लेकिन ये लोग हर मामले में भेदभाव पूर्ण नीति अपनाते आए हैं. ये बीजेपी की बेसिक पॉलिसी रही है.

पीसी शर्मा ने बीजेपी पर साधा निशाना
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने प्रदेश के इकलौते कांग्रेस सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा व्यवस्था को Y+ से घटाकर X श्रेणी की करने पर विरोध जताया है. उनका आरोप है कि, कोरोना महामारी में भी बीजेपी प्रदेश की जनता को भगवान भरोसे छोड़ राजनीति कर रही है, निरंतर राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित कार्रवाई कर रही है. सलूजा ने कहा कि, बीजेपी सरकार प्रदेश में दुर्भावना से प्रेरित फैसलों से एक गलत परंपरा को जन्म दे रही है.

नरेंद्र सलूजा ने बीजेपी सरकार से जयभान सिंह पवैया को लॉकडाउन में Y+ श्रेणी की सुरक्षा देने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि, प्रदेश सरकार बताए कि, प्रदेश में कितने लोगों को Y+ श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की जा रही है ? उसकी सूची सार्वजनिक हो. उसमें से कितने वर्तमान में मंत्री , विधायक या सांसद हैं या जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं. ये भी सार्वजनिक किया जाए.

वीआईपी के सिक्योरिटी लेवल को लेकर कौन लेता है फैसला

देशभर के वीआईपी के सिक्योरिटी लेवल को लेकर एक कमेटी फैसला करती है. इस कमेटी में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, गृह सचिव और गृहमंत्री होते हैं. हालांकि कई मौकों पर इसमें राज्य सरकार की सिफारिश भी काम करती हैं. राज्य सरकार किसी वीआईपी की सुरक्षा घटाने या बढ़ाने की सिफारिश कर सकती है.

X स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

X स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में महज 2 सुरक्षाकर्मी होते हैं. ये सुरक्षा दिए जाने की बेसिक प्रोटेक्शन है. इसमें एक पीएसओ (पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर) भी होता है.

Y स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

Y स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में देश के वो वीआईपी आते हैं, जिनको इसके तहत 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं. इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 पीएसओ शामिल होते हैं.

Z कैटेगरी सुरक्षा

Z कैटेगरी स्तर की सुरक्षा में 22 सुरक्षाकर्मी होते हैं. जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के 4 या 5 कमांडो भी होते हैं. अतिरिक्त सुरक्षा पुलिस या सीआरपीएफ की ओर से मुहैया कराई जाती है. सुरक्षा में एक एस्कॉर्ट कार भी शामिल होती है. कमांडो सब मशीनगन और आधुनिक संचार के साधनों से लैस रहते हैं. इसके अलावा इन्हें मार्शल ऑर्ट से प्रशिक्षित किया जाता है. इनके पास बगैर हथियारों के लड़ने का भी अनुभव होता है.

Z + स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

Z+ कैटेगरी सुरक्षा में एक-दो नहीं बल्कि 36 सुरक्षाकर्मी लगे होते हैं. जिसमें एनएसजी के 10 कमांडो होते हैं. इस सुरक्षा व्यवस्था को दूसरी एसपीजी कैटेगरी भी कहा जाता है. ये कमांडोज अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं. उनके पास लेटेस्ट गैजेट्स और यंत्र होते हैं. सुरक्षा के पहले घेरे की जिम्मेदारी एनएसजी की होती है, इसके बाद दूसरे स्तर पर एसपीजी के अधिकारी होते हैं. साथ ही आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान उनकी सुरक्षा में लगाए जाते हैं.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे व प्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा को घटाने पर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि, राज्य की बीजेपी सरकार सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा घटाने के कारण स्पष्ट करे. प्रदेश में कितने लोगों को Y+ सुरक्षा प्रदान जा रही है, उनके पद और नाम सार्वजनिक करें. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि, ये दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस ने कभी ऐसी हरकत नहीं की है. लेकिन ये लोग हर मामले में भेदभाव पूर्ण नीति अपनाते आए हैं. ये बीजेपी की बेसिक पॉलिसी रही है.

पीसी शर्मा ने बीजेपी पर साधा निशाना
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने प्रदेश के इकलौते कांग्रेस सांसद नकुलनाथ की सुरक्षा व्यवस्था को Y+ से घटाकर X श्रेणी की करने पर विरोध जताया है. उनका आरोप है कि, कोरोना महामारी में भी बीजेपी प्रदेश की जनता को भगवान भरोसे छोड़ राजनीति कर रही है, निरंतर राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित कार्रवाई कर रही है. सलूजा ने कहा कि, बीजेपी सरकार प्रदेश में दुर्भावना से प्रेरित फैसलों से एक गलत परंपरा को जन्म दे रही है.

नरेंद्र सलूजा ने बीजेपी सरकार से जयभान सिंह पवैया को लॉकडाउन में Y+ श्रेणी की सुरक्षा देने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि, प्रदेश सरकार बताए कि, प्रदेश में कितने लोगों को Y+ श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की जा रही है ? उसकी सूची सार्वजनिक हो. उसमें से कितने वर्तमान में मंत्री , विधायक या सांसद हैं या जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं. ये भी सार्वजनिक किया जाए.

वीआईपी के सिक्योरिटी लेवल को लेकर कौन लेता है फैसला

देशभर के वीआईपी के सिक्योरिटी लेवल को लेकर एक कमेटी फैसला करती है. इस कमेटी में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, गृह सचिव और गृहमंत्री होते हैं. हालांकि कई मौकों पर इसमें राज्य सरकार की सिफारिश भी काम करती हैं. राज्य सरकार किसी वीआईपी की सुरक्षा घटाने या बढ़ाने की सिफारिश कर सकती है.

X स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

X स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में महज 2 सुरक्षाकर्मी होते हैं. ये सुरक्षा दिए जाने की बेसिक प्रोटेक्शन है. इसमें एक पीएसओ (पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर) भी होता है.

Y स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

Y स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में देश के वो वीआईपी आते हैं, जिनको इसके तहत 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं. इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 पीएसओ शामिल होते हैं.

Z कैटेगरी सुरक्षा

Z कैटेगरी स्तर की सुरक्षा में 22 सुरक्षाकर्मी होते हैं. जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के 4 या 5 कमांडो भी होते हैं. अतिरिक्त सुरक्षा पुलिस या सीआरपीएफ की ओर से मुहैया कराई जाती है. सुरक्षा में एक एस्कॉर्ट कार भी शामिल होती है. कमांडो सब मशीनगन और आधुनिक संचार के साधनों से लैस रहते हैं. इसके अलावा इन्हें मार्शल ऑर्ट से प्रशिक्षित किया जाता है. इनके पास बगैर हथियारों के लड़ने का भी अनुभव होता है.

Z + स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

Z+ कैटेगरी सुरक्षा में एक-दो नहीं बल्कि 36 सुरक्षाकर्मी लगे होते हैं. जिसमें एनएसजी के 10 कमांडो होते हैं. इस सुरक्षा व्यवस्था को दूसरी एसपीजी कैटेगरी भी कहा जाता है. ये कमांडोज अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं. उनके पास लेटेस्ट गैजेट्स और यंत्र होते हैं. सुरक्षा के पहले घेरे की जिम्मेदारी एनएसजी की होती है, इसके बाद दूसरे स्तर पर एसपीजी के अधिकारी होते हैं. साथ ही आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान उनकी सुरक्षा में लगाए जाते हैं.

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