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PUBG Ban: राजधानी भोपाल में क्या बोले वो बच्चे जो पब्जी के पीछे थे पागल, पेरेंट्स खुश

बायकॉट चाइना मुहिम जोर पकड़ने लगी है. भारत सरकार ने PUBG गेम पर पाबंदी लगा दी है, जिसे लेकर युवाओं के बीच PUBG को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. PUBG खेलने वाले युवा आयुष मोरे ने बताया कि, जब से ये गेम बैन हुआ है, तभी से पढ़ाई शुरू हो गई है.

pubg game ban
पबजी गेम बैन
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Published : Sep 10, 2020, 10:58 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 2:46 PM IST

भोपाल। लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच टकराव के बाद देश में चायनीज सामानों के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है. इसी कड़ी में भारत सरकार ने देश के नागरिकों की मांग को समझते हुए PUBG गेम पर पाबंदी लगा दी है, जिसे लेकर युवाओं के बीच PUBG को लेकर मिली जुली प्रक्रिया सामने आ रही है.

पबजी गेम बैन

PUBG खेलने वाले युवा आयुष मोरे ने बताया कि जब से PUBG बैन हुआ है, तभी से पढ़ाई शुरू हो गई है. छात्र ने कहा कि सरकार ने PUBG बैन कर दिया है, तो ठीक है, छात्र वैसे भी मनोरंजन के लिए खेला करते थे. PUBG को लेकर तनीषा मीणा ने कहा कि जब गेम बैन हुआ, तो उस वक्त थोड़ा बुरा लगा था. तनीषा मीणा ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि ये ठीक ही हुआ है, क्योंकि छोटे-छोटे बच्चे PUBG खेला करते थे.

वहीं PUBG बैन को लेकर बच्चों के अभिभावकों का मानना है कि एक प्रकार से देखा जाए, तो ये बैन सही है. क्योंकि बच्चे ज्यादातर समय PUBG खेलने में बीताते थे. अभिभावक छाया मोरे ने बताया कि जब तक लॉकडाउन था, तब तक तो ठीक था. बच्चे रात दिन पबजी खेलते थे. लेकिन जब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई, तब भी बच्चे PUBG खेलने में ज्यादा वक्त लगाते थे. इसलिए सरकार ने जो फैसला लिया है, वो सही है.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने कहा कि किसी भी एडिक्शन की बात की जाए, तो ये सबसे ज्यादा घातक होता है. उन्होंने कहा कि अनकंट्रोल यूजेस से एडिक्शन पैदा होता है और जब उस चीज की अचानक से रोकथाम की कोशिश होती है, तो इंसान एकदम विदड्रोस में चला जाता है. मनोचिकित्सक ने बताया कि ब्रेन विदड्रोल में जाता है, तो बहुत बेचैनी होती है बहुत घबराट होती है, इसके साथ साथ बच्चों में चिड़चिड़ापन आता है. इन सब का परिणाम ये होता है कि बच्चे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं.

हर जगह पबजी की चर्चा

वैसे तो भारत सरकार ने चीन के 118 मोबाइल गेम्स और एप्स पर प्रतिबंध लगाया है. जिनमें गेमिंग एप से लेकर डेटिंग, बिजनेस और दूसरी तरह के एप्स भी शामिल हैं, लेकिन हर तरफ केवल PUBG गेम की ही चर्चा हो रही है. PUBG गेम को अब मोबाइल पर तो नहीं खेला जा सकता है, लेकिन इसका डेक्सटॉप वर्जन अभी भी काम कर रहा है. PUBG पर प्रतिबंध लगने से जहां एक तरफ बच्चे काफी मायूस हैं, तो वहीं सबसे ज्यादा खुश इन बच्चों के माता-पिता ही है.

बैन के बाद बच्चों में नाराजगी तो बढ़े खुश

PUBG गेम पर बैन के बाद बच्चों में खासी नाराजगी है, तो वहीं उनके माता-पिता इस प्रतिबंध से सबसे ज्यादा खुश हैं. बच्चे सरकार के इस कदम की सराहना तो कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि टाइम पास के लिए यह गेम बहुत अच्छा था. इस गेम पर दोस्तों के साथ बच्चे काफी समय बिताते थे, लेकिन अचानक प्रतिबंध लगने से थोड़ी मायूसी जरूर है.

ऑनलाइन गेम नशे से कम नहीं

वहीं पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों का पूरा ध्यान मोबाइल गेम पर ही लगा रहता था, अब PUBG बैन होने से कम से कम बच्चे पढ़ाई पर भी ध्यान देंगे. PUBG खेलने वाले बच्चों के पेरेंट्स ने सरकार के इस कदम को काफी सराहा है.

ऑनलाइन गेम पर नजर रखने वाले मनोचिकित्सकों के मुताबिक मोबाइल पर ऑनलाइन गेम्स खेलना किसी नशे से कम नहीं होता है. जिस तरह किसी शराब के सेवन करने वाले या फिर ड्रग्स लेने वालों की इन आदतों पर अचानक रोक लगाई जाए, तो उनमें बेचैनी घबराहट और चिड़चिड़ापन होने लगता है.

अगर उन्हें नशीले पदार्थ फिर भी ना मिले, तो वो क्रूर व्यवहार करने लगता है या फिर आत्महत्या जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटते हैं. इसी तरह मोबाइल पर ऑनलाइन गेम्स खेलने की भी आदत बन जाती है. इस पर अगर रोक लगाई जाए, तो बच्चों या युवाओं में भी चिड़चिड़ापन और बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने बताया कि इसमें बच्चों का कोई दोष नहीं है, बल्कि दोष माता-पिता का है, जो उन्हें कम उम्र में ही स्मार्ट फोन उपलब्ध करवा देते हैं और बच्चों को ऑनलाइन गेम्स या इंटरनेट पर ज्यादा समय बिताने की आदत पड़ जाती है.

ऑनलाइन गेमिंग मार्केट का जाल

पिछले 10 सालों में ऑनलाइन गेमिंग ने मार्केट में जाल कुछ इस तरह से फैलाया है कि अब इसे दुनिया में सबसे तेजी से उभरते हुए मार्केट के रूप में देखा जा रहा है. इस बाजार को ऐसे समझिए कि, जब आप रुपए देकर कोई सामान खरीदते हैं, तो कई बार सोचते हैं.

वही ऑनलाइन गेम खेलते वक्त शुरुआती दौर में पैसा खर्च नहीं होता है. लेकिन प्रोफेशनल तरीके से खेलने और अलग-अलग लेवल पर पहुंचने पर पैसा भी खर्च करना पड़ता है. गेमिंग कंपनियां पहले आपको इसे खेलने की आदत लगाती हैं और बाद में पैसे बनाती हैं.

इसी तरह यह ऑनलाइन गेमिंग मार्केट का जाल फैलता जा रहा है. भारत में PUBG गेम के 25 फ़ीसदी यूजर हैं, जबकि खुद चीन में महज 17 फ़ीसदी युवा ही इस गेम को खेलते हैं, तो अमेरिका में महज 6 फीसदी यूजर्स हैं.

क्या है PUBG गेम ?

PUBG गेम को एक साथ 100 लोग भी खेल सकते हैं. इसमें आपको नए-नए हथियार खरीदने के लिए कुछ पैसे भी खर्च करने पड़ सकते हैं और कूपन खरीदना पड़ सकता है, गेम को इस तरीके से बनाया गया है कि जितना आप खेलते जाएंगे, उतना ही उसमें मजा आएगा, इसके साथ ही उतना ही आप कूपन और हथियार खरीदेंगे. जिससे आपका यह और बेहतर होता जाएगा. इसमें फ्री रूम भी होता है और उसमें अलग-अलग लेवल होते हैं. एक साथ कई अलग-अलग जगह पर रहने वालों से खेल सकते हैं और इसकी एक साथ स्ट्रीमिंग भी होती है.

भोपाल। लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच टकराव के बाद देश में चायनीज सामानों के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है. इसी कड़ी में भारत सरकार ने देश के नागरिकों की मांग को समझते हुए PUBG गेम पर पाबंदी लगा दी है, जिसे लेकर युवाओं के बीच PUBG को लेकर मिली जुली प्रक्रिया सामने आ रही है.

पबजी गेम बैन

PUBG खेलने वाले युवा आयुष मोरे ने बताया कि जब से PUBG बैन हुआ है, तभी से पढ़ाई शुरू हो गई है. छात्र ने कहा कि सरकार ने PUBG बैन कर दिया है, तो ठीक है, छात्र वैसे भी मनोरंजन के लिए खेला करते थे. PUBG को लेकर तनीषा मीणा ने कहा कि जब गेम बैन हुआ, तो उस वक्त थोड़ा बुरा लगा था. तनीषा मीणा ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि ये ठीक ही हुआ है, क्योंकि छोटे-छोटे बच्चे PUBG खेला करते थे.

वहीं PUBG बैन को लेकर बच्चों के अभिभावकों का मानना है कि एक प्रकार से देखा जाए, तो ये बैन सही है. क्योंकि बच्चे ज्यादातर समय PUBG खेलने में बीताते थे. अभिभावक छाया मोरे ने बताया कि जब तक लॉकडाउन था, तब तक तो ठीक था. बच्चे रात दिन पबजी खेलते थे. लेकिन जब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई, तब भी बच्चे PUBG खेलने में ज्यादा वक्त लगाते थे. इसलिए सरकार ने जो फैसला लिया है, वो सही है.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने कहा कि किसी भी एडिक्शन की बात की जाए, तो ये सबसे ज्यादा घातक होता है. उन्होंने कहा कि अनकंट्रोल यूजेस से एडिक्शन पैदा होता है और जब उस चीज की अचानक से रोकथाम की कोशिश होती है, तो इंसान एकदम विदड्रोस में चला जाता है. मनोचिकित्सक ने बताया कि ब्रेन विदड्रोल में जाता है, तो बहुत बेचैनी होती है बहुत घबराट होती है, इसके साथ साथ बच्चों में चिड़चिड़ापन आता है. इन सब का परिणाम ये होता है कि बच्चे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं.

