भोपाल। युवा व्यवसायी से करीब एक करोड़ की ऑनलाइन ठगी के मामले में पाकिस्तानी लिंक का खुलासा हुआ है. पाकिस्तानी जालसाज ने भारत के गुडगांव, दिल्ली, राजकोट, मुंबई के प्रोफेशनल्स की मदद से अमेरिका की जानीमानी कंपनी के नाम से फर्जी डेसबोर्ड और कंपनियां रजिस्टर्ड कराईं और लोगों से इन कंपनियों में निवेश का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.
ठगी गई रकम को भारतीय क्रिप्टो करेंसी एक्सजेंस वजीर-एक्स और केमेन आइलैंड स्थित क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज की मदद से डिजिटल मुद्रा टीथर में बदल कर पाकिस्तान पहुंचाया जाता था. ठगी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तार जुड़ने के बाद साइबर सेल ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी दे दी है. ठगी के करोड़ों की रकम के आतंकी लिंक को भी खंगाला जा रहा है.
ऑनलाइन डेटिंग से दोस्ती, फिर करोड़ों की ठगी
भोपाल के युवा व्यवसायी की डेटिंग एप्लीकेशन के जरिए एक महिला से पहचान हुई थी. महिला ने व्यवसायी को यूके की एक मसाला कंपनी में ट्रेडिंग का सुझाव दिया और फर्जी डेशबोर्ड का लिंक भेज दिया. व्यवसायी ने पांच फर्म के बैंक खातों ने इनमें करीब एक करोड़ रुपये का इंवेस्ट कर दिया.
फर्जी डेशबोर्ड पर काल्पनिक ट्रांजेक्शन भी दिखाई दे रहा था, लेकिन व्यवसायी को ठगी का पता तब चला, जब उसने पैसे निकालने की कोशिश की. ठगी की शिकायत व्यवसायी ने स्टेट साइबर सेल में दर्ज कराई थी. साइबर सेल को इस तरह की दो और शिकायतें मिली हैं, जिसमें करोड़ों का इंवेस्ट किया गया है.
जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे
साइबर सेल के एडीजी योगेश चौधरी ने बताया कि फर्जीवाड़े के इस पूरे रैकेट के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं. इस अंतरराष्ट्रीय रैकेट का नेटवर्क पूरे देश में फैला है. पाकिस्तान और चीन में बैठे अज्ञात जालसाज ने गुड़गांव, हरियाणा के चार्टेर्ड अकाउंटेंट ऐविक केडिया, दिल्ली के कंपनी सेक्रेटरी डाॅली मखीजा, राजकोट गुजरात के प्राइवेट जाॅब करने वाले दिलीप पटेल और दिल्ली निवासी विक्की मखीजा की मदद से जालसाजी का पूरा तानाबाना तैयार किया गया.
जालसाजों ने इन आरोपियों की मदद से फर्जी फर्म और बैंक अकाउंट खुलवाए. फिर लोगों ने निवेश के नाम पर ठगी की. अकाउंट में आने वाले ठगी की राशि को क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जाता था. साइबर सेल ने चार आरेापियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो आरोपी मुंबई का विजय छुटलानी और राजकोट का विजय हरियानी अभी भी फरार हैं. आरोपी देश छोड़कर न भाग सकें, इसलिए इनके खिलाफ एलओसी यानी लुक आउट सकुर्लर जारी किया गया है.
इन आरोपियों की यह थी भूमिका
आरोपी चार्टेर्ड अकाउंटेंट ऐविड केविया ने जालसाजों के लिए फर्म रजिस्टर कराकर बैंक में चालू खाता खुलवाया और इसकी डिटेल जालसाजों को भेजी. आरोपी कंपनी सेक्रेटरी डाॅली मखीजा ने रिश्तेदारों के नाम पर फर्म बनाकर और चालू खाता खुलवाकर इसे धोखाधड़ी की राशि के लिए उपलब्ध कराया.
आरोपी दिलीप पटेल राजकोट की फर्म विक्टेस प्राइवेट लिमिटेड में आने वाली राशि को निकालकर दूसरे अकाउंट में डालकर इसे अपने अकाउंट में लाता था. फिर इसे क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर करता था. आरोपी विक्की मखीजा फर्म के खाते में डायरेक्टर बनता था और फिर इन फर्मों को बेचकर राशि प्राप्त करता था.
करीब 50 करोड़ के ट्रांजेक्शन का चला पता
साइबर सेल की जांच में अभी तक सामने आया है कि ऑनलाइन ठगी से करीब 50 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया है. ठगी की यह राशि बैंक अकाउंट में आने के बाद इसे भारतीय क्रिप्टो करेंसी एक्सजेंच वजीर एक्स और क्रिप्टो करेंसी एक्सजेंज बीनांस के माध्यम से इस ठगी गई रकम को क्रिप्टो करंसी टीथर में बदला जाता था.
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बाद में यह राशि पाकिस्तान पहुंच जाती थी. ठगी के पाकिस्तान लिंक मिलने के बाद साइबर सेल ने इसकी जानकारी नेशनल एजेंसियों को दे दी है. हालांकि, साइबर सेल ठगी गई रकम के आंतकी गतिविधियों में उपयोग से इनकार नहीं कर रही है.