भोपाल। भारत सरकार द्वारा 2012 बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाल लैंगिक शोषण और लैंगिक अपराधों से संरक्षण के लिए POCSO एक्ट लागू किया गया. सरल भाषा में इस अधिनियम को लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम कहा जाता है. इस एक्ट पर पूर्व डीजी आरएलएस यादव और पूर्व डीजीपी अरविंद जैन ने अपनी राय साझा की.
बहुत ही प्रभावी एक्ट
पूर्व डीजीपी अरविंद जैन ने बताया कि निर्भया कांड के बाद पूरे देश में ऐसा उबाल आया जिसके बाद पूर्व चीफ जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में कमेटी बैठाई गई. जिसके आधार पर इस एक्ट को पारित किया गया. लैंगिक शोषण को परिभाषित करता ये एक्ट बहुत ही प्रभावी है. इस एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चें (चाहे लड़का हो लड़की) जिनके साथ किसी भी तरह का लैंगिक शोषण हुआ हो या करने की कोशिश की गई हो, वे सब मामले इसमें आते हैं. वहीं इस एक्ट के अंदर बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई है. साथ ही साथ ऐसे मामलों का निपटारा एक साल के अंदर का प्रावधान है. इस तरह के अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए शिकायत हेतु चाइल्ड लाइन नंबर 1098, टोल फ्री नंबर1800115455 का उपयोग करें. साथ ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा POCSO e-box तैयार किया गया है. जिस पर ऑनलाइन शिकायत की जा सकती है.
फिर भी नहीं रूक रहे अपराध
पूर्व डीजी आरएलएस यादव ने बताया की इस एक्ट में बहुत ही कड़े प्रावधान हैं. पर फिर भी ये अपराध नहीं रूक रहें हैं. इसका कारण ये है कि समाज में विकार. आज के जमाने हम ये तक नहीं जानते हमारे आस-पड़ोस में कौन हैं? पहले बच्चे दादा-दादी के साथ रहते थे. तो उन्हें अकेले बाहर जाने की जरूरत ही नहीं थी. पर अब सब अकेले हैं. बच्चों को फुसलााना-बहलाना बहुत आसान है. आज के जमाने में कम्यूनिकेशन सबसे जरूरी है. वहीं समाज में जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी है. हमारा आर्थिक विकास तो हो रहा है पर हमारा परिवार टूट रहा है. हमारी संस्कृति छूट रही है.