भोपाल। कोरोना काल में छोटे व्यापारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वहीं, कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) के कारण सभी कामकाज बंद है. शहर में शादी-विवाह, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन पर पाबंदी है. इसके कारण अब इसकी मार बग्घी और घोड़े वालों पर भी पड़ी है. ऐसे में अब लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
एक दिन में 100-200 रुपए का होता हैं खर्च
भोपाल के इतवारा सईदिया स्कूल (Itwara Saidiya School) के पास इन दिनों बग्घियां खाली खड़ी हुई है. कोरोना कर्फ्यू के कारण इनको कोई काम नहीं मिलने से घोड़े वाले काफी परेशान हैं. इनका कहना है कि कोरोना के कारण दो साल से धंधा पूरी तरह से बंद है. जो जमा पूंजी थी, वह कोरोना कर्फ्यू में खर्च हो गई. हमे कोई और काम नहीं मिल रहा. ऐसे समय में घोड़ों का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है. एक घोड़े पर 100 से 200 रुपए का खर्च होता है, जिसको निकालने में भी परेशानी हो रही है. हमें कोई और काम भी नहीं मिल रहा.
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एक बग्घी बनाने में 50,000 से सवा लाख का खर्ज
भोपाल में इन दिनों डेढ़ सौ घोड़े हैं, जिनका उपयोग बग्घी और तांगा चलाने में होता है. एक बग्घी बनाने में 50,000 से सवा लाख तक का खर्च होता है. इसके साथ ही एक घोड़ा खरीदने में 50,000 रुपए से लेकर 30,0000 रुपए तक चुकाने होते हैं. यह घोड़े राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश से खरीद कर मध्य प्रदेश लाए जाते हैं.