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एमपी की सियासत में अब आगे की स्थिति...

मध्यप्रदेश की सियासत में 20 मार्च का दिन बेहद अहम है. 17 दिनों से चली आ रही उठापटक के बाद आखिरकार कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. एमपी की सियासत भोपाल से होती हुई जयपुर, बेंगलुरु, गुरुग्राम और सीहोर तक पहुंची. सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद उनके समर्थन में 22 विधायकों ने भी उनका साथ दिया, जिसने कमलनाथ सरकार को अस्थिर कर दिया. अब स्थिति उपचुनाव की ओर है. सवाल कई हैं लेकिन अब सबसे अहम सवाल ये है कि इन विधायकों का होगा क्या और सियासत किस करवट बैठेगी.... देखिए खास रिपोर्ट

Politics of MP
एमपी की सियासत
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Published : Mar 20, 2020, 3:32 PM IST

भोपाल। एमपी में पिछले कई दिनों से जारी सियासी घमासान उस वक्त खत्म हुआ जब कमलनाथ ने राज्यपाल को सीएम पद से इस्तीफा सौंप दिया. कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब कई और सवाल खड़े हो गए हैं, जैसे प्रदेश में आगे की स्थिति क्या होगी, साथ ही उपचुनाव में क्या समीकरण रहेंगे.

विधानसभा की मौजूदा स्थिति

230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में जौरा और आगर विधानसभा सीट के विधायकों की मौत के बाद 228 विधायक बचे थे. वहीं सियासी घमासान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया समर्थक 22 बागी कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया. वहीं बीजेपी के भी एक विधायक शरद कोल ने इस्तीफा दे दिया.

Majority current figure
बहुमत का मौजूदा आंकड़ा

विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने पहले 6 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया. वहीं बचे 16 विधायकों का इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंजूर कर लिया गया. इस तरह कुल 25 विधायकों के कम हो जाने के कारण अब विधानसभा में कुल 205 सदस्य रह गए हैं, जिसमें 106 बीजेपी वहीं 92 कांग्रेस के हैं.

Current state of MP assembly
एमपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति

उपचुनाव की स्थिति

जो 25 सीटें खाली हुई हैं उन पर अगले 6 महीने में उपचुनाव होंगे. 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 116 है. ऐसे में मौजूदा स्थिति को देखते हुए उपचुनाव वाली 25 सीटों में से बीजेपी को बहुमत के लिए 10 सीटें वहीं कांग्रेस को 24 सीटें जीतनीं होगीं. ऐसे में बीजेपी के लिए राह आसान दिख रही है, वहीं कांग्रेस के लिए 24 सीटें जीतना किसी करिश्में जैसा ही होगा.

इसका एक कारण ये है कि 25 में ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल और मालवा रीजन की हैं. यहां सिंधिया का काफी वर्चस्व माना जाता है. कांग्रेस के बागी 22 पूर्व विधायक भी सिंधिया समर्थक ही हैं, ऐसे में कांग्रेस के लिए बीजेपी के हो चुके सिधिंया का किला भेद पाना आसान नहीं लगता.

Who has how many seats
अभी किसके पास कितनी सीटें

बागियों का क्या होगा?

कांग्रेस के 22 पूर्व विधायकों के सामने बड़ा सवाल है कि अब वो बीजेपी में जाएंगे या निर्दलीय रहेंगे या फिर नई पार्टी भी बना सकते हैं. स्थिति चाहे जो भी बने लेकिन इन सभी के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र में दोबारा जीतना चुनौती भरा होगा. सभी ने सिंधिया के समर्थन में 2 से 3 बार वीडियो जारी किए, जिसमें उन्होंने सिंधिया पर विश्वास जताते हुए कहा था कि जहां सिंधिया जाएंगे वहीं वो भी जाएंगे. अब देखना होगा कि सिंधिया क्या करेंगे.

अहम होगा सिंधिया का रोल

आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में सिंधिया का अहम रोल होगा, उपचुनाव वाले लगभग सभी इलाके सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल और मालवा रीजन में ही आते हैं, वहीं इस्तीफा देने वाले 22 विधायक भी सिंधिया समर्थक हैं, ऐसे में इनका राजनीतिक भविष्य भी काफी हद तक सिंधिया पर ही निर्भर रहेगा.

भोपाल। एमपी में पिछले कई दिनों से जारी सियासी घमासान उस वक्त खत्म हुआ जब कमलनाथ ने राज्यपाल को सीएम पद से इस्तीफा सौंप दिया. कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब कई और सवाल खड़े हो गए हैं, जैसे प्रदेश में आगे की स्थिति क्या होगी, साथ ही उपचुनाव में क्या समीकरण रहेंगे.

विधानसभा की मौजूदा स्थिति

230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में जौरा और आगर विधानसभा सीट के विधायकों की मौत के बाद 228 विधायक बचे थे. वहीं सियासी घमासान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया समर्थक 22 बागी कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया. वहीं बीजेपी के भी एक विधायक शरद कोल ने इस्तीफा दे दिया.

Majority current figure
बहुमत का मौजूदा आंकड़ा

विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने पहले 6 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया. वहीं बचे 16 विधायकों का इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंजूर कर लिया गया. इस तरह कुल 25 विधायकों के कम हो जाने के कारण अब विधानसभा में कुल 205 सदस्य रह गए हैं, जिसमें 106 बीजेपी वहीं 92 कांग्रेस के हैं.

Current state of MP assembly
एमपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति

उपचुनाव की स्थिति

जो 25 सीटें खाली हुई हैं उन पर अगले 6 महीने में उपचुनाव होंगे. 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 116 है. ऐसे में मौजूदा स्थिति को देखते हुए उपचुनाव वाली 25 सीटों में से बीजेपी को बहुमत के लिए 10 सीटें वहीं कांग्रेस को 24 सीटें जीतनीं होगीं. ऐसे में बीजेपी के लिए राह आसान दिख रही है, वहीं कांग्रेस के लिए 24 सीटें जीतना किसी करिश्में जैसा ही होगा.

इसका एक कारण ये है कि 25 में ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल और मालवा रीजन की हैं. यहां सिंधिया का काफी वर्चस्व माना जाता है. कांग्रेस के बागी 22 पूर्व विधायक भी सिंधिया समर्थक ही हैं, ऐसे में कांग्रेस के लिए बीजेपी के हो चुके सिधिंया का किला भेद पाना आसान नहीं लगता.

Who has how many seats
अभी किसके पास कितनी सीटें

बागियों का क्या होगा?

कांग्रेस के 22 पूर्व विधायकों के सामने बड़ा सवाल है कि अब वो बीजेपी में जाएंगे या निर्दलीय रहेंगे या फिर नई पार्टी भी बना सकते हैं. स्थिति चाहे जो भी बने लेकिन इन सभी के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र में दोबारा जीतना चुनौती भरा होगा. सभी ने सिंधिया के समर्थन में 2 से 3 बार वीडियो जारी किए, जिसमें उन्होंने सिंधिया पर विश्वास जताते हुए कहा था कि जहां सिंधिया जाएंगे वहीं वो भी जाएंगे. अब देखना होगा कि सिंधिया क्या करेंगे.

अहम होगा सिंधिया का रोल

आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में सिंधिया का अहम रोल होगा, उपचुनाव वाले लगभग सभी इलाके सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल और मालवा रीजन में ही आते हैं, वहीं इस्तीफा देने वाले 22 विधायक भी सिंधिया समर्थक हैं, ऐसे में इनका राजनीतिक भविष्य भी काफी हद तक सिंधिया पर ही निर्भर रहेगा.

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