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जवाहर नवोदय स्कूल का नाम पीएम श्री करने पर आपत्ति, दिग्गी ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र-संकीर्ण मानसिकता मत दिखाइए

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Published : Mar 14, 2023, 10:37 PM IST

कहा जाता है कि नाम में क्या रखा है. लेकिन देश की सियासत में इस वक्त नाम बदलने की आंधी चल रही है. इस फेहरिस्त में अब जवाहर नवोदय स्कूल भी शामिल हो रहा है. इसका नाम बदलकर पीएमश्री स्कूल किया जाएगा. केंद्र सरकार की इस कवायद पर कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आपत्ति जताई है.

Jawahar Navodaya School
जवाहर नवोदय स्कूल

भोपाल। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जवाहर नवोदय विद्यालय का नाम बदलने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि भारत के 'लाल' जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों का नामकरण किया था. ऐसे में नाम बदलने की संकीर्ण मानसिकता वाले प्रयासों को रोका जाना चाहिए. यह केंद्र सरकार द्वारा दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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नवोदय के छात्रों ने देश के विकास में अहम योगदान दिया: दिग्विजय सिंह ने लिखा, 'पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को सामने लाने और उनके शैक्षणिक विकास के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय पूरे देश में प्रारंभ कराए थे. यह शिक्षा के क्षेत्र में आजादी के बाद का सबसे क्रांतिकारी कदम था. बीते 36 वर्ष में नवोदय विद्यालयों से निकले लाखों छात्रों ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर नवोदय विद्यालयों का नामकरण किया गया था.'

objection to renaming
नाम बदलने पर आपत्ति
शिक्षा मंत्रालय बदल रहा नाम: दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है, 'पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर स्थापित जवाहर नवोदय विद्यालयों का नाम आपके शिक्षा मंत्रालय द्वारा चरणबद्ध तरीके से बदला जा रहा है. इन स्कूलों को पीएम श्री स्कूल नाम दिया जा रहा है. इस बात की पुष्टि के लिए मैं जवाहर नवोदय विद्यालय समिति के डिप्टी कमिश्नर द्वारा 22 दिसम्बर 2022 को जारी पत्र की प्रति पत्र के साथ संलग्न अवलोकनार्थ प्रेषित कर रहा हूं.'
objection to renaming
प्रधानमंत्री को लिखा खत
नेहरू का नाम मिटाने की कोशिश: दिग्गी ने लिखा, 'यह बड़े खेद का विषय है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के नाम को जनमानस की स्मृति से हटाने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह कृत्सित प्रयास किया जा रहा है. आपको विदित होगा कि डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा लिखित भारत के संविधान में पं. जवाहर लाल नेहरू ने देश में शिक्षा की अलख जगाने के लिये 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने का विधान बनाया था. पं. नेहरू के कार्यकाल में ही देश को आई.आई.टी., आई.आई.एम., एम्स और सेन्ट्रल स्कूल जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मिले थे. भारत को 21वीं सदी में दुनिया का सबसे शिक्षित समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का स्वप्न देखने वाले युगदृष्टा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में 1986 में नई शिक्षा नीति लागू करवाई थी. इसी दौरान देश के 85 प्रतिशत ग्रामीणों के गरीब बच्चों को सर्वश्रेष्ठ उच्चतर माध्यमिक शिक्षा दिलाए जाने के लिए पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर आवासीय विद्यालय प्रारंभ कराए गए थे और उन विद्यालयों में ग्रामीण बच्चों को रहवासी सुविधा उपलब्ध कराई थी. उस वक्त देश के 7 लाख गांवों में रहने वाले इन प्रतिभाशाली बच्चों की पढ़ाई का खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाने का निर्णय राजीव गांधी द्वारा लिया गया था.

छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता: दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है, 'आपकी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण काम करने की जगह पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर संचालित स्कूलों के नाम बदलने का काम कर रही है. आप पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर स्थापित इंदिरा आवास योजना का नाम बदल चुके हैं. आपके अधीन कार्यरत शिक्षा मंत्रालय द्वारा दो-दो पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का नाम और स्व. राजीव गांधी का काम, दोनों को ही इतिहास से मिटाने का कदम उठाया जा रहा है. भारतीय राजनीति के पुरोधा और कवि हृदय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी एक कविता में लिखा था कि छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता, यह पक्तियां बहुत कुछ कह जाती हैं. लोक कल्याण की राजनीति छोटी और संकीर्ण सोच की जगह बड़े सोच के साथ काम करने की शिक्षा देती है. पहले से बनी लाइन को छोटी करके न कोई दल बड़ा बन सकता है न कोई राष्ट्र शक्तिशाली बन सकता है.'

भोपाल। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जवाहर नवोदय विद्यालय का नाम बदलने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि भारत के 'लाल' जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों का नामकरण किया था. ऐसे में नाम बदलने की संकीर्ण मानसिकता वाले प्रयासों को रोका जाना चाहिए. यह केंद्र सरकार द्वारा दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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नवोदय के छात्रों ने देश के विकास में अहम योगदान दिया: दिग्विजय सिंह ने लिखा, 'पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को सामने लाने और उनके शैक्षणिक विकास के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय पूरे देश में प्रारंभ कराए थे. यह शिक्षा के क्षेत्र में आजादी के बाद का सबसे क्रांतिकारी कदम था. बीते 36 वर्ष में नवोदय विद्यालयों से निकले लाखों छात्रों ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर नवोदय विद्यालयों का नामकरण किया गया था.'

objection to renaming
नाम बदलने पर आपत्ति
शिक्षा मंत्रालय बदल रहा नाम: दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है, 'पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर स्थापित जवाहर नवोदय विद्यालयों का नाम आपके शिक्षा मंत्रालय द्वारा चरणबद्ध तरीके से बदला जा रहा है. इन स्कूलों को पीएम श्री स्कूल नाम दिया जा रहा है. इस बात की पुष्टि के लिए मैं जवाहर नवोदय विद्यालय समिति के डिप्टी कमिश्नर द्वारा 22 दिसम्बर 2022 को जारी पत्र की प्रति पत्र के साथ संलग्न अवलोकनार्थ प्रेषित कर रहा हूं.'
objection to renaming
प्रधानमंत्री को लिखा खत
नेहरू का नाम मिटाने की कोशिश: दिग्गी ने लिखा, 'यह बड़े खेद का विषय है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के नाम को जनमानस की स्मृति से हटाने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह कृत्सित प्रयास किया जा रहा है. आपको विदित होगा कि डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा लिखित भारत के संविधान में पं. जवाहर लाल नेहरू ने देश में शिक्षा की अलख जगाने के लिये 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने का विधान बनाया था. पं. नेहरू के कार्यकाल में ही देश को आई.आई.टी., आई.आई.एम., एम्स और सेन्ट्रल स्कूल जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मिले थे. भारत को 21वीं सदी में दुनिया का सबसे शिक्षित समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का स्वप्न देखने वाले युगदृष्टा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में 1986 में नई शिक्षा नीति लागू करवाई थी. इसी दौरान देश के 85 प्रतिशत ग्रामीणों के गरीब बच्चों को सर्वश्रेष्ठ उच्चतर माध्यमिक शिक्षा दिलाए जाने के लिए पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर आवासीय विद्यालय प्रारंभ कराए गए थे और उन विद्यालयों में ग्रामीण बच्चों को रहवासी सुविधा उपलब्ध कराई थी. उस वक्त देश के 7 लाख गांवों में रहने वाले इन प्रतिभाशाली बच्चों की पढ़ाई का खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाने का निर्णय राजीव गांधी द्वारा लिया गया था.

छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता: दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है, 'आपकी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण काम करने की जगह पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर संचालित स्कूलों के नाम बदलने का काम कर रही है. आप पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर स्थापित इंदिरा आवास योजना का नाम बदल चुके हैं. आपके अधीन कार्यरत शिक्षा मंत्रालय द्वारा दो-दो पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का नाम और स्व. राजीव गांधी का काम, दोनों को ही इतिहास से मिटाने का कदम उठाया जा रहा है. भारतीय राजनीति के पुरोधा और कवि हृदय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी एक कविता में लिखा था कि छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता, यह पक्तियां बहुत कुछ कह जाती हैं. लोक कल्याण की राजनीति छोटी और संकीर्ण सोच की जगह बड़े सोच के साथ काम करने की शिक्षा देती है. पहले से बनी लाइन को छोटी करके न कोई दल बड़ा बन सकता है न कोई राष्ट्र शक्तिशाली बन सकता है.'

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