हर जगह पबजी की चर्चा

वैसे तो भारत सरकार ने चीन के 118 मोबाइल गेम्स और एप्स पर प्रतिबंध लगाया है. जिनमें गेमिंग एप से लेकर डेटिंग, बिजनेस और दूसरी तरह के एप्स भी शामिल हैं, लेकिन हर तरफ केवल PUBG गेम की ही चर्चा हो रही है. PUBG गेम को अब मोबाइल पर तो नहीं खेला जा सकता है, लेकिन इसका डेक्सटॉप वर्जन अभी भी काम कर रहा है. PUBG पर प्रतिबंध लगने से जहां एक तरफ बच्चे काफी मायूस हैं, तो वहीं सबसे ज्यादा खुश इन बच्चों के माता-पिता ही है.

बैन के बाद बच्चों में नाराजगी तो बढ़े खुश

PUBG गेम पर बैन के बाद बच्चों में खासी नाराजगी है, तो वहीं उनके माता-पिता इस प्रतिबंध से सबसे ज्यादा खुश हैं. बच्चे सरकार के इस कदम की सराहना तो कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि टाइम पास के लिए यह गेम बहुत अच्छा था. इस गेम पर दोस्तों के साथ बच्चे काफी समय बिताते थे, लेकिन अचानक प्रतिबंध लगने से थोड़ी मायूसी जरूर है.

ऑनलाइन गेम नशे से कम नहीं

वहीं पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों का पूरा ध्यान मोबाइल गेम पर ही लगा रहता था, अब PUBG बैन होने से कम से कम बच्चे पढ़ाई पर भी ध्यान देंगे. PUBG खेलने वाले बच्चों के पेरेंट्स ने सरकार के इस कदम को काफी सराहा है.

ऑनलाइन गेम पर नजर रखने वाले मनोचिकित्सकों के मुताबिक मोबाइल पर ऑनलाइन गेम्स खेलना किसी नशे से कम नहीं होता है. जिस तरह किसी शराब के सेवन करने वाले या फिर ड्रग्स लेने वालों की इन आदतों पर अचानक रोक लगाई जाए, तो उनमें बेचैनी घबराहट और चिड़चिड़ापन होने लगता है.

अगर उन्हें नशीले पदार्थ फिर भी ना मिले, तो वो क्रूर व्यवहार करने लगता है या फिर आत्महत्या जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटते हैं. इसी तरह मोबाइल पर ऑनलाइन गेम्स खेलने की भी आदत बन जाती है. इस पर अगर रोक लगाई जाए, तो बच्चों या युवाओं में भी चिड़चिड़ापन और बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने बताया कि इसमें बच्चों का कोई दोष नहीं है, बल्कि दोष माता-पिता का है, जो उन्हें कम उम्र में ही स्मार्ट फोन उपलब्ध करवा देते हैं और बच्चों को ऑनलाइन गेम्स या इंटरनेट पर ज्यादा समय बिताने की आदत पड़ जाती है.

ऑनलाइन गेमिंग मार्केट का जाल

पिछले 10 सालों में ऑनलाइन गेमिंग ने मार्केट में जाल कुछ इस तरह से फैलाया है कि अब इसे दुनिया में सबसे तेजी से उभरते हुए मार्केट के रूप में देखा जा रहा है. इस बाजार को ऐसे समझिए कि, जब आप रुपए देकर कोई सामान खरीदते हैं, तो कई बार सोचते हैं.

वही ऑनलाइन गेम खेलते वक्त शुरुआती दौर में पैसा खर्च नहीं होता है. लेकिन प्रोफेशनल तरीके से खेलने और अलग-अलग लेवल पर पहुंचने पर पैसा भी खर्च करना पड़ता है. गेमिंग कंपनियां पहले आपको इसे खेलने की आदत लगाती हैं और बाद में पैसे बनाती हैं.

इसी तरह यह ऑनलाइन गेमिंग मार्केट का जाल फैलता जा रहा है. भारत में PUBG गेम के 25 फ़ीसदी यूजर हैं, जबकि खुद चीन में महज 17 फ़ीसदी युवा ही इस गेम को खेलते हैं, तो अमेरिका में महज 6 फीसदी यूजर्स हैं.

क्या है PUBG गेम ?

PUBG गेम को एक साथ 100 लोग भी खेल सकते हैं. इसमें आपको नए-नए हथियार खरीदने के लिए कुछ पैसे भी खर्च करने पड़ सकते हैं और कूपन खरीदना पड़ सकता है, गेम को इस तरीके से बनाया गया है कि जितना आप खेलते जाएंगे, उतना ही उसमें मजा आएगा, इसके साथ ही उतना ही आप कूपन और हथियार खरीदेंगे. जिससे आपका यह और बेहतर होता जाएगा. इसमें फ्री रूम भी होता है और उसमें अलग-अलग लेवल होते हैं. एक साथ कई अलग-अलग जगह पर रहने वालों से खेल सकते हैं और इसकी एक साथ स्ट्रीमिंग भी होती है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 2:46 PM IST
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