भोपाल। वाहनों में प्रेशर हॉर्न व चमकदार लाइट को लेकर जारी की एडवाइजरी में कहा गया है कि निर्धारित मापदंड से अधिक प्रेशर हॉर्न के उपयोग से जहां एक ओर बच्चों एवं बुजुर्ग व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं वातावरण में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा में बढोतरी होती है. इससे आमजन में श्रवण संबंधी बीमारियों होने की आशंका रहती है एवं नियमित क्रियाकलाप में बाधा उत्पन्न होती है.
हॉर्न का मापदंड निर्धारित : केंन्द्रीय मोटर यान नियम-1989 की धारा -119 एवं मोटर यान अधिनियम-1988 की धारा-194 में मोटरयान में उपयोग होने वाले हॉर्न का मापदंड निर्धारित किया गया है. भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार ये हॉर्न 83 डेसीबल से 112 डेसीबल के बीच होना चाहिए. इसी प्रकार वाहनों में विभिन्न प्रकार के ग्लेयरिंग (चमकदार) लाइट के उपयोग से सामने से आने वाले वाहन चालकों की दृष्यता कम हो जाती है, जो सड़क दुर्घटना का एक कारण बनता है. इस प्रकार की हेडलाइट्स को केन्द्रीय मोटर यान नियम-1989 की धारा-105 से 111 तक में प्रतिषेध किया गया है.
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ऐसी हेइलाइट पर प्रतिबंध : रंग बिरंगी हेड लाइट, एलईडी हेड लाइट्स, वाहन के सामने चार से अधिक हेड लाइट, 1.5 मीटर से अधिक उंचाई पर हेड लाइट, अनावश्यक तरीके से अपर बीम पर वाहन चलाना भी प्रतिषेध किया गया है. अपने वाहन में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मापदण्ड अनुसार हार्न एवं लेम्प का उपयोग करें. वाहन में ग्लेयरिंग (चमकदार) लाइट का उपयोग न करें. वाहन चालन में सह सड़क उपयोगकर्ता की सुरक्षा का ध्यान रखें. वाहन में किसी प्रकार का मॉडीफिकेशन पूर्णतः वर्जित है. MP Traffic department, Traffic advisory, Pressure horn vehicles, Head light in vehicles