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कोरोना गाइडलाइन के तहत शुरू हुई अंग प्रत्यारोपण सर्जरी की प्रक्रिया

देशभर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में काफी बदलाव किए गए थे. कोरोना काल में सिर्फ इमरजेंसी सर्जरियों को इजाजत दी गई थी. लेकिन अब सावधानी बरतते हुए और कोविड गाइडलाइन के तहत सभी स्वास्थ्य सेवाएं बहाल की जा रही हैं. इन्हीं में एक शामिल है, अंग प्रत्यारोपण सर्जरी.

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Published : Dec 10, 2020, 3:39 PM IST

Organ transplant surgeries
शुरू हुईं अंग प्रत्यारोपण सर्जरियां

भोपाल। कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं भी काफी हद तक प्रभावित हुई हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए एक समय ऐसा भी आया था, जब कई अस्पतालों ने अपनी ओपीडी और आईपीडी को कुछ समय के लिए बंद कर दिया था. इस दौरान कई मरीजों को तकलीफों का सामना करना पड़ा. अब जब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी है तो अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को फिर से शुरू किया जा रहा है.

शुरू हुईं अंग प्रत्यारोपण सर्जरियां

आपातकालीन सर्जरियों की थी मंजूरी

कोरोना संक्रमण को देखते हुए सिर्फ इमरजेंसी सर्जरियों के लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने मंजूरी दी थी. इन्हीं सुविधाओं में से एक है अंग प्रत्यारोपण सर्जरी. अंग प्रत्यारोपण की सर्जरी काफी जटिल होती है. जिसके लिए कई सारी सावधानियां बरतनी पड़ती है. ऐसे में जब कोरोना संक्रमण का प्रकोप अपने शुरुआती दौर में था, तो भारत सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि जिन अंग प्रत्यारोपण सर्जरियों को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है, उन्हें फिलहाल के लिए रोका जाए. वहीं जो सर्जरी इमरजेंसी में करनी हैं, सिर्फ उन्हें ही फिलहाल किया जाए.

जारी की गई नई गाइडलाइन

अब कोविड-19 को लेकर स्थिति काफी साफ है. इस महामारी का खतरा वैक्सीन के आने तक नहीं जाने वाला है. ऐसे में भारत सरकार ने कोविड-19 की नई गाइड लाइन जारी की है. जिसके तहत अब अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियों को अनुमति दे दी गई है. जिसके बाद असप्तालों में इस तरह की सर्जरियां अब होने लगी हैं.

कोरोना काल में अंग प्रत्यारोपण सर्जरी

भोपाल में अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां बहुत कम की जाती हैं. अगर कोई व्यक्ति ब्रेन डेड आता है और उसके परिवार वाले अंग दान की इजाजत दे देते हैं, सिर्फ उस स्थिति में अंग प्रत्यारोपण किया जाता है, जो कि आपातकालीन स्थिति होती है.

पढ़ें- गैस त्रासदी के 36 साल : गैस पीड़ितों के लिए सबसे खतरनाक हुआ 'कोरोना काल', कइयों ने गंवा दी जान

दो साल में काफी कम हुई सर्जरी

किरण फाउंडेशन जो कि लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करने और अंग प्रत्यारोपण के मुद्दों पर काम करती है. उसके सेक्रेटरी डॉ राकेश भार्गव बताते हैं कि कोरोा काल में भोपाल में ज्यादा कुछ इसका असर देखने को नहीं मिला. क्योंकि पिछले दो सालों से शहर में अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां कम हो रही हैं. हालांकि कुछ सर्जररियां योजना बनाकर की जाती हैं, जिन्हें कोविड-19 के कारण कुछ समय के लिए टाला गया था. यह ऐसी सर्जरियां थीं जिनके थोड़ी देर से होने पर मरीज के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता. इसलिए संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस तरह की सर्जरियों को नहीं किया गया.

Dialysis patients
डायलसिस के मरीज

मौजूदा हालात कैसे

शहर के निजी अस्पताल में स्वास्थ्य रोग विशेषज्ञ के तौर पर पदस्थ डॉक्टर विद्यानंद त्रिपाठी अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञ हैं. उन्होंने बताया कि जब देश में लॉकडाउन किया गया था, उस समय अंग प्रत्यारोपण की सर्जरी बंद कर दी गई थी. क्योंकि प्रत्यारोपण एक रूटीन सर्जरी है. जिन मरीजों का डायलिसिस से काम चल रहा था, हम उनकी प्रत्यारोपण सर्जरी नहीं कर रहे थे. क्योंकि प्रत्यारोपण के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, जिसके कारण मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है.

