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देश के लिए सबकुछ न्योछावर करने वालों की शहादत पर मत करो राजनीति: दिग्विजय सिंह - दिग्विजय सिंह

भोपाल में सांप्रदायिक सद्भाव और भारत निर्माण विषय पर संवाद एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित किया.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
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Published : Apr 25, 2019, 8:57 AM IST

भोपाल| सांप्रदायिक सद्भाव और भारत निर्माण विषय पर राजधानी भोपाल के व्हाइट हाउस में संवाद एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम संवाद संस्था यथार्थ ने आयोजित किया था. इस मौके पर कांग्रेस प्रत्याशी और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज के वातावरण में कभी मेरे लिए धर्म विषय नहीं हो सकता है. सभी धर्मों का सम्मान करना मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया है.

दिग्विजय सिंह का कहना है कि मैंने अपने जीवन में सभी धर्मों के धर्म ग्रंथों का अध्यन बखूबी किया है और इन सभी धर्म ग्रंथों का मूल आधार केवल इंसानियत है, जो सभी को समझना चाहिए. यह बात समझने की जरूरत है कि आप कैसे अच्छे इंसान बन सकते हैं, क्योंकि एक अच्छा इंसान बनना ही सबसे अच्छा धर्म है. भले ही सभी का रास्ता अलग-अलग हो, लेकिन सभी की मंजिल एक ही है और वह मंजिल है इंसानियत की.

सांप्रदायिक सद्भाव और भारत निर्माण पर कार्यक्रम

दिग्विजय सिंह ने कहा कि यदि किसी के परिवार में थोड़ी सी भी कटुता आ जाए तो परिवार टूट जाता है, वैसे ही 130 करोड़ से ज्यादा लोगों के देश में हम धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, संप्रदाय के नाम पर अलग-अलग हो जाएंगे, तो क्या भारत का निर्माण हो सकता है. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का बेहद दुख है कि अब धर्म को बांटने का एक सिलसिला चल गया है, लेकिन कम से कम शहीदों को तो इस तरह से मत बांटो. जिस व्यक्ति ने अपने देश के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया, जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी, कम से कम उनकी शहादत पर तो राजनीति मत करो.

भोपाल| सांप्रदायिक सद्भाव और भारत निर्माण विषय पर राजधानी भोपाल के व्हाइट हाउस में संवाद एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम संवाद संस्था यथार्थ ने आयोजित किया था. इस मौके पर कांग्रेस प्रत्याशी और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज के वातावरण में कभी मेरे लिए धर्म विषय नहीं हो सकता है. सभी धर्मों का सम्मान करना मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया है.

दिग्विजय सिंह का कहना है कि मैंने अपने जीवन में सभी धर्मों के धर्म ग्रंथों का अध्यन बखूबी किया है और इन सभी धर्म ग्रंथों का मूल आधार केवल इंसानियत है, जो सभी को समझना चाहिए. यह बात समझने की जरूरत है कि आप कैसे अच्छे इंसान बन सकते हैं, क्योंकि एक अच्छा इंसान बनना ही सबसे अच्छा धर्म है. भले ही सभी का रास्ता अलग-अलग हो, लेकिन सभी की मंजिल एक ही है और वह मंजिल है इंसानियत की.

सांप्रदायिक सद्भाव और भारत निर्माण पर कार्यक्रम

दिग्विजय सिंह ने कहा कि यदि किसी के परिवार में थोड़ी सी भी कटुता आ जाए तो परिवार टूट जाता है, वैसे ही 130 करोड़ से ज्यादा लोगों के देश में हम धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, संप्रदाय के नाम पर अलग-अलग हो जाएंगे, तो क्या भारत का निर्माण हो सकता है. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का बेहद दुख है कि अब धर्म को बांटने का एक सिलसिला चल गया है, लेकिन कम से कम शहीदों को तो इस तरह से मत बांटो. जिस व्यक्ति ने अपने देश के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया, जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी, कम से कम उनकी शहादत पर तो राजनीति मत करो.

Intro:जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी उनके साथ राजनीति मत करो = दिग्विजय सिंह


भोपाल | सांप्रदायिक सद्भाव और भारत निर्माण विषय पर राजधानी भोपाल के व्हाइट हाउस मैं एक संवाद एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया यह कार्यक्रम संवाद संस्था यथार्थ के द्वारा आयोजित किया गया इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गांधीवादी विचारक एवं स्वतंत्रता सेनानी डॉ एसएन सुब्बाराव पर्यावरण वेद एवं समाजसेवी मेधा पाटकर प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक अनिल शर्मा मुख्य ग्रंथि गुरुद्वारा गुरु नानक पुरा ज्ञानी इंदर पाल सिंह शहर काजी भोपाल सैयद मुश्ताक अली पादरी सीपी मैथ्यू एवं गणेश आचार्य पंडित कैलाश नागर विशेष रूप से उपस्थित हुए इस कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता सिंह भी विशेष रूप से उपस्थित हुई .


