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कोरोना काल में क्यों बढ़ रहे है मानसिक रोगी? जानिए क्या है इसके कारण और बचने के उपाय

कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक उसका डर है, और यह डर ही लोगों की मानसिक स्थिति को बिगड़ रहा है. यह कहना है मनोचिकित्सक डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का. डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य के अनुसार करोना काल में मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है. और उनके पास ऐसे मरीजों के रोज फोन और ऑनलाइन पेशेंट आ रहे हैं. डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का कहना है कि कोरोना वायरस से डिप्रेशन बढ़ रहा है, इससे मुक्त होने के लिए 8 घंटे की निंद लेना चाहिए और दिन में कम से कम 45 मीनट योग या एक्ससाई करनी चाहिए.

Why are mental patients increasing during the Corona period?
कोरोना काल में क्यों बढ़ रहे है मानसिक रोगी?
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Published : Jun 13, 2021, 7:21 PM IST

भोपाल। भागती-दौड़ती जिंदगी में अचानक लगे इस ब्रेक और कोरोना वायरस के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है. इस बीच चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं. कई लोग मौजूदा स्थिति में डरा हुआ या अकेला महसूस कर रहे हैं. लोगों के मन में अब यहीं विचार आते हैं की हमारा क्या होगा. मनोचिकित्सक डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य कहती हैं कि लोगों के लिए पूरा माहौल बदल गया है. अचानक से स्कूल, ऑफिस, बिजेनस बंद हो गए, बाहर नहीं जाना है और दिनभर कोरोना वायरस की ही खबरें देखनी हैं. इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ना स्वाभाविक है. कोरोना वायरस के इस अनदेखे असर के कारण वर्तमान में मानसिक तनाव के मरीज बढ़ रहे है.

कोरोना काल में क्यों बढ़ रहे है मानसिक रोगी?
  • कोरोना काल में मानसिक तनाव बढ़ाने वाली तीन वजह

डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का मानना है कि लोगों को परेशान करने वालीं तीन वजहें हैं. एक तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार लेकर अनिश्चितता और तीसरा लॉकडाउन के कारण आया अकेलापन. इन स्थितियों का असर ये होता है कि स्ट्रेस बढ़ने लगता है. सामान्य स्ट्रेस तो हमारे लिए अच्छा होता है. इससे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, लेकिन ज्यादा स्ट्रेस, डिस्ट्रेस बन जाता है. ये तब होता है जब हमें आगे कोई रास्ता नहीं दिखता. घबराहट होती है, ऊर्जाहीन महसूस होता है. फिलहाल महामारी को लेकर इतनी अनिश्चितता और उलझन है, कि कब तक सब ठीक होगा. ऐसे में सभी के तनाव में आने का खतरा बना हुआ है.

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  • तनाव का मनुष्य के शरीर पर असर

कोरोना काल में बढ़े तनाव का असर मनुष्य के शरीर के हर हीस्से पर पड़ता है. मस्तिष्क से लेकर शरीर भावनाओं तक इसका असर हो रहा है. डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य के अनुसार शरीर पर कोरोना काल का असर...

  1. शरीर पर असर- बार-बार सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, थकान, और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव.
  2. भावनात्मक असर– चिंता, गुस्सा, डर, चिड़चिड़पना, उदासी और उलझन हो सकती है.
  3. दिमाग पर असर– बार-बार बुरे ख्याल आना. जैसे मेरी नौकरी चली गई तो क्या होगा, परिवार कैसा चलेगा, मुझे कोरोना वायरस हो गया तो क्या करेंगे. सही और गलत समझ ना आना, ध्यान नहीं लगा पाना.
  4. व्यवहार पर असर– ऐसे में लोग शराब, तंबाकू, सिगरेट का सेवन ज्यादा करने लगते हैं. कोई ज्यादा टीवी देखने लगता है, कोई चीखने-चिल्लाने लगता है, तो कोई चुप्पी साध लेता है.

