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'सीएम राइजिंग स्कूल' के जरिये स्मार्ट होगी एमपी की शिक्षा व्यवस्था!

मध्यप्रदेश में अब स्कूल शिक्षा व्यवस्था की दशा सुधारने के कदम में शिवराज सरकार एक कदम आगे बढ़ गई है. मध्यप्रदेश के बच्चे सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के बच्चों के साथ मुकाबला कर सकें, इसलिए प्रदेश में सीएम राइजिंग स्कूल की शुरूआत की जा रही है.

School Education Minister Inder Singh Parmar
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार
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Published : Feb 3, 2021, 10:01 PM IST

Updated : Feb 3, 2021, 10:08 PM IST

भोपाल। दिल्ली की तर्ज पर प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की कोशिश की जा है. मध्यप्रदेश के बच्चे सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के बच्चों के साथ मुकाबला कर सकें, इसलिए प्रदेश में सीएम राइजिंग स्कूल की शुरूआत की जा रही है. सीएम राइजिंग स्कूल की शुरूआत 350 स्कूल से होगी. अगले दस सालों में प्रदेश में ऐसे करीब 10 हजार स्कूल खोले जाएंगे. उधर सरकार पहले से एक ही परिसर में चल रहे अलग-अलग करीब 19 हजार स्कूलों को मर्ज कर चुकी है.

दिल्ली की तर्ज पर बदलेगी MP की स्कूल शिक्षा व्यवस्था- मंत्री

क्यों खास होंगे यह स्कूल

सीएम राइजिंग स्कूल के जरिए सरकार प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था की दशा सुधारने की कोशिश कर रही है. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के मुताबिक इस कंसेप्ट के जरिए प्रदेश में स्कूल शिक्षा की उपेक्षा का जो भाव था. वह पूरी तरह बदल जाएगा. यह स्कूल सर्वसुविधायुक्त और कई मायनों में निजी स्कूलों से भी बेहतर होंगे. इस तहत पहली बार एक ही छत के नीचे नर्सरी से 12 तक की क्लासेस होंगे. इन स्कूलों तक बच्चों को लाने बस की सुविधा भी मौजूद रहेगी. करीब 20 किलोमीटर के दायरे में एक स्कूल होगा.

इन स्कूलों में कई तरह की सुविधाएं होंगी

  • ब्लाॅक स्तरीय स्कूलों में लाइब्रेरी, लैब के अलावा कैफेटेरिया, जिम, बैकिंग काउंटर, एनसीसी की सुविधा, कम्प्यूटर लैब और क्रिएटिव थिंकिंग जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.
  • वहीं जिला स्तरीय स्कूलों में लाइब्रेरी, लैब के अलावा कैफेटेरिया, जिम, बैकिंग काउंटर, एनसीसी की सुविधा, कम्प्यूटर लैब और क्रिएटिव थिंकिंग जैसी सुविधाओं के अलावा डिजिटल स्टूडियो, स्वीमिंग पूल, ट्रेक एंड फील्ड जैसी सुविधाएं भी बच्चों को दी जाएंगी.
  • इन सभी स्कूलों में हिंदी और इंग्लिष मीडियम से बच्चों को पढ़ाई कराई जाएगी.

स्कूलों के लिए बजट की नहीं आएगी कमी

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के मुताबिक सीएम राइजिंग स्कूल के लिए जहां जरूरत होगी पूरी इंफ्रस्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा. इसके लिए बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी. इन स्कूलों में टीचरों की कर्मी नई भर्ती और मौजूदा शिक्षकों के जरिए की जाएगी. सरकार का फोकस इन स्कूलों के माध्यम से प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर मजबूत बनाना है.

19 हजार स्कूल किए जा चुके मर्ज

उधर स्कूल शिक्षा विभाग एक शाला एक परिसर के तहत प्रदेश में करीब 19 हजार स्कूलों को मर्ज कर चुका है. प्रदेश में ऐसे करीब 35 हजार स्कूलों को चिन्हित किया गया था. मर्ज करने के लिए बाद अब इनकी संख्या करीब 19 हजार बची है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एक ही परिसर में चल रहे प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल-हायर सेकेंडरी स्कूलों को मर्ज किया गया है. पूर्व में सभी स्कूलों के अलग-अलग प्रिंसीपल और टीचर हुआ करते थे.

प्रदेश की स्कूली शिक्षा को लेकर कई हो चुके प्रयोग

हेडस्टार्ट योजना - मध्यप्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए साल 2008 में हेडस्टार्ट योजना शुरू की गई थी। हालांकि योजना के तहत स्कूलों में लगाए गए कम्प्यूटर रखे-रखे ही कबाड़ हो गए.