पढ़ें- सावधान! कोरोना काल में गुटखा खाकर खुले में थूकना सब के लिए घातक

उन्होंने बताया कि कई महीनों तक अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां नहीं की गई पर फिर एक बात यह सामने आई कि डायलिसिस में भी कोरोना संक्रमण की गति बहुत तेजी से बढ़ रही थी. क्योंकि हमें पता है कि कोविड-19 का दौर लंबे समय तक चलेगा और ज्यादा वक्त तक डायलिसिस के मरीज का अंग प्रत्यारोपण रोकना उसके हित मे नहीं था, जिसे देखते हुए नई गाइडलाइन आई. उसके मुताबिक अगर अस्पताल कोविड-19 नहीं है और सर्जरी के दौरान कोरोना वायरस से बचाव के पूरे उपाय किए जा रहे हैं, तो अंग प्रत्यारोपण सर्जरी की जा सकती है. इसके बाद सर्जरियां शुरू की गई हैं.

प्रत्यारोपण के बाद है कोरोना संक्रमण का खतरा

विशेषज्ञों के मुताबिक अंग प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद कोविड-19 संक्रमण से जान जाने की संभावना बहुत ज्यादा हो जाती है. इसलिए जब किसी मरीज की सर्जरी की जाती है तो सभी तरह की संभावनाओं से उसे और उसके परिजनों को अवगत करा दिया जाता है. डॉ विद्यानन्द त्रिपाठी ने बताया कि जब हमें किसी मरीज की अंग प्रत्यारोपण सर्जरी करनी होती है, तो हम पहले ही उसके परिजनों को सारे रिस्क फैक्टर से अवगत करा देते हैं. अगर सर्जरी के बाद कोविड-19 होता है, तो उसमें जान जाने का ज्यादा खतरा रहता है. अगर मरीज तैयार है, उसकी हालत ऐसी है कि सर्जरी की जा सकती है और हमारे पास सारी सुविधा है तब ही हम सर्जरी कर सकते हैं.

पढ़ें-ठंड में कोरोना हुआ और खतरनाक, दोगुनी रफ्तार से राजधानी में बढ़ें केस

सर्जरी के बाद कोरोना संक्रमण से नहीं हुई किसी की मौत

डॉ विद्यानन्द त्रिपाठी ने बताया कि हम पिछले दो महीनों से अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां कर रहे हैं. इसमें अब तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है, जिसमें अंग प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद मरीज को कोरोना संक्रमण हुआ हो और उसकी मौत हुई हो. जिले भर में सिर्फ एक ऐसा मामला सामने आया था था, जहां मरीज को कोरोना संक्रमण हुआ था. वो भी इलाज के बाद अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

गाइडलाइन का पालन कर की जा सकती है सर्जरी

बीतते समय और सफल सर्जरियों के आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना काल में सावधानियों को बरतते हुए और गाइडलाइन का पालन करते हुए सर्जरी की जा सकती है.

भोपाल। कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं भी काफी हद तक प्रभावित हुई हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए एक समय ऐसा भी आया था, जब कई अस्पतालों ने अपनी ओपीडी और आईपीडी को कुछ समय के लिए बंद कर दिया था. इस दौरान कई मरीजों को तकलीफों का सामना करना पड़ा. अब जब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी है तो अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को फिर से शुरू किया जा रहा है.

शुरू हुईं अंग प्रत्यारोपण सर्जरियां

आपातकालीन सर्जरियों की थी मंजूरी

कोरोना संक्रमण को देखते हुए सिर्फ इमरजेंसी सर्जरियों के लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने मंजूरी दी थी. इन्हीं सुविधाओं में से एक है अंग प्रत्यारोपण सर्जरी. अंग प्रत्यारोपण की सर्जरी काफी जटिल होती है. जिसके लिए कई सारी सावधानियां बरतनी पड़ती है. ऐसे में जब कोरोना संक्रमण का प्रकोप अपने शुरुआती दौर में था, तो भारत सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि जिन अंग प्रत्यारोपण सर्जरियों को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है, उन्हें फिलहाल के लिए रोका जाए. वहीं जो सर्जरी इमरजेंसी में करनी हैं, सिर्फ उन्हें ही फिलहाल किया जाए.

जारी की गई नई गाइडलाइन

अब कोविड-19 को लेकर स्थिति काफी साफ है. इस महामारी का खतरा वैक्सीन के आने तक नहीं जाने वाला है. ऐसे में भारत सरकार ने कोविड-19 की नई गाइड लाइन जारी की है. जिसके तहत अब अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियों को अनुमति दे दी गई है. जिसके बाद असप्तालों में इस तरह की सर्जरियां अब होने लगी हैं.

कोरोना काल में अंग प्रत्यारोपण सर्जरी

भोपाल में अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां बहुत कम की जाती हैं. अगर कोई व्यक्ति ब्रेन डेड आता है और उसके परिवार वाले अंग दान की इजाजत दे देते हैं, सिर्फ उस स्थिति में अंग प्रत्यारोपण किया जाता है, जो कि आपातकालीन स्थिति होती है.

