भोपाल। मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी अत्याचार के बाद अब महिला अपराधों को लेकर कांग्रेस प्रदेश सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है. प्रदेश में महिला अपराधों के आंकड़े शर्मसार करने वाले हैं. प्रदेश में हर रोज बलात्कार की करीब 17 घटनाएं हो रही हैं. बलात्कार की घटनाओं को लेकर देश में सबसे ज्यादा घटनाएं मध्यप्रदेश में घट रही हैं. प्रदेश में महिला अपराधों को लेकर अब मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेगी. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी के पिछले 18 सालों के कार्यकाल में महिलाओं और बच्चियों के साथ दुराचार की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है.
महिला अपराध के चौंकाने वाले आंकड़े: महिला अपराधों के मामलों में मध्यप्रदेश की स्थिति में पिछले सालों में सुधार नहीं हुआ. 2021 के एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों को देखें तो मध्यप्रदेश नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में देश में नंबर-1 पर है. प्रदेश में बच्चों से रेप की 2021 में 3522 घटनाएं हुईं. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है.
NCRB के आंकड़े: एनसीआरबी 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में महिला अपराध से जुड़े 30673 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए. प्रदेश में बलात्कार के 3515 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह बालिका, बुजुर्ग महिलाओं के आंकड़ों को भी मिला लिया जाए तो मध्यप्रदेश में 6459 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए.
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कांग्रेस प्रदेश भर में करेगी धरना प्रदर्शन: विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश में महिला अपराध की घटनाओं को लेकर कांग्रेस प्रदेश भर में बीजेपी को घेरेगी. इसके लिए महिला कांग्रेस ने हर जिले में धरना प्रदर्शन करने की रणनीति तैयार की है. प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल आरोप लगाती हैं कि "पिछले 18 सालों के बीजेपी के कार्यकाल के दौरान कानून व्यवस्था कैसी रही, यह प्रदेश में महिला अपराध के आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रदेश में छोटी बच्चियां के साथ भी उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं. बीजेपी ने इसको लेकर कोई बेहतर कदम नहीं उठाए." उधर पूर्व मंत्री सज्जन सिंह आरोप लगाते हैं कि "महिला उत्पीड़न की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश सबसे आगे हैं. ऐसी घटनाओं के खिलाफ प्रदेश की कानून व्यवस्था की हर जिले में जाकर पोल खोली जाएगी." उधर बीजेपी प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा के मुताबिक "प्रदेश पहला राज्य है, जहां बच्चियों के साथ दुराचार करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है. कांग्रेस को सिर्फ चुनाव के समय ही ऐसे मुद्दों की याद आती है."