भोपाल। मैहर में होने वाली बागेश्वर धाम की कथा की तारीखे स्थगित किए जाने का प्रसंग एमपी की राजनीति में इतनी आसानी से टल जाने वाला नहीं है. क्या कथा के रद्द किए जाने को विंध्य प्रदेश का दम दिखाने पर नारायण त्रिपाठी को मिले सबक की तरह देखा जाए. विंध्य में इस एक्शन का क्या रिएक्शन है. बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री की मैहर में रद्द हुई कथा के बाद नारायण त्रिपाठी ने इशारों में बहुत कुछ कह दिया है. ETV Bharat से बातचीत में रावण का उदाहरण देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि धर्म आस्था कथा पूजा सब उन्ही की बपौती है वे ही करवा सकते हैं लेकिन घमंड तो रावण का भी नहीं रहा. उसने भी ग्रह नक्षत्रों को अपने वश में कर लिया था लेकिन नतीजा क्या हुआ किस मौत मरा था रावण. उन्होने कहा कि विंध्य से पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना नारायण त्रिपाठी की ख्वाहिश नहीं विंध्य के लोगों की डिमांड है जिसे उन्हे पूरा करना है.
नारायण त्रिपाठी ने किसे कहा रावण: बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री की कथा की तारीखें आगे बढ़ जाने से नारायण त्रिपाठी के मंसूबों पर पानी तो फिर गया है. त्रिपाठी ने कथा के लिए जो तैयारियां की, वो अलग बात लेकिन इस कथा के साथ अपनी पार्टी के रजिस्ट्रेशन की तैयारी भी थी और जाहिर है कथा के साथ वो विंध्य में नई राजनीति की शुरुआत में धमक भी बनाना चाहते थे. हांलाकि इस सवाल पर नारायण त्रिपाठी कहते हैं धर्म पर कथा के जरिए राजनीति भीरू और डरपोक लोग करते हैं. हमारे लिए तो ये पूर्ण श्रद्धा और निजी आस्था का विषय था. त्रिपाठी ने कहा कुछ लोग हैं जो ये मानते हैं कि कथा वही करवा सकते हैं सबकुछ उन्ही के अधीन है लेकिन घमंड रावण का भी नहीं रहा. उसने भी ग्रह नक्षत्रों को अपना बंधक बना लिया था क्या नतीजा हुआ. हम तो जो कथा होने वाली थी उसका विसर्जन विधि विधान से कर रहे हैं ईश्वर से क्षमा मांग रहे हैं कि कोई गलती हुई हो तो प्रभु क्षमा करें.
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30 सीटों पर चुनाव विंध्य की आवाज है: नारायण त्रिपाठी ने फिर दोहराया कि विंध्य प्रदेश की पार्टी का गठन और चुनाव का विचार विंध्य की जनता का है. उस जनता का जो एक से तीज त्योहार संस्कृति और परंपरा में रहती है. त्रिपाठी कहते है और उनकी इस आवाज में उनके साथ खड़ा हूं क्योकि विंध्य मेरी माटी है जन्मभूमि है और खुद मैं भी 2004 से लगातार विंध्य के पुर्नउत्थान के लिए लड़ रहा हूं वही लड़ाई आज भी है.
कई दलों में रहे हैं नारायण त्रिपाठी: नारायण त्रिपाठी ने विंध्य की 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था और ये वादा किया था कि 2024 में वो विंध्य के लोगों को नए प्रदेश की सौगात देंगे. हांलाकि नारायण त्रिपाठी की अपनी राजनीतिक आस्थाएं बदलती रही हैं. उन्होने 2003 में चुनाव सपा से चुनावी मैदान में उतरे, 2008 में सपा से ही चुनाव हार गए. 2013 में कांग्रेस के उम्मीदवार बनें और चुनाव जीते. 2018 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के हो लिए चुनाव जीत गए.