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MP: शिवराज सरकार को पसंद नहीं मोदी सरकार का यह फैसला, 6 माह बाद भी अमल में आना-कानी

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के मंत्रियों ने इस बार अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है. जिस पर कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के नक्शे कदम पर चलने वाली शिवराज सरकार को उनका यह फैसला रास नहीं आ रहा है, तभी हर साल संपत्ति ब्यौरा बताने के मामले में उनके मंत्रियों की संख्या घटती जा रही है.

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फैसले पर फांस
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Published : Feb 14, 2023, 10:25 PM IST

भोपाल। मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चलने वाली मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और उनके मंत्रियों को लगता है कि मोदी सरकार का संपत्ति घोषित करने का फैसला पसंद नहीं आया. पीएम मोदी और उनके मंत्रियों ने पिछले साल अगस्त माह में अपनी संपत्ति घोषित की थी, लेकिन इसके 6 माह बाद भी शिवराज सरकार के मंत्रियों ने इसका पालन नहीं किया. जबकि शिवराज सरकार ने 2010 में बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्यों का संपत्ति का ब्यौरा रखने की परंपरा शुरू की थी. उधर कांग्रेस के मुताबिक उन्हें भी इंतजार है कि शिवराज मंत्रीमंडल सदन में अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करें, ताकि पता चल सके कि मंत्रियों की संपत्ति 4 और बाद में बने मंत्रियों की संपत्ति 3 साल में कितनी बढ़ी.

हर साल घटती गई रूचि: सिद्धांतों की राजनीति का उदाहरण पेश करने प्रदेश में 1990 से मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा सदन के पटन पर हर साल संपत्ति की जानकारी पेश करने की परंपरा रही है. अगस्त 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने अपने सभी 27 मंत्रीमंडल सदस्यों के साथ संपत्ति का ब्यौरा सदन के पटल पर रखा था. इसके बाद प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस लौटी, लेकिन यह परंपरा जारी रही. फरवरी 1994 में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सभी 36 मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा पेश किया था. इसके बाद 1995, 1997, 1999, 2001 और 2003 में भी दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल द्वारा संपत्ति की जानकारी पटल पर रखी जाती रही.

सदन में संपत्ति ब्यौरा पेश नहीं! अपना ही नियम भूली सरकार

प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद 2008 में सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में अपनी संपत्ति बताई. इसके बाद तय किया गया कि बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्य सदन में अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करेंगे और मार्च 2010 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनके मंत्रिमंडल के सभी 32 सदस्यों ने अपनी सपंत्ति की जानकारी विधानसभा के पटल पर रखी.

  1. हालांकि इसके बाद मंत्रियों की इसको लेकर रूचि घटती गई.
  2. साल 2011 में सीएम सहित सिर्फ 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति बताई.
  3. 2012 में सीएम और 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड पेश किया.
  4. साल 2013 में सीएम और 17 मंत्रियों ने संपत्ति की जानकारी दी.
  5. साल 2015 में शिवराज सरकार के इकलौते मंत्री वित्त जयंत मलैया ने सदन में अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड पेश किया.
  6. साल 2017 में संपत्ति का ब्यौरा पेश करने वाले शिवराज सरकार के इकलौते मंत्री गौरीशंकर बिसेन थे.
  7. 2017 के बाद शिवराज सरकार दूसरे बार सत्ता में आ चुकी है, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल के द्वारा सदन में संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया गया.

कांग्रेस ने सदन में पेश किया था संकल्प: 2019 में सत्ता में