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National Sports Day 2023: मुसीबतें नहीं तोड़ पाई हौसले, मां की मौत के बाद टूट चुकी MP की इस फेंसिंग खिलाड़ी ने जीते कई मेडल - एमपी हिंदी न्यूज

मां की मौत के बाद टूट चुकी फैंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह को किसान पिता का सहारा मिला. उन्होंने तलवारबाजी के मुकाबले में कॉमनवेल्थ और एशियाई चैंपियनशिप में मेडल हासिल किए. प्रदेश के खेल पुरस्कारों की लिस्ट में प्रज्ञा सिंह का नाम भी शामिल हैं. प्रज्ञा को एकलव्य पुरस्कार दिया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने भी प्रज्ञा से बात की तो उन्होंने अपने जीवन के बारे में कई बातें शेयर कीं.

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 3:53 PM IST

भोपाल। पन्ना के एक छोटे से गांव निवारी के रहने वाले गरीब किसान की बेटी ने देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने परिवार का नाम रोशन किया है. प्रज्ञा सिंह ने तलवारबाजी में कॉमनवेल्थ और एशिया चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया है और देश का मान बढ़ाया है. दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए प्रज्ञा इस खेल से जुड़ी और घर की परिस्थितियों को हराते हुए यह मुकाम अपने नाम किया है. कहते हैं कि हौसला हो और दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो सारी कायनात आपका साथ देती है और ऐसा ही कुछ प्रज्ञा के साथ हुआ है.

कौन हैं फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा: प्रज्ञा के पिता एक किसान हैं और परिवार में एक छोटे भाई के अलावा, दादाजी भी हैं. जिनकी उम्र 92 के पार है. प्रज्ञा के पिता नरेंद्र सिंह शुरू से ही किसानी का काम करते हैं. लेकिन प्रज्ञा के मन में कुछ कर गुजरने की मंशा थी. ऐसे में 2016 में उन्होंने फेंसिंग यानी तलवारबाजी के इस खेल को चुना. पहले धीरे-धीरे गांव में ही लाठी और सुखे गन्नो से प्रैक्टिस करती रही. इसमें उनकी मां सरोज ने उनका साथ दिया. प्रज्ञा को 2016 में इस खेल को सीखने के लिए खेल विभाग के टेलेंट सर्च में हिस्सा लिया और उनका सेलेक्शन हुआ. इसके बाद प्रज्ञा मध्यप्रदेश के खेल अकादमी से भी जुड़ी, लेकिन 2019 में प्रज्ञा के जीवन में एक अनहोनी ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. प्रज्ञा जब अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रही थी.

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह फोटो खिंचवाई

मां की मौत के बाद टुट चुकी थी प्रज्ञा: इसी बीच उनकी माता सरोज को ब्रैन क्लॉटिंग हो गई. जिसके कारण उनकी मौत हो गई. इससे प्रज्ञा टूट चुकी थी. वह कहती है कि मां की मौत के बाद खेल में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था, लेकिन पिताजी के हौसले ने उन्हें आगे बढ़ाया और वह इस मुकाम पर पहुंच पाई. प्रज्ञा के पास अभी तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई मेडल हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पदकों को जोड़ा जाए तो लगभग एक दर्जन यानी 12 पदों से अधिक मैडल है. जिसमें गोल्ड मेडल से लेकर ब्रांउन मेडल शामिल है. पिछले साल हुए कॉमनवेल्थ खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में प्रज्ञा ने सिल्वर मेडल हासिल किया है.

खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल : फेंसिंग की खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह जिस तरह से खेल में टॉपर हैं. इस तरह से पढ़ाई में भी प्रज्ञा अव्वल है. वह भोपाल में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही है और हर एग्जाम में टॉप फाइव में अपना स्थान बनाती है. प्रज्ञा कहती हैं कि सुबह और शाम के समय वह प्रैक्टिस करती हैं. जबकि दिन में जब अधिकतर बच्चे आराम करते हैं, तब वह पढ़ाई को अपना समय देती है. इसके साथ ही शाम को प्रैक्टिस से आने के बाद भी कई घंटे वह पढ़ाई करती हैं.

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह ने जीता कॉमनवेल्थ और एशियाई चैंपियनशिप में मेडल

इन खबरों पर भी एक नजर:

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह के परिवार

प्रज्ञा का सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना: प्रज्ञा का सपना फिलहाल फेंसिंग यानी तलवारबाजी में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबसे बड़े मुकाबला ओलंपिक में देश को गोल्ड मेडल दिलाना है. प्रज्ञा कहती है कि "उन्हें गोल्ड मेडल लाना है तो उसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. क्योंकि ओलंपिक का मुकाबला इतना आसान नहीं होता और वह चाहती है कि उनके गरीब-पिता का नाम सारी दुनिया की जुबान पर हो." प्रज्ञा को 2022 के खेल पुरस्कारों में एकलव्य अवार्ड की श्रेणी में शामिल किया गया है. खेल विभाग में खेल अलंकरण का आयोजन वैसे तो 29 अगस्त को खेल दिवस पर ही होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से यह आयोजन अन्य तारिखों पर हो रहा है. इस बार भी इसका आयोजन सितंबर के महीने में होने वाले खेलो एमपी टूर्नामेंट के साथ ही होगा.