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  • कैसे दूर होगा स्ट्रेस

मानसिक तनाव की स्थिति से बाहर निकलना बहुत जरूरी है, वरना तनाव अंतहीन हो सकता है. मनोचिकित्सक के मुताबिक आप कुछ तरीकों से खुद को शांत रख सकते हैं ताकि आप स्वस्थ रहें.

  1. खुद को मानसिक रूप से मजबूत करना जरूरी है. आपको ध्यान रखना है कि सबकुछ फिर से ठीक होगा और पूरी दुनिया इस कोशिश में जुटी हुई है.
  2. बस धैर्य के साथ इंतजार करें. अपने रिश्तों को मजबूत करें. छोटी-छोटी बातों का बुरा ना मानें. एक-दूसरे से बातें करें और सदस्यों का ख्याल रखें.
  3. निगेटिव बातों पर चर्चा कम करें. घर से बाहर तो नहीं निकल सकते लेकिन, छत पर, खिड़की पर, बालकनी या घर के बगीचे में आकर खड़े हो जाए. सूरज की रोशनी से भी हमें अच्छा महसूस होता है.
  4. अपनी दिनचर्या को बनाए रखें. इससे हमें एक उद्देश्य मिलता है और सामान्य महसूस होता है. हमेशा की तरह समय पर सोना, जागना, खाना-पीना और व्यायाम करें.
  5. एक महत्वपूर्ण तरीका ये है कि इस समय का इस्तेमाल अपनी हॉबी पूरी करने में करें. वो मनपसंद काम जो समय न मिलने के कारण आप ना कर पाए हों. इससे आपको बेहद खुशी मिलेगी जैसे कोई अधूरी इच्छा पूरी हो गई है.
  6. अपनी भावनाओं को जाहिर करना. अगर डर, उदासी है तो अपने अंदर छुपाएं नहीं बल्कि परिजनों या दोस्तों के साथ शेयर करें.
  7. जिस बात का बुरा लगता है, उसे पहचानें और जाहिर करें, लेकिन वो गुस्सा कहीं और ना निकालें. भले ही आप परिवार के साथ घर पर रह रहें फिर भी अपने लिए कुछ समय जरूर निकालें.
  8. आप जो सोच रहे हैं, उस पर विचार करें. अपने आप से भी सवाल पूछें. जितना हो पॉजिटिव नतीजे पर पहुंचने की कोशिश करें.
  9. सबसे बड़ी बात बुरे वक्त में भी अच्छे पक्षों पर गौर करना है. जैसे अभी महामारी है, लॉकडाउन है, लेकिन इस बीच आपके पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए, अपनी हॉबी पूरी करने के लिए काफी वक्त है. इस मौके पर भी ध्यान दें.

भोपाल। भागती-दौड़ती जिंदगी में अचानक लगे इस ब्रेक और कोरोना वायरस के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है. इस बीच चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं. कई लोग मौजूदा स्थिति में डरा हुआ या अकेला महसूस कर रहे हैं. लोगों के मन में अब यहीं विचार आते हैं की हमारा क्या होगा. मनोचिकित्सक डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य कहती हैं कि लोगों के लिए पूरा माहौल बदल गया है. अचानक से स्कूल, ऑफिस, बिजेनस बंद हो गए, बाहर नहीं जाना है और दिनभर कोरोना वायरस की ही खबरें देखनी हैं. इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ना स्वाभाविक है. कोरोना वायरस के इस अनदेखे असर के कारण वर्तमान में मानसिक तनाव के मरीज बढ़ रहे है.

कोरोना काल में क्यों बढ़ रहे है मानसिक रोगी?
  • कोरोना काल में मानसिक तनाव बढ़ाने वाली तीन वजह

डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का मानना है कि लोगों को परेशान करने वालीं तीन वजहें हैं. एक तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर, दूसरा नौकरी और कारोबार लेकर अनिश्चितता और तीसरा लॉकडाउन के कारण आया अकेलापन. इन स्थितियों का असर ये होता है कि स्ट्रेस बढ़ने लगता है. सामान्य स्ट्रेस तो हमारे लिए अच्छा होता है. इससे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, लेकिन ज्यादा स्ट्रेस, डिस्ट्रेस बन जाता है. ये तब होता है जब हमें आगे कोई रास्ता नहीं दिखता. घबराहट होती है, ऊर्जाहीन महसूस होता है. फिलहाल महामारी को लेकर इतनी अनिश्चितता और उलझन है, कि कब तक सब ठीक होगा. ऐसे में सभी के तनाव में आने का खतरा बना हुआ है.