इस कार्यक्रम के दौरान देश के सांप्रदायिक सद्भाव और भारत के नव निर्माण को लेकर आए हुए वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे .


Body:कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण वेद एवं समाजसेवी मेधा पाटकर ने कहा कि हमारे देश क्या है इसे कभी भूलना नहीं चाहिए और इस देश की पहचान जैसे संतों से हैं धर्मों से है उसी तरह वैसी ही पहचान मेहनतकश लोगों से भी है इस देश को राष्ट्र बनाने के लिए जैसे राज्य और समाज इन दोनों को जोड़ कर रखना बेहद जरूरी होता है तभी एक मजबूत राष्ट्र की संकल्पना बनती है वैसे ही इस समाज के अंदर बहुत सारे समुदायों को जोड़ के रखना बेहद जरूरी होता है उसके बिना देश की नींव मजबूत नहीं होती है और जब नींव मजबूत ना हो तब छत की बात और आसमान को छूने की बात करना फिजूल होती है और यह बात सभी जानते भी हैं आज देश में कुछ विचित्र स्थिति खड़ी हो गई है जिसे बोलना मेरे लिए तो संभव है इस देश का सबसे मजबूत आधार हमारा संविधान है इस संविधान में ना केवल बाबासाहेब आंबेडकर ने बल्कि कई नेताओं ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान दिया है और इस देश की आजादी के लिए मंगल पांडे से लेकर अनेक लोगों ने इस देश के लिए जो खून पसीना एक किया है वही इस संविधान को मजबूत बनाता है



मेघा पाटकर ने कहा कि एक प्रकार की अवमानना और सामाजिक रूप से अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ने वाले लोगों को जेल में डाल देना शायद यही इस देश का राजधर्म बन गया है लेकिन जब तक हम इसका विरोध नहीं करेंगे कुछ होने वाला नहीं है जो लोग किसी प्रकार का विरोध करते हैं उन्हें जेल में डालना उन्हें अछूत मानना यह एक अलग प्रकार का राजनीतिक संप्रदाय कहां से आ गया है किसी को पता नहीं है हम इस को नामंजूर करते हैं और इसका विरोध करते हैं उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों के दौरान जिस प्रकार से देश के अंदर का माहौल निर्मित हुआ है हम उसकी पूर्ण रूप से निंदा करते हैं उन्होंने कहा कि यह बात भी लोगों को समझना बेहद जरूरी है कि केवल मूर्तियों को मत छुओ बल्कि उन लोगों को भी छुए जो मेहनतकश है और उन लोगों का भी सम्मान करो .


Conclusion:इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज के वातावरण में कभी मेरे लिए धर्म विषय नहीं हो सकता है सभी धर्मों का सम्मान करना मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया है और मैं उसी मार्ग पर हमेशा चलता हूं मैंने अपने जीवन में सभी धर्म के धर्म ग्रंथ का अध्यन बखूबी किया है और इन सभी धर्म ग्रंथों का मूल आधार केवल इंसानियत है और यही बात लोगों को समझ नहीं चाहिए यह बात समझने की जरूरत है कि आप कैसे अच्छे इंसान बने क्योंकि एक अच्छा इंसान ही सबसे अच्छा धर्म है भले ही सभी का रास्ता अलग अलग हो लेकिन सभी की मंजिल एक ही है और वह मंजिल है इंसानियत की जिससे सभी को कायम रखना है



उन्होंने कहा कि यदि किसी के परिवार में थोड़ी सी भी कटुता आ जाए तो परिवार टूट जाता है अगर 130 करोड़ से ज्यादा लोगों के देश में हम धर्म के नाम पर जाति के नाम पर संप्रदाय के नाम पर अलग-अलग हो जाएंगे तो क्या भारत का निर्माण हो सकता है जिस मजबूत भारत की कल्पना हम करते हैं इसका जवाब है कि ऐसी स्थिति में नहीं हो सकता है महात्मा गांधी ने जो रास्ता इस देश के लोगों को दिखाया था वह यही था सांप्रदायिक सद्भाव सभी धर्मों का सम्मान और एक अच्छी इंसानियत के साथ हम अपने देश के लिए क्या योगदान अपनी ओर से दे सकते हैं इस पर हमारे देश के हर नागरिक को विचार करना चाहिए दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे इस बात का बेहद दुख है कि अब धर्म को बांटने का एक सिलसिला चल गया है लेकिन कम से कम शहीदों को तो इस तरह से मत बांटो कम से कम इन चीजों से शहीदों को छोड़ देना चाहिए जिस व्यक्ति ने अपने देश के लिए सब कुछ निछावर कर दिया जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गवा दी कम से कम उनकी शहादत पर राजनीति मत करो .
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