भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए मोहन यादव अपने गृह जिले उज्जैन में अब रात नहीं रुक पाएंगे. हालांकि सीएम बनने के बाद उनका ठिकाना भोपाल के मुख्यमंत्री आवास पर होगा. लेकिन सीएम पद की शपथ लेने के बाद भी कभी उज्जैन में रात रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे. दरअसल इसे अंधविश्वास कहें या सालों से चली आ रही परम्परा, लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन में मुख्यमंत्री मंत्री रात नहीं रुकते. क्योंकि माना जाता है कि जो मुख्यमंत्री या मंत्री महाकाल की नगरी में रात रुकता है उसकी सत्ता हाथों से छिन जाती है. यही वजह है कि मोहन यादव का विधानसभा क्षेत्र भले ही उज्जैन हो लेकिन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वे यहां रात रुकने का जोखिम नहीं उठाएंगे.
उज्जैन के राजा कहलाते हैं महाकाल: महाकाल की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में वैसे तो मंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा करते रहते हैं लेकिन भी यहां रुकने की हिम्मत नहीं जुटाते. दरअसल माना जाता है कि महाकाल आज भी उज्जैन के राजा है और ऐसे में यहां किसी दूसरे राजा का ठहरना उचित नहीं होता. यदि ऐसा होता है तो उन्हें इसकी सजा भी भुगतानी पड़ सकती है. यही वजह है कि इस परंपरा का मंत्री और मुख्यमंत्री निर्वहन करते आए हैं.
इन्हें गंवानी पड़ी थी अपनी सत्ता: दरअसल परंपरा या मिथक यूं ही नहीं बनते इसके साथ कारण जुड़ती जाते हैं और यह समय के साथ और मजबूत होते जाते हैं. ऐसा ही महाकाल की नगरी उज्जैन के साथ भी है. बताया जाता है कि आजादी के बाद देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंची थे. बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री रात में उज्जैन में ही रुके और अगले दिन उन्हें अपनी सत्ता से हाथ गंवाना पड़ा. कर्नाटक के मुख्यमंत्री वायएस येदियुरप्पा भी रात में उज्जैन रुके थे और उसके कुछ दिन बाद ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. माना जाता है कि राजा भोज के समय से कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता.
सिंहस्थ के दौरान भी शिवराज कभी उज्जैन में रात नहीं रुके: पिछले सिंहस्थ के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार तैयारी को लेकर उज्जैन के दौरे किए. वे कई बार कई घंटे तक उज्जैन में रुके रहे, लेकिन उन्होंने कभी भी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं किया. उन्हें डर था कि यहां रात रुक गए तो उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ता है.