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  • तनाव का मनुष्य के शरीर पर असर

कोरोना काल में बढ़े तनाव का असर मनुष्य के शरीर के हर हीस्से पर पड़ता है. मस्तिष्क से लेकर शरीर भावनाओं तक इसका असर हो रहा है. डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य के अनुसार शरीर पर कोरोना काल का असर...

  1. शरीर पर असर- बार-बार सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, थकान, और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव.
  2. भावनात्मक असर– चिंता, गुस्सा, डर, चिड़चिड़पना, उदासी और उलझन हो सकती है.
  3. दिमाग पर असर– बार-बार बुरे ख्याल आना. जैसे मेरी नौकरी चली गई तो क्या होगा, परिवार कैसा चलेगा, मुझे कोरोना वायरस हो गया तो क्या करेंगे. सही और गलत समझ ना आना, ध्यान नहीं लगा पाना.
  4. व्यवहार पर असर– ऐसे में लोग शराब, तंबाकू, सिगरेट का सेवन ज्यादा करने लगते हैं. कोई ज्यादा टीवी देखने लगता है, कोई चीखने-चिल्लाने लगता है, तो कोई चुप्पी साध लेता है.

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  • कैसे दूर होगा स्ट्रेस

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  1. खुद को मानसिक रूप से मजबूत करना जरूरी है. आपको ध्यान रखना है कि सबकुछ फिर से ठीक होगा और पूरी दुनिया इस कोशिश में जुटी हुई है.
  2. बस धैर्य के साथ इंतजार करें. अपने रिश्तों को मजबूत करें. छोटी-छोटी बातों का बुरा ना मानें. एक-दूसरे से बातें करें और सदस्यों का ख्याल रखें.
  3. निगेटिव बातों पर चर्चा कम करें. घर से बाहर तो नहीं निकल सकते लेकिन, छत पर, खिड़की पर, बालकनी या घर के बगीचे में आकर खड़े हो जाए. सूरज की रोशनी से भी हमें अच्छा महसूस होता है.
  4. अपनी दिनचर्या को बनाए रखें. इससे हमें एक उद्देश्य मिलता है और सामान्य महसूस होता है. हमेशा की तरह समय पर सोना, जागना, खाना-पीना और व्यायाम करें.
  5. एक महत्वपूर्ण तरीका ये है कि इस समय का इस्तेमाल अपनी हॉबी पूरी करने में करें. वो मनपसंद काम जो समय न मिलने के कारण आप ना कर पाए हों. इससे आपको बेहद खुशी मिलेगी जैसे कोई अधूरी इच्छा पूरी हो गई है.
  6. अपनी भावनाओं को जाहिर करना. अगर डर, उदासी है तो अपने अंदर छुपाएं नहीं बल्कि परिजनों या दोस्तों के साथ शेयर करें.
  7. जिस बात का बुरा लगता है, उसे पहचानें और जाहिर करें, लेकिन वो गुस्सा कहीं और ना निकालें. भले ही आप परिवार के साथ घर पर रह रहें फिर भी अपने लिए कुछ समय जरूर निकालें.
  8. आप जो सोच रहे हैं, उस पर विचार करें. अपने आप से भी सवाल पूछें. जितना हो पॉजिटिव नतीजे पर पहुंचने की कोशिश करें.
  9. सबसे बड़ी बात बुरे वक्त में भी अच्छे पक्षों पर गौर करना है. जैसे अभी महामारी है, लॉकडाउन है, लेकिन इस बीच आपके पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए, अपनी हॉबी पूरी करने के लिए काफी वक्त है. इस मौके पर भी ध्यान दें.
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