भोपाल। कोरोना संक्रमण के इलाज में दी जाने वाली प्लाज्मा थेरेपी को लेकर अब भी संशय बना हुआ है कि क्या यह वाकई में कारगर है या नहीं. हालांकि कई संक्रमितों के मामले में प्लाजमा थेरेपी कारगर साबित हुई है, पर सिर्फ यह कहना कि मुश्किल है कि इसी थेरेपी से ही मरीज ठीक हुआ, क्योंकि इस इलाज के साथ कई अन्य दवाएं भी मरीजों को दी जाती हैं. प्लाज्मा थेरेपी चाहे सफल हो या नहीं, पर अब भी इससे इलाज जारी है. कोरोना वायरस के ऐसे मरीज जिन्हें कोरोना संक्रमण के गंभीर से कम लक्षण हों या फिर जिनकी स्थिति सीरियस हो, इन दोनों ही मामलों में मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देकर उनकी जान बचाने की कोशिश की जाती है. अक्सर देखा गया है कि कई मामलों में ये थेरेपी असरदार साबित होती है, लेकिन कई बार इसके परिणाम सकारात्मक नहीं मिलते.
किन मामलों में है फायदेमंद
जिन मामलों में मरीज को प्लाज्मा देने के बाद रिकवर हुए हैं, उनके शरीर के अंगों को काफी नुकसान भी होता है. खासतौर पर फेफड़ों में. इसलिए ऐसे मामलों में पोस्ट कोविड केयर बहुत ज्यादा जरूरी होती है. प्लाज्मा थेरेपी किन मामलों में फायदेमंद होती है, इस बारे में डॉक्टर लोकेंद्र दवे ने बताया कि प्लाज्मा शुरुआती स्टेज में दिया जाए तो थोड़ा बहुत मरीज को इससे फायदा होता है. लेकिन यदि आंकलन करें तो बहुत ज्यादा कोई फायदा नहीं है. यह बातें रिसर्च के माध्यम से सामने आई हैं. इसके बाद आईसीएमआर भी अब प्लाज्मा थेरेपी को बहुत ज्यादा रिकमेंड नहीं करता है. यदि शरीर के अंगों में बहुत ज्यादा नुकसान हो गया हो तो उस स्थिति में प्लाज्मा का बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिलता.
रिकवरी के बाद जरूरी है पोस्ट कोविड केयर
प्लाजमा थेरेपी के बाद जो मरीज ठीक हुए हैं, उन्हें अपना ख्याल कैसे रखना है इस बारे में डॉक्टर दवे कहते हैं कि रिकवरी के बाद हमें यह देखना है कि ठीक होने के बाद भी कोरोना वायरस का असर शरीर के किन अंगों पर सबसे ज्यादा पड़ा है. कुछ मरीजों में फेफड़ों की कमजोरी रहती है. कुछ मरीजों में हार्ट कमजोर हो जाता है. कुछ मामलों में लिवर कमजोर हो जाता है. अलग-अलग केस में कई तरह के असर मरीजों में देखने मिलते हैं, तो सबसे पहले हम इसकी पहचान करते हैं कि किस मरीज में क्या साइड इफेक्ट हैं. उनका टेस्ट करके समस्या का पता लगाते हैं और फिर उसके मुताबिक मरीज का इलाज किया जाता है. मरीज के खानपान, एक्सरसाइज का खास ख्याल रखना होता है. इसके साथ ही मरीज की काउंसलिंग भी की जाती है.
रिकवर हुए मरीजों ने किया जीवनशैली में बदलाव
प्लाजमा थेरेपी के जरिए कोरोना संक्रमण से निजात पाने वाली तानिया ने ईटीवी भारत से अपने अनुभव शेयर किया. वह बतातीं हैं कि मेरे खानपान में काफी बदलाव आया है. मैंने अब हेल्थी खाना, खाना शुरु कर दिया है. साथ ही अब एक्सरसाइज भी कर रही हैं. वहीं साइड इफेक्ट की बात की जाए तो मेरे बाल अब पहले से ज्यादा झड़ रहे हैं.
पूर्व महापौर आलोक संजर का ने बताए अपने अनुभव
कोरोना वायरस के इलाज में भोपाल के पूर्व महापौर आलोक संजर को भी प्लाज्मा दिया गया था. अब वे पूरी तरह से ठीक हैं. अपनी रिकवरी के बारे में आलोक संजर कहते हैं कि मुझे जब प्लाज्मा चढ़ाया गया तो उससे एक मोरल सपोर्ट मिला और लगा कि मैं अब ठीक हो जाऊंगा. हालांकि मुझे नहीं पता कि प्लाज्मा ने कितना काम किया पर मुझे इसका फायदा मिला. रिकवर होने के बाद मुझे डॉक्टर ने यही सलाह दी है कि मैं अपनी दिनचर्या में बदलाव करूं और समय पर खान-पान और दवाइयां लूं.
प्लाजमा डोनेशन के लिए आगे नहीं आते लोग
प्लाज्मा थेरेपी कारगर हो या नहीं पर अब भी यदि किसी कोरोना संक्रमित मरीज की स्थिति बिगड़ती है, तो परिजन प्लाज्मा थेरेपी पर जोर देते हैं. प्लाज्मा डोनेशन की बात की जाए तो लोग डोनेट करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता श्रे अग्रवाल जो प्लाज्मा का प्रबंध कराने में लोगों की मदद करते हैं, वे इस बारे में बताते हैं कि जो लोग प्लाज्मा देने के लिए फिट हैं, वो आगे ही नहीं आ रहे हैं, उन्हें लगता है कि अभी हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनी है कहीं ऐसा ना हो कि प्लाज्मा देने से हमारे शरीर से वह खत्म हो जाएं और फिर से कोरोना संक्रमित ना हो जाएं.
प्लाज्मा बैंक की स्थिति
राजधानी में प्लाज्मा को संचित करके के लिए हमीदिया अस्पताल में प्लाज्मा बैंक भी बनाया गया है. प्लाज्मा बैंक की स्थिति के बारे में हमीदिया के ब्लड बैंक ऑफिसर डॉक्टर उम्मीद मोहन शर्मा ने बताया कि अभी तक कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 105 लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है. यह देखा गया है कि पिछले करीब 2 महीने से लोगों में डोनेशन को लेकर इतनी जागरुकता नहीं है. बैंक में तकरीबन 30-32 यूनिट प्लाज्मा है, पर यह सारे ब्लड ग्रुप का नहीं है. अधिकतर ओ-ग्रुप और बी-ग्रुप के ही प्लाज़्मा उपलब्ध हैं. लोग अभी भी डरे हुए हैं, वो अस्पताल में आकर ब्लड डोनेट करने को खतरे के तौर पर देख रहे हैं.