भोपाल। ठंड की शुरूआत से ही वेस्टन डिस्बेशन का असर दिख रहा है, अरब सागर में बने लो प्रेसर एरिया के चलते मध्यप्रदेश में हल्की बूंदाबांदी हो रही है, बादल छाए हुए हैं. प्रदेश में उत्तर पूर्वी और दक्षिण पश्चिम हवा चल रही है, जिसके चलते प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश हो रही है. अरब सागर से आ रही नमी के चलते प्रदेश के ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन संभाग में आज दोपहर तक हल्की बूंदाबांदी और बादल छाए रहने के आसार हैं. दोपहर बाद मौसम साफ हो सकता है. वेदर एक्सपर्ट वेद प्रकाश के अनुसार 22 नवंबर के बाद मौसम साफ होते ही ठंड का असर बढ़ सकता है, लोगों को टर्न महसूस होगी. बूंदाबांदी का असर विशेष रूप से इंदौर संभाग में देखने को मिलेगा.
धुंध की चादर से घिरा सूरज
कड़ाके की सर्दी रात को अब धीरे-धीरे अपनी आगोश में ले रही है, शुक्रवार को न्यूनतम (Weather Update) पारे में उछाल से दिन में भी सिहरन महसूस नहीं हुई. हालांकि, पूरे दिन धुंध से सूरज घिरा रहा. इससे सूरज की चमक फीकी रही. मौसम कुछ इस तरह बना रहा, जैसे हल्के बादल छाए हों, धुंध की चादर को भेदने में कमजोर पड़ी धूप के बाद पारे में उछाल से सर्द हवाओं की चुभन महसूस नहीं हुई. हालांकि दिन में चल रही शीतलहर से ठंडक महसूस हो रही है. सघन बसाहट के बाद दिन में भी हल्के गर्म कपड़ों की जरूरत महसूस हो रही है.
BJP-कांग्रेस के लिए BSP Breaker! कभी हाथ को हराया तो कभी हाथी के पंजे से कमल को मसला
बढ़ सकते हैं निमोनिया के मरीज
सर्दी के साथ ही खराब होती हवा से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, बच्चे और बुजुर्ग निमोनिया की जकड़न (Risk of Pneumonia) में आ रहे हैं. सर्दी का मौसम आते ही निमोनिया के संदिग्ध मरीज भी बढ़ गए हैं. जिला अस्पताल की ओपीडी में जांच के दौरान प्रतिदिन निमोनिया के लक्षण के नए मरीज मिल रहे हैं. पीड़ितों में बच्चों की संख्या ज्यादा है. खांसी, बुखार, सीने में दर्द और सांस लेने में समस्या की शिकायत लेकर कई मरीज (Risk of Pneumonia in Child) आ रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो कोविड बढ़ने पर लोगों की मास्क पहनने की बनी आदत छूटने से भी इस बार निमोनिया के मरीज बढ़ रहे हैं, निमोनिया होने पर पहले सामान्य फ्लू के लक्षण ही रहते हैं, लेकिन फिर धीरे-धीरे या एकदम से सांस लेने में समस्या महसूस होने लगती है. पांच साल और इससे कम उम्र के बच्चों को निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है.
बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी
वहीं 65 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों को भी ये बीमारी होती है, पीड़ित के फेफड़े में सूजन आ जाती है, इस संक्रमण की समय पर जांच और उपचार नहीं होने से मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. धूम्रपान, शराब का ज्यादा सेवन और फेफड़ों से संबंधित गंभीर रोग के मरीजों को निमोनिया का जोखिम रहता है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भास्कर गुप्ता ने बताया कि ठंड के दिनों में बच्चों के निमोनिया से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है, समय रहते बेहतर इलाज नहीं मिलने पर परिणाम गंभीर हो सकते हैं. निमोनिया खांसने और छींकने से फैलने वाला संक्रामक रोग है, यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है, इसीलिए इस मौसम में शून्य से पांच साल तक के बच्चों का विशेष ख्याल रखना जरूरी है.