पढ़ें- गैस त्रासदी के 36 साल : गैस पीड़ितों के लिए सबसे खतरनाक हुआ 'कोरोना काल', कइयों ने गंवा दी जान

दो साल में काफी कम हुई सर्जरी

किरण फाउंडेशन जो कि लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करने और अंग प्रत्यारोपण के मुद्दों पर काम करती है. उसके सेक्रेटरी डॉ राकेश भार्गव बताते हैं कि कोरोा काल में भोपाल में ज्यादा कुछ इसका असर देखने को नहीं मिला. क्योंकि पिछले दो सालों से शहर में अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां कम हो रही हैं. हालांकि कुछ सर्जररियां योजना बनाकर की जाती हैं, जिन्हें कोविड-19 के कारण कुछ समय के लिए टाला गया था. यह ऐसी सर्जरियां थीं जिनके थोड़ी देर से होने पर मरीज के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता. इसलिए संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस तरह की सर्जरियों को नहीं किया गया.

Dialysis patients
डायलसिस के मरीज

मौजूदा हालात कैसे

शहर के निजी अस्पताल में स्वास्थ्य रोग विशेषज्ञ के तौर पर पदस्थ डॉक्टर विद्यानंद त्रिपाठी अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञ हैं. उन्होंने बताया कि जब देश में लॉकडाउन किया गया था, उस समय अंग प्रत्यारोपण की सर्जरी बंद कर दी गई थी. क्योंकि प्रत्यारोपण एक रूटीन सर्जरी है. जिन मरीजों का डायलिसिस से काम चल रहा था, हम उनकी प्रत्यारोपण सर्जरी नहीं कर रहे थे. क्योंकि प्रत्यारोपण के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, जिसके कारण मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है.

पढ़ें- सावधान! कोरोना काल में गुटखा खाकर खुले में थूकना सब के लिए घातक

उन्होंने बताया कि कई महीनों तक अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां नहीं की गई पर फिर एक बात यह सामने आई कि डायलिसिस में भी कोरोना संक्रमण की गति बहुत तेजी से बढ़ रही थी. क्योंकि हमें पता है कि कोविड-19 का दौर लंबे समय तक चलेगा और ज्यादा वक्त तक डायलिसिस के मरीज का अंग प्रत्यारोपण रोकना उसके हित मे नहीं था, जिसे देखते हुए नई गाइडलाइन आई. उसके मुताबिक अगर अस्पताल कोविड-19 नहीं है और सर्जरी के दौरान कोरोना वायरस से बचाव के पूरे उपाय किए जा रहे हैं, तो अंग प्रत्यारोपण सर्जरी की जा सकती है. इसके बाद सर्जरियां शुरू की गई हैं.

प्रत्यारोपण के बाद है कोरोना संक्रमण का खतरा

विशेषज्ञों के मुताबिक अंग प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद कोविड-19 संक्रमण से जान जाने की संभावना बहुत ज्यादा हो जाती है. इसलिए जब किसी मरीज की सर्जरी की जाती है तो सभी तरह की संभावनाओं से उसे और उसके परिजनों को अवगत करा दिया जाता है. डॉ विद्यानन्द त्रिपाठी ने बताया कि जब हमें किसी मरीज की अंग प्रत्यारोपण सर्जरी करनी होती है, तो हम पहले ही उसके परिजनों को सारे रिस्क फैक्टर से अवगत करा देते हैं. अगर सर्जरी के बाद कोविड-19 होता है, तो उसमें जान जाने का ज्यादा खतरा रहता है. अगर मरीज तैयार है, उसकी हालत ऐसी है कि सर्जरी की जा सकती है और हमारे पास सारी सुविधा है तब ही हम सर्जरी कर सकते हैं.

पढ़ें-ठंड में कोरोना हुआ और खतरनाक, दोगुनी रफ्तार से राजधानी में बढ़ें केस

सर्जरी के बाद कोरोना संक्रमण से नहीं हुई किसी की मौत

डॉ विद्यानन्द त्रिपाठी ने बताया कि हम पिछले दो महीनों से अंग प्रत्यारोपण की सर्जरियां कर रहे हैं. इसमें अब तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है, जिसमें अंग प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद मरीज को कोरोना संक्रमण हुआ हो और उसकी मौत हुई हो. जिले भर में सिर्फ एक ऐसा मामला सामने आया था था, जहां मरीज को कोरोना संक्रमण हुआ था. वो भी इलाज के बाद अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

गाइडलाइन का पालन कर की जा सकती है सर्जरी

बीतते समय और सफल सर्जरियों के आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना काल में सावधानियों को बरतते हुए और गाइडलाइन का पालन करते हुए सर्जरी की जा सकती है.

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