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MP Winter session 2021: प्रश्नकाल में नई व्यवस्था होगी लागू, ज्यादा विधायक पूछ सकेंगे सवाल - मध्य प्रदेश विधानसभा लेटेस्ट न्यूज.

मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान नई व्यवस्था लागू की जाएगी. इसका निर्णय विधानसभा की सर्वदलीय बैठक में हुआ है. विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम का कहना है कि पुरानी व्यवस्था से प्रश्नकाल में समय की कमी होती थी. इस व्यवस्था से प्रश्नकाल में समय की बचत होगी. अधिक विधायक अपने प्रश्न पूछ पाएंगे.

new system implemented in mp assembly
एमपी विधानसभा में नई व्यवस्था लागू
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Published : Dec 19, 2021, 4:32 PM IST

भोपाल। सोमवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा के प्रश्नकाल के दौरान विधायकों को क्षेत्र की समस्याएं उठाने के लिए ज्यादा समय और मौका मिलेगा. विधानसभा सत्र की पहली सर्वदलीय बैठक में इसके लिए एक फार्मूला तय किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि, प्रश्नकाल में विधायक पूछे गए प्रश्न और दिए गए लिखित जवाब से असंतुष्ट होने पर सिर्फ पूरक प्रश्न ही पूछ पाएंगे.

एमपी विधानसभा में नई व्यवस्था लागू

इससे जहां दूसरे विधायकों को सवाल पूछने का मौका मिलेगा. वहीं मंत्री भी बेहतर तरीके से अपना जवाब प्रस्तुत कर पाएंगे. उधर, इस बार 22 दिसंबर को प्रश्नकाल के दौरान सिर्फ पहली बार के विधायक और महिला विधायक के प्रश्न ही प्रश्नकाल में लिए जाएंगे. सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्य बढ़ाए जाने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है.

25 विधायकों को मिलता है सवाल पूछने का मौका

विधानसभा सत्र के दौरान शुरुआत का एक घंटा प्रश्नकाल के लिए निर्धारित किया जाता है. प्रश्नकाल के लिए लॉटरी निकाल कर तारांकित सवालों के रूप में 25 प्रश्नों को चुना जाता है. इन प्रश्नों को लेकर संबंधित विधायक सदन में अपनी बात रखते हैं. हालांकि विधायक द्वारा पूछे गए सवाल और उसका उत्तर लिखित में पहली ही संबंधित विभाग द्वारा विधायक को भेज दिया जाता है.

आमतौर पर विधायक जब प्रश्नकाल के दौरान अपनी बारी आने पर बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो सबसे पहले वे सवाल बताते हैं और भेजे गए उत्तर की जानकारी देते हैं. इसके बाद ही उससे जुड़े अन्य प्रश्न सदन के सामने रखते हैं. इसकी वजह से निर्धारित समय खराब जाता है और दूसरे विधायकों को निर्धारित 1 घंटे के समय में से प्रश्न पूछने का अवसर ही नहीं मिलता.

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अब यह की गई है व्यवस्था

विधानसभा की सर्वदलीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि विधायक प्रश्नकाल के दौरान पहले से मिले उत्तर से असंतुष्ट होने पर ही सवाल पूछ सकेंगे. बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं ने इस पर अपनी सहमति जताई है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि, प्रश्नकाल के दौरान यदि कोई विधायक पहले से मिल चुके उत्तर से असंतुष्ट है तो वह इससे जुड़े प्रश्न ही पूछ सकेंगे.

इस संबंध में जिन विधायकों के सवाल प्रश्नकाल में पूछे जाने हैं, उन को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दे दी गई है. नई व्यवस्था से प्रश्नकाल के समय की बचत होगी और सभी 25 प्रश्नों को सदन में रखा जा सकेगा.

पहली बार के विधायकों को मिलेगा मौका

विधानसभा की सर्वदलीय बैठक में तय किया गया है कि 22 दिसंबर को प्रश्नकाल में सिर्फ पहली बार के चुने हुए विधायकों और महिला विधायकों के सवाल ही दिए जाएंगे. दरअसल सत्र में चुनकर आने वाली पहली बार की विधायक अपनी बात बेहतर तरीके से नहीं रख पाते. ऐसे विधायक जनता की समस्याओं को सदन के सामने रख सके, इस बार यह व्यवस्था की गई है.

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नहीं बढ़ाई जाएगी सत्र की अवधि

सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेताओं ने कहा था कि विधानसभा का सत्र बहुत छोटा है. ऐसे में विपक्षी विधायक जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में बेहतर तरीके से नहीं उठा पाते. इसलिए सत्र बढ़ाया जाना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र बढ़ाए जाने की विपक्ष की मांग को नकार दिया है. उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष सार्थक मुद्दे पर बेहतर बहस चाहती है, तो कार्यवाही की समय अवधि को बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए लंच समय को खत्म किया जा सकता है. सत्र देर शाम तक भी चलाया जा सकता है.

भोपाल। सोमवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा के प्रश्नकाल के दौरान विधायकों को क्षेत्र की समस्याएं उठाने के लिए ज्यादा समय और मौका मिलेगा. विधानसभा सत्र की पहली सर्वदलीय बैठक में इसके लिए एक फार्मूला तय किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि, प्रश्नकाल में विधायक पूछे गए प्रश्न और दिए गए लिखित जवाब से असंतुष्ट होने पर सिर्फ पूरक प्रश्न ही पूछ पाएंगे.

एमपी विधानसभा में नई व्यवस्था लागू

इससे जहां दूसरे विधायकों को सवाल पूछने का मौका मिलेगा. वहीं मंत्री भी बेहतर तरीके से अपना जवाब प्रस्तुत कर पाएंगे. उधर, इस बार 22 दिसंबर को प्रश्नकाल के दौरान सिर्फ पहली बार के विधायक और महिला विधायक के प्रश्न ही प्रश्नकाल में लिए जाएंगे. सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्य बढ़ाए जाने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है.

25 विधायकों को मिलता है सवाल पूछने का मौका

विधानसभा सत्र के दौरान शुरुआत का एक घंटा प्रश्नकाल के लिए निर्धारित किया जाता है. प्रश्नकाल के लिए लॉटरी निकाल कर तारांकित सवालों के रूप में 25 प्रश्नों को चुना जाता है. इन प्रश्नों को लेकर संबंधित विधायक सदन में अपनी बात रखते हैं. हालांकि विधायक द्वारा पूछे गए सवाल और उसका उत्तर लिखित में पहली ही संबंधित विभाग द्वारा विधायक को भेज दिया जाता है.

आमतौर पर विधायक जब प्रश्नकाल के दौरान अपनी बारी आने पर बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो सबसे पहले वे सवाल बताते हैं और भेजे गए उत्तर की जानकारी देते हैं. इसके बाद ही उससे जुड़े अन्य प्रश्न सदन के सामने रखते हैं. इसकी वजह से निर्धारित समय खराब जाता है और दूसरे विधायकों को निर्धारित 1 घंटे के समय में से प्रश्न पूछने का अवसर ही नहीं मिलता.

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अब यह की गई है व्यवस्था

विधानसभा की सर्वदलीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि विधायक प्रश्नकाल के दौरान पहले से मिले उत्तर से असंतुष्ट होने पर ही सवाल पूछ सकेंगे. बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं ने इस पर अपनी सहमति जताई है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि, प्रश्नकाल के दौरान यदि कोई विधायक पहले से मिल चुके उत्तर से असंतुष्ट है तो वह इससे जुड़े प्रश्न ही पूछ सकेंगे.

इस संबंध में जिन विधायकों के सवाल प्रश्नकाल में पूछे जाने हैं, उन को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दे दी गई है. नई व्यवस्था से प्रश्नकाल के समय की बचत होगी और सभी 25 प्रश्नों को सदन में रखा जा सकेगा.

पहली बार के विधायकों को मिलेगा मौका

विधानसभा की सर्वदलीय बैठक में तय किया गया है कि 22 दिसंबर को प्रश्नकाल में सिर्फ पहली बार के चुने हुए विधायकों और महिला विधायकों के सवाल ही दिए जाएंगे. दरअसल सत्र में चुनकर आने वाली पहली बार की विधायक अपनी बात बेहतर तरीके से नहीं रख पाते. ऐसे विधायक जनता की समस्याओं को सदन के सामने रख सके, इस बार यह व्यवस्था की गई है.

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नहीं बढ़ाई जाएगी सत्र की अवधि

सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेताओं ने कहा था कि विधानसभा का सत्र बहुत छोटा है. ऐसे में विपक्षी विधायक जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में बेहतर तरीके से नहीं उठा पाते. इसलिए सत्र बढ़ाया जाना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र बढ़ाए जाने की विपक्ष की मांग को नकार दिया है. उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष सार्थक मुद्दे पर बेहतर बहस चाहती है, तो कार्यवाही की समय अवधि को बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए लंच समय को खत्म किया जा सकता है. सत्र देर शाम तक भी चलाया जा सकता है.

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