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अर्जुन सिंह की सलाह पर अजीत जोगी ने बदली थी राह, कलेक्टरी छोड़ की थी सियासत में एंट्री

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से राजनीति जगत में शोक की लहर है. हर कोई अजीत जोगी के निधन से दुखी है. वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया ने अजीत जोगी के प्रशासनिक अधिकारी से लेकर लोकप्रिय नेता बनने तक की कहानी ईटीवी भारत के साथ साझा की.

Ajit Jogi passed way
अजीत जोगी का निधन
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Published : May 29, 2020, 8:38 PM IST

Updated : May 29, 2020, 8:51 PM IST

भोपाल। लंबे समय से बीमार चल रहे अजीत जोगी भले ही दुनिया से रुखसत हो गए हों, लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा. छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बनने वाले जोगी ने कलेक्टरी छोड़ खादी पहनने का निर्णय राजनीति के चाणक्य अर्जुन सिंह की सलाह पर लिया था. अजीत जोगी ने राजनीति का ककहरा और राजनीतिक दांवपेच अर्जुन सिंह से ही सीखे. अर्जुन सिंह के करीब रहते वे राजीव गांधी के संपर्क में आए और फिर राजनीति के ही होकर रह गए.

वरिष्ट पत्रकार ने बताया अजीत जोगी का राजनीति सफर

पहले आईपीएस बने, फिर आईएएस

1946 में बिलासपुर के पेंड्रा में जन्मे जोगी ने भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ समय रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने का भी काम किया. इसके बाद 1968 में यूपीएससी में सफल हुए और आईपीएस बन गए, लेकिन उन्हें आईपीएस बनना रास नहीं आया. दोबार यूपीएसपी की परीक्षा दी और वे आईएएस बन गए. प्रशासनिक अधिकारी रहते उन्होंने अपनी क्षमत, दक्षता और सूझबूझ का परिचय दिया. अजीत जोगी अलग-अलग जिलों में 14 सालों तक कलेक्टर रहे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा.

अजीत जोगी ने अविभाजित मध्यप्रदेश के तमाम बड़े जिलों में कलेक्टरी की, जहां वे रहे, वहां की राजनीतिक शख्सियतों के करीबी बनते गए. इंदौर में जब जोगी कलेक्टर बने, तब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी थे. वहां उन्हें सेठी की छत्रछाया मिली. इसी तरह ग्वालियर में कलेक्टर रहते वे माधवराव सिंधिया के संपर्क में आए. रायपुर में कलेक्टर रहते श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल से उनकी नजदीकियां बनी. सीधी पहुंचे तो वे अर्जुन सिंह के संपर्क में आए. अर्जुन सिंह के जरिए ही राजीव गांधी तक पहुंच बनाई. इसके बाद उन्होंने प्रशासनिक गलियारे छोड़ राजनीति की राह पकड़ ली.

प्रवक्ता से सीएम तक पहुंचे जोगी

राजनीति की राह पकड़ने के बाद वे कांग्रेस के प्रवक्ता बने, राजीव गांधी का नजदीकी होने की वजह से उन्हें राज्यसभा का टिकट मिल गया. वे दो बार राज्यसभा भेजे गए. बाद में 1998 में रायगढ़ से चुनाव लड़कर लोकसभा भी पहुंचे. छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने की सुगबुगाहट के साथ उन्होंने सूबे की सियायत में अपना दखल बढ़ाया और नए राज्य के गठन के साथ छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने.

विवादों से भी रहा जोगी का नाता

अजीत जोगी अपने तेवरों और विवादों के कारण हमेशा चर्चा में बने रहे. साल 2007 में जोगी और उनके बेटे को एनसीपी के कोशाध्यक्ष रामअवतर जग्गी की हत्या के केस में गिरफ्तार किया गया. वरिष्ट पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया ने बताया कि, जोगी को जानने वाले अक्सर कहते थे कि, जब अजीत जोगी कलेक्टर थे, तब वे राजनीति किया करते थे और जब वे राजनीति में रहे तो कलेक्टरी की.

भोपाल। लंबे समय से बीमार चल रहे अजीत जोगी भले ही दुनिया से रुखसत हो गए हों, लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा. छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बनने वाले जोगी ने कलेक्टरी छोड़ खादी पहनने का निर्णय राजनीति के चाणक्य अर्जुन सिंह की सलाह पर लिया था. अजीत जोगी ने राजनीति का ककहरा और राजनीतिक दांवपेच अर्जुन सिंह से ही सीखे. अर्जुन सिंह के करीब रहते वे राजीव गांधी के संपर्क में आए और फिर राजनीति के ही होकर रह गए.

वरिष्ट पत्रकार ने बताया अजीत जोगी का राजनीति सफर

पहले आईपीएस बने, फिर आईएएस

1946 में बिलासपुर के पेंड्रा में जन्मे जोगी ने भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ समय रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने का भी काम किया. इसके बाद 1968 में यूपीएससी में सफल हुए और आईपीएस बन गए, लेकिन उन्हें आईपीएस बनना रास नहीं आया. दोबार यूपीएसपी की परीक्षा दी और वे आईएएस बन गए. प्रशासनिक अधिकारी रहते उन्होंने अपनी क्षमत, दक्षता और सूझबूझ का परिचय दिया. अजीत जोगी अलग-अलग जिलों में 14 सालों तक कलेक्टर रहे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा.

अजीत जोगी ने अविभाजित मध्यप्रदेश के तमाम बड़े जिलों में कलेक्टरी की, जहां वे रहे, वहां की राजनीतिक शख्सियतों के करीबी बनते गए. इंदौर में जब जोगी कलेक्टर बने, तब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी थे. वहां उन्हें सेठी की छत्रछाया मिली. इसी तरह ग्वालियर में कलेक्टर रहते वे माधवराव सिंधिया के संपर्क में आए. रायपुर में कलेक्टर रहते श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल से उनकी नजदीकियां बनी. सीधी पहुंचे तो वे अर्जुन सिंह के संपर्क में आए. अर्जुन सिंह के जरिए ही राजीव गांधी तक पहुंच बनाई. इसके बाद उन्होंने प्रशासनिक गलियारे छोड़ राजनीति की राह पकड़ ली.

प्रवक्ता से सीएम तक पहुंचे जोगी

राजनीति की राह पकड़ने के बाद वे कांग्रेस के प्रवक्ता बने, राजीव गांधी का नजदीकी होने की वजह से उन्हें राज्यसभा का टिकट मिल गया. वे दो बार राज्यसभा भेजे गए. बाद में 1998 में रायगढ़ से चुनाव लड़कर लोकसभा भी पहुंचे. छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने की सुगबुगाहट के साथ उन्होंने सूबे की सियायत में अपना दखल बढ़ाया और नए राज्य के गठन के साथ छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने.

विवादों से भी रहा जोगी का नाता

अजीत जोगी अपने तेवरों और विवादों के कारण हमेशा चर्चा में बने रहे. साल 2007 में जोगी और उनके बेटे को एनसीपी के कोशाध्यक्ष रामअवतर जग्गी की हत्या के केस में गिरफ्तार किया गया. वरिष्ट पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया ने बताया कि, जोगी को जानने वाले अक्सर कहते थे कि, जब अजीत जोगी कलेक्टर थे, तब वे राजनीति किया करते थे और जब वे राजनीति में रहे तो कलेक्टरी की.

Last Updated : May 29, 2020, 8:51 PM IST
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