भोपाल। कमलनाथ सरकार ने हैप्पीनेस इंडेक्स की कवायद को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा देश में पहली बार मध्यप्रदेश में आनंद विभाग का गठन किया था, इस विभाग के जरिए उन्होंने प्रदेश के लोगों का हैप्पीनेस इंडेक्स जानने की कवायद शुरू की थी लेकिन इसकी शुरूआत से पहले मध्यप्रदेश में सरकार बदल गई. कमलनाथ सरकार के आते ही विभाग का नाम बदलकर आध्यात्म विभाग कर दिया गया और नए सिरे से एजेंडा तैयार किया गया था. अब हैप्पीनेस इंडेक्स की कवायद को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और इसी विभाग के जरिए कमलनाथ सरकार नए सिरे से अपने धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ा रही है.
शिवराज सरकार ने साल 2017 को आनंद विभाग के जरिए प्रदेश के लोगों की खुशी का सूचकांक (हैप्पीनेस इंडेक्स) जानने की कवायद शुरू की थी. इसमें आईआईटी खड़गपुर, ईशा फाउंडेशन और श्री श्री रवि शंकर की संस्थाओं को जोड़ा गया था. प्रदेश के लोगों का हैप्पीनेस इंडेक्स जानने के लिए एक प्रश्नावली तैयार की गई थी और सर्वे के माध्यम से इसकी शुरुआत होनी थी.
हैप्पीनेस इंडेक्स के लिए ईशा फाउंडेशन और श्री श्री रविशंकर की संस्था ने प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी किया था, लेकिन इसी बीच विधानसभा चुनाव आ गए और मध्यप्रदेश कमलनाथ सरकार अस्तित्व में आई. एक तरफ तो मध्यप्रदेश में वित्तीय संकट था और दूसरी तरफ शिवराज सिंह का एजेंडा कमलनाथ सरकार आगे नहीं ले जाना चाहती थी. एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि बीजेपी से नजदीकी रखने वाले ईशा फाउंडेशन और श्री श्री रविशंकर की संस्थाओं को इस कवायद में भारी-भरकम राशि दी जा रही थी. इसलिए कमलनाथ सरकार ने एजेंडे को ठंडे बस्ते में डाल दिया और अभी तक मध्यप्रदेश का हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार नहीं किया गया है.जो कर्मचारी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. उनको सरकार पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक प्रशिक्षण देने के लिए भेज रही है.
इस मामले में कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा गोलमोल जवाब देते हैं. उनका कहना है कि अध्यात्म विभाग का उद्देश्य है कि लोगों को तनाव मुक्त रहने के तरीके सिखाए जाएं, कर्मचारी पंचायत स्तर तक जा रहे हैं और लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. हैप्पीनेस इंडेक्स को लेकर मंत्री पीसी शर्मा ने उस पर काम चलने की बात कही है.