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Vyapam Scam: आरोपी को SC ने दी गिरफ्तारी से अंतरिम राहत, राज्य सरकार को नोटिस भेज मांगा जवाब - एमपी व्यापम घोटाला

एमपी के चर्चित व्यापमं घोटाले के एक आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है. आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. व्यापमं मामले में एसटीएफ ने याचिकाकर्ता को आरोपी बनाया था.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 18, 2023, 6:32 PM IST

भोपाल(भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के व्यापमं घोटाले के एक आरोपी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए उसे जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है. पीठ ने कहा ‘‘याचिकाकर्ता के वकील ने विशेष कार्य बल की रिपोर्ट के संदर्भ में कहा है कि जहां तक याचिकाकर्ता की भूमिका का संबंध है, तो अभियुक्त का नाम ज्ञापन पत्र में होने के अलावा कुछ भी नहीं मिला. जांच समाप्त हो गई है और अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई है’’ पीठ ने आगे कहा, ‘‘नोटिस जारी करें. इस बीच, याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि जरूरत पड़ने पर वह जांच में सहयोग करे.’’

STF ने बनाया था आरोपी: शीर्ष अदालत राजेश कुमार श्रीवास्तव की मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत के लिए दी गई आरोपी श्रीवास्तव की याचिका खारिज करने का आदेश दिया था. व्यावसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं द्वारा प्रतियोगिता परीक्षाओं की प्रवेश प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं के संबंध में भोपाल के एसटीएफ थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद, मामले की जांच कर रहे स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने श्रीवास्तव को आरोपी बनाया था.

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अग्रिम जमानत याचिका खारिज: आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना ने तर्क दिया कि एसटीएफ द्वारा दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट दर्शाती है कि जांच पूरी हो गई है लेकिन उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. सक्सेना ने कहा ‘‘उच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों, परिस्थितियों और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर गौर किए बिना, याचिकाकर्ता के अग्रिम जमानत के लिए दिए गए आवेदन को खारिज कर दिया.’’

उन्होंने कहा ‘‘याचिकाकर्ता का नाम केवल आरोपी के ज्ञापन पत्र में शामिल है और उसके खिलाफ कुछ भी प्रासंगिक या ठोस न तो पाया गया है और न ही पेश किया गया है. यहां तक कि एसटीएफ पुलिस थाने के एसएचओ ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि कथित अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता नहीं पाई गई है. एसएचओ ने सिफारिश की है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला बंद कर दिया जाना चाहिए.’’

भोपाल(भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के व्यापमं घोटाले के एक आरोपी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए उसे जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है. पीठ ने कहा ‘‘याचिकाकर्ता के वकील ने विशेष कार्य बल की रिपोर्ट के संदर्भ में कहा है कि जहां तक याचिकाकर्ता की भूमिका का संबंध है, तो अभियुक्त का नाम ज्ञापन पत्र में होने के अलावा कुछ भी नहीं मिला. जांच समाप्त हो गई है और अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई है’’ पीठ ने आगे कहा, ‘‘नोटिस जारी करें. इस बीच, याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि जरूरत पड़ने पर वह जांच में सहयोग करे.’’

STF ने बनाया था आरोपी: शीर्ष अदालत राजेश कुमार श्रीवास्तव की मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत के लिए दी गई आरोपी श्रीवास्तव की याचिका खारिज करने का आदेश दिया था. व्यावसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं द्वारा प्रतियोगिता परीक्षाओं की प्रवेश प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं के संबंध में भोपाल के एसटीएफ थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद, मामले की जांच कर रहे स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने श्रीवास्तव को आरोपी बनाया था.

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अग्रिम जमानत याचिका खारिज: आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना ने तर्क दिया कि एसटीएफ द्वारा दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट दर्शाती है कि जांच पूरी हो गई है लेकिन उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. सक्सेना ने कहा ‘‘उच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों, परिस्थितियों और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर गौर किए बिना, याचिकाकर्ता के अग्रिम जमानत के लिए दिए गए आवेदन को खारिज कर दिया.’’

उन्होंने कहा ‘‘याचिकाकर्ता का नाम केवल आरोपी के ज्ञापन पत्र में शामिल है और उसके खिलाफ कुछ भी प्रासंगिक या ठोस न तो पाया गया है और न ही पेश किया गया है. यहां तक कि एसटीएफ पुलिस थाने के एसएचओ ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि कथित अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता नहीं पाई गई है. एसएचओ ने सिफारिश की है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला बंद कर दिया जाना चाहिए.’’

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