भोपाल। एक तरफ जूनियर डॉक्टर्स और सरकार आमने-सामने आ गई हैं. यहां तक कि कोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है. आंदोलन को बड़ा रूप दे दिया हैं. पूरे देश में डॉक्टर्स इस्तीफा दे रहे हैं, लेकिन इस खींचतान के बीच स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बदहाल हो रही हैं. मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. हमीदिया में तो हालात ऐसे हो चले हैं कि यहां आने वाले मरीजों को भर्ती तक नहीं किया जा रहा हैं. इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
पत्नी का एक्सीडेंट हुआ, नहीं मिला इलाज
सीहोर जिले के पोढरी कला गांव में दो दिन पहले एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें एक महिला के चेहरे और सिर पर गंभीर चोटें आई थी. इछावर स्थित अस्पताल में तत्काल घायल महिला को भर्ती कराया गया था. चोट गंभीर होने के कारण बहुत खून बह रहा था. फिर वहां से जिला अस्पताल सीहोर रेफर किया गया. यहां चेहरे और सिर पर टांके लगाए गए, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी. तीन जून को हमीदिया पहुंचे. यहां शुरुआती इलाज किया गया. कुछ जांचे भी हुई, पर उसके बाद उसे भर्ती नहीं किया गया. मरीज के साथ अब हमीदिया परिसर में परेशान हो रहे है. न रुकने की जगह है और न खाने का ठिकाना.
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नहीं मिला इलाज
घायल महिला की आयु 50 वर्ष है, जो अपने गांव में एक दुकान पर सामान लेने के लिए निकली थी, तभी सामने से आ रही एक मोटरसाइकिल ने उसे टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि चेहरा और सिर बुरी तरह चोटिल हो गया. मोटरसाइकिल चालक वहां से भाग निकला. इसके बाद हंड्रेड डायल को बुलाया गया. इसके बाद घायल महिला को अस्पताल पहुंचाया गया. विभिन्न अस्पताल भटकने के बाद भी मरीज को इलाज नहीं मिल सका.
आठ जिलों से 78 चिकित्सक बुलवाए गए
हमीदिया अस्पताल में 467 जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं. गुरुवार को इन सभी जूनियर डॉक्टरों ने भी इस्तीफा दे दिया हैं. प्रशासन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर संभाग के आठ जिलों से आयुष चिकित्सकों के साथ अन्य पद्धति के चिकित्सकों को भी बुलाया गया हैं. भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, राजगढ़, सीहोर, विदिशा, बैतूल और हरदा जिले से 86 चिकित्सकों को बुलाया गया हैं, जो क्लिनिकल और सर्जिकल मेडिकल डॉक्टर्स के साथ काम कर रहे हैं. कोविड वार्डों में भी इन चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है. इमरजेंसी के दौरान मरीजों का इलाज इनके भरोसे ही चल रहा है. ऐसे में इमरजेंसी मरीजों को इलाज संबंधी कई परेशानियां आ रही हैं, चूंकि आयुष चिकित्सक आपातकालीन सेवाओं के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें केवल रोगी को आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित किया जाता हैं.
700 से ज्यादा ओपीडी
हमीदिया में रोजाना 700 से ज्यादा ओपीडी की जा रही हैं. यहां कोविड-19 और ब्लैक फंगस के मरीजों के अलावा सामान्य मरीजों की संख्या भी सैकड़ों में रहती है, लेकिन इनके इलाज के लिए अब डॉक्टर्स नहीं है.