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नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं मां महागौरी, अष्टमी पर ऐसे करें प्रसन्न

भोपाल के कालिका देवी मंदिर में सुबह से ही महाष्टमी की धूम देखने को मिल रही है, जहां मंदिरों और घरों में महागौरी रूप का पूजन किया जा रहा है.

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Published : Oct 6, 2019, 10:36 AM IST

Updated : Oct 6, 2019, 11:42 AM IST

घर-मंदिरों में पूजी जाएंगी कन्याएं

भोपाल। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है और इसके साथ ही आज के दिन घर और मंदिरों में कन्याओं का पूजन किया जाता है. राजधानी के कालिका देवी मंदिर में भी सुबह से ही महाष्टमी की धूम देखने को मिल रही है, जहां भक्तों कि लगातार भीड़ उमड़ती जा रही है और साथ ही मंदिर परिसर में ही कन्याओं का पूजन किया जा रहा है. वहीं ऐसा माना जाता है कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती है इसलिए अष्ठमी और नवमी के दिन इनकी पूजा करके भोग लगाने से भक्तों की मुराद पूरी होती है.

नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं मां महागौरी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री 16 वर्ष की अवस्था में अत्यंत्र सुंदर और गौर वर्ण की थीं। अत्यंत गौर वर्ण के कारण ही माता का नाम महागौरी पड़ा।वहीं एक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश से कहीं दूर चली गईं और कठोर तपस्या करने लगीं। काफी वर्षों तक वह वापस नहीं आईं, तो भगवान शिव उनकी खोज में निकले। जब वह माता पार्वती से मिले तो वे उनका स्वरूप देखकर दंग रह गए. उस समय माता पार्वती अत्यंत गौर वर्ण की हो गई थीं। भगवान शिव ने उनको गौर वर्ण का वरदान दिया, जिससे वह माता महागौरी कहलाने लगीं।

भोपाल। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है और इसके साथ ही आज के दिन घर और मंदिरों में कन्याओं का पूजन किया जाता है. राजधानी के कालिका देवी मंदिर में भी सुबह से ही महाष्टमी की धूम देखने को मिल रही है, जहां भक्तों कि लगातार भीड़ उमड़ती जा रही है और साथ ही मंदिर परिसर में ही कन्याओं का पूजन किया जा रहा है. वहीं ऐसा माना जाता है कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती है इसलिए अष्ठमी और नवमी के दिन इनकी पूजा करके भोग लगाने से भक्तों की मुराद पूरी होती है.

नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं मां महागौरी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री 16 वर्ष की अवस्था में अत्यंत्र सुंदर और गौर वर्ण की थीं। अत्यंत गौर वर्ण के कारण ही माता का नाम महागौरी पड़ा।वहीं एक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश से कहीं दूर चली गईं और कठोर तपस्या करने लगीं। काफी वर्षों तक वह वापस नहीं आईं, तो भगवान शिव उनकी खोज में निकले। जब वह माता पार्वती से मिले तो वे उनका स्वरूप देखकर दंग रह गए. उस समय माता पार्वती अत्यंत गौर वर्ण की हो गई थीं। भगवान शिव ने उनको गौर वर्ण का वरदान दिया, जिससे वह माता महागौरी कहलाने लगीं।

Intro:भोपाल- शारदीय नवरात्र की अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है और उसके साथ ही आज के दिन घर-मंदिरों में कन्याओं का पूजन किया जाता है।


Body:राजधानी भोपाल के कालिका देवी मंदिर में भी सुबह से ही महाष्टमी की धूम देखने को मिल रही है। यहां भक्त लगातार आ- जा रहे है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में ही कन्याओं का पूजन किया जा रहा है।
ऐसा माना जाता है कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती है इसलिए आज और नवमी के दिन इनकी पूजा करने, भोग लगाने से भक्तों की मुराद पूरी होती है।


Conclusion:इसके अलावा आज के दिन का महत्व इसलिए भी होता है क्योंकि अष्टमी-नवमी के दिन कन्या पूजन करने के बाद ही उन भक्तों का व्रत पूरा होता है जिन्होंने 9 दिन मां की आराधना के लिए उपवास रखा हो।
Last Updated : Oct 6, 2019, 11:42 AM IST
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