माॅडल और एक्सीलेंस स्कूल - मध्यप्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इससे पहले भी कई प्रयोग हो चुके हैं. प्रदेश के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए वर्श 2011-12 में जिला स्तर पर एक्सीलेंस स्कूल और ब्लाॅक स्तर पर माॅडल स्कूलों की स्थापना की गई. इन स्कूलों को बेंचमार्क के रूप में विकसित किए जाने की योजना थी. हालत यह रहे कि इग्लिश मीडियम इन अधिकांश स्कूलों इंग्लिश मीडियम के टीचर ही नियुक्ति नहीं हो सके.

भोपाल। दिल्ली की तर्ज पर प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की कोशिश की जा है. मध्यप्रदेश के बच्चे सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के बच्चों के साथ मुकाबला कर सकें, इसलिए प्रदेश में सीएम राइजिंग स्कूल की शुरूआत की जा रही है. सीएम राइजिंग स्कूल की शुरूआत 350 स्कूल से होगी. अगले दस सालों में प्रदेश में ऐसे करीब 10 हजार स्कूल खोले जाएंगे. उधर सरकार पहले से एक ही परिसर में चल रहे अलग-अलग करीब 19 हजार स्कूलों को मर्ज कर चुकी है.

दिल्ली की तर्ज पर बदलेगी MP की स्कूल शिक्षा व्यवस्था- मंत्री

क्यों खास होंगे यह स्कूल

सीएम राइजिंग स्कूल के जरिए सरकार प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था की दशा सुधारने की कोशिश कर रही है. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के मुताबिक इस कंसेप्ट के जरिए प्रदेश में स्कूल शिक्षा की उपेक्षा का जो भाव था. वह पूरी तरह बदल जाएगा. यह स्कूल सर्वसुविधायुक्त और कई मायनों में निजी स्कूलों से भी बेहतर होंगे. इस तहत पहली बार एक ही छत के नीचे नर्सरी से 12 तक की क्लासेस होंगे. इन स्कूलों तक बच्चों को लाने बस की सुविधा भी मौजूद रहेगी. करीब 20 किलोमीटर के दायरे में एक स्कूल होगा.

इन स्कूलों में कई तरह की सुविधाएं होंगी

  • ब्लाॅक स्तरीय स्कूलों में लाइब्रेरी, लैब के अलावा कैफेटेरिया, जिम, बैकिंग काउंटर, एनसीसी की सुविधा, कम्प्यूटर लैब और क्रिएटिव थिंकिंग जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.
  • वहीं जिला स्तरीय स्कूलों में लाइब्रेरी, लैब के अलावा कैफेटेरिया, जिम, बैकिंग काउंटर, एनसीसी की सुविधा, कम्प्यूटर लैब और क्रिएटिव थिंकिंग जैसी सुविधाओं के अलावा डिजिटल स्टूडियो, स्वीमिंग पूल, ट्रेक एंड फील्ड जैसी सुविधाएं भी बच्चों को दी जाएंगी.
  • इन सभी स्कूलों में हिंदी और इंग्लिष मीडियम से बच्चों को पढ़ाई कराई जाएगी.

स्कूलों के लिए बजट की नहीं आएगी कमी

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के मुताबिक सीएम राइजिंग स्कूल के लिए जहां जरूरत होगी पूरी इंफ्रस्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा. इसके लिए बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी. इन स्कूलों में टीचरों की कर्मी नई भर्ती और मौजूदा शिक्षकों के जरिए की जाएगी. सरकार का फोकस इन स्कूलों के माध्यम से प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर मजबूत बनाना है.

19 हजार स्कूल किए जा चुके मर्ज

उधर स्कूल शिक्षा विभाग एक शाला एक परिसर के तहत प्रदेश में करीब 19 हजार स्कूलों को मर्ज कर चुका है. प्रदेश में ऐसे करीब 35 हजार स्कूलों को चिन्हित किया गया था. मर्ज करने के लिए बाद अब इनकी संख्या करीब 19 हजार बची है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एक ही परिसर में चल रहे प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल-हायर सेकेंडरी स्कूलों को मर्ज किया गया है. पूर्व में सभी स्कूलों के अलग-अलग प्रिंसीपल और टीचर हुआ करते थे.

प्रदेश की स्कूली शिक्षा को लेकर कई हो चुके प्रयोग

हेडस्टार्ट योजना - मध्यप्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए साल 2008 में हेडस्टार्ट योजना शुरू की गई थी। हालांकि योजना के तहत स्कूलों में लगाए गए कम्प्यूटर रखे-रखे ही कबाड़ हो गए.

माॅडल और एक्सीलेंस स्कूल - मध्यप्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इससे पहले भी कई प्रयोग हो चुके हैं. प्रदेश के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए वर्श 2011-12 में जिला स्तर पर एक्सीलेंस स्कूल और ब्लाॅक स्तर पर माॅडल स्कूलों की स्थापना की गई. इन स्कूलों को बेंचमार्क के रूप में विकसित किए जाने की योजना थी. हालत यह रहे कि इग्लिश मीडियम इन अधिकांश स्कूलों इंग्लिश मीडियम के टीचर ही नियुक्ति नहीं हो सके.

Last Updated : Feb 3, 2021, 10:08 PM IST
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