भोपाल। पन्ना के एक छोटे से गांव निवारी के रहने वाले गरीब किसान की बेटी ने देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने परिवार का नाम रोशन किया है. प्रज्ञा सिंह ने तलवारबाजी में कॉमनवेल्थ और एशिया चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया है और देश का मान बढ़ाया है. दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए प्रज्ञा इस खेल से जुड़ी और घर की परिस्थितियों को हराते हुए यह मुकाम अपने नाम किया है. कहते हैं कि हौसला हो और दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो सारी कायनात आपका साथ देती है और ऐसा ही कुछ प्रज्ञा के साथ हुआ है.

कौन हैं फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा: प्रज्ञा के पिता एक किसान हैं और परिवार में एक छोटे भाई के अलावा, दादाजी भी हैं. जिनकी उम्र 92 के पार है. प्रज्ञा के पिता नरेंद्र सिंह शुरू से ही किसानी का काम करते हैं. लेकिन प्रज्ञा के मन में कुछ कर गुजरने की मंशा थी. ऐसे में 2016 में उन्होंने फेंसिंग यानी तलवारबाजी के इस खेल को चुना. पहले धीरे-धीरे गांव में ही लाठी और सुखे गन्नो से प्रैक्टिस करती रही. इसमें उनकी मां सरोज ने उनका साथ दिया. प्रज्ञा को 2016 में इस खेल को सीखने के लिए खेल विभाग के टेलेंट सर्च में हिस्सा लिया और उनका सेलेक्शन हुआ. इसके बाद प्रज्ञा मध्यप्रदेश के खेल अकादमी से भी जुड़ी, लेकिन 2019 में प्रज्ञा के जीवन में एक अनहोनी ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. प्रज्ञा जब अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रही थी.

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह फोटो खिंचवाई

मां की मौत के बाद टुट चुकी थी प्रज्ञा: इसी बीच उनकी माता सरोज को ब्रैन क्लॉटिंग हो गई. जिसके कारण उनकी मौत हो गई. इससे प्रज्ञा टूट चुकी थी. वह कहती है कि मां की मौत के बाद खेल में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था, लेकिन पिताजी के हौसले ने उन्हें आगे बढ़ाया और वह इस मुकाम पर पहुंच पाई. प्रज्ञा के पास अभी तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई मेडल हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पदकों को जोड़ा जाए तो लगभग एक दर्जन यानी 12 पदों से अधिक मैडल है. जिसमें गोल्ड मेडल से लेकर ब्रांउन मेडल शामिल है. पिछले साल हुए कॉमनवेल्थ खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में प्रज्ञा ने सिल्वर मेडल हासिल किया है.

खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल : फेंसिंग की खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह जिस तरह से खेल में टॉपर हैं. इस तरह से पढ़ाई में भी प्रज्ञा अव्वल है. वह भोपाल में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही है और हर एग्जाम में टॉप फाइव में अपना स्थान बनाती है. प्रज्ञा कहती हैं कि सुबह और शाम के समय वह प्रैक्टिस करती हैं. जबकि दिन में जब अधिकतर बच्चे आराम करते हैं, तब वह पढ़ाई को अपना समय देती है. इसके साथ ही शाम को प्रैक्टिस से आने के बाद भी कई घंटे वह पढ़ाई करती हैं.

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह ने जीता कॉमनवेल्थ और एशियाई चैंपियनशिप में मेडल

इन खबरों पर भी एक नजर:

Fencing player Pragya Singh
फेंसिंग खिलाड़ी प्रज्ञा सिंह के परिवार

प्रज्ञा का सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना: प्रज्ञा का सपना फिलहाल फेंसिंग यानी तलवारबाजी में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबसे बड़े मुकाबला ओलंपिक में देश को गोल्ड मेडल दिलाना है. प्रज्ञा कहती है कि "उन्हें गोल्ड मेडल लाना है तो उसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. क्योंकि ओलंपिक का मुकाबला इतना आसान नहीं होता और वह चाहती है कि उनके गरीब-पिता का नाम सारी दुनिया की जुबान पर हो." प्रज्ञा को 2022 के खेल पुरस्कारों में एकलव्य अवार्ड की श्रेणी में शामिल किया गया है. खेल विभाग में खेल अलंकरण का आयोजन वैसे तो 29 अगस्त को खेल दिवस पर ही होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से यह आयोजन अन्य तारिखों पर हो रहा है. इस बार भी इसका आयोजन सितंबर के महीने में होने वाले खेलो एमपी टूर्नामेंट के साथ ही होगा.

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