भोपाल। जनजातीय गौरव दिवस पर भोपाल में आयोजित जनजातीय महा सम्मेलन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर प्रशासनिक दुरुपयोग का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा कि प्रशासन को लोगों को लाने यानि भीड़ जुटाने का ठेका दिया गया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम प्रशासन कर रहा है, जबकि ब्रांडिंग बीजेपी की हो रही है. उधर कमलनाथ के बयान पर पलटवार करते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमलनाथ के पास सिर्फ यही काम बचा है कि वह कभी सकारात्मक बयान नहीं देते.
कांग्रेस बॉल नहीं फुटबॉल बनाए
गृह मंत्री ने बाल दिवस पर कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए बाल कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस अजब पार्टी है, वह किशोरों को बाल बता रही है, 16 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के किशोर होते हैं, बाल नहीं. वैसे कांग्रेस एक दूसरे के काम में टांग अड़ाने वाली पार्टी है, इसलिए उन्हें बॉल नहीं फुटबॉल कांग्रेस बनानी चाहिए, कांग्रेस के नेता सिर्फ अपने-अपने बच्चों को स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं.
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जनजातीय समुदाय के विरोधी मानसिकता वाली कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों को हमेशा से वोटबैंक के रूप में देखा है।
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जनजातीय नेताओं की उपेक्षा करने वाली कांग्रेस का कभी भी जनजातीय भाई-बहनों से कोई प्रेम और लगाव नहीं रहा।#जनजातीय_गौरव_दिवस @INCMP pic.twitter.com/C3TucF5fhd
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— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) November 15, 2021
जनजातीय नेताओं की उपेक्षा करने वाली कांग्रेस का कभी भी जनजातीय भाई-बहनों से कोई प्रेम और लगाव नहीं रहा।#जनजातीय_गौरव_दिवस @INCMP pic.twitter.com/C3TucF5fhd
कमलनाथ से सिर्फ आलोचना की उम्मीद
पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के जनजातीय महासम्मेलन पर दिए गए बयान पर गृह मंत्री ने कहा कि कमलनाथ से और क्या उम्मीद की जा सकती है. यह उनकी वेदना है, स्वयं कुछ नहीं किये, जबकि दूसरे के कामों में टांग अड़ाए रहते हैं. अब कांग्रेस भी जबलपुर में कार्यक्रम कर रही है, लेकिन देखा जाए तो कांग्रेस की मानसिकता ही जनजातीय विरोधी रही है. कांग्रेसी नेताओं ने कहा बहुत कुछ, लेकिन किया कुछ नहीं.
कमलापति का कांग्रेस ने नहीं किया समर्थन
महारानी कमलापति के समर्थन में एक भी ट्वीट किसी कांग्रेस नेता ने नहीं किया, कांग्रेस का जनजाति के प्रति हृदय प्रेम नहीं रहा, कांग्रेस नेता भानु सिंह सोलंकी से लेकर उमंग सिंघार तक देखा जाए तो कांग्रेस को जब भी अधिकार मिले, उन्होंने आदिवासी नेताओं को रोका है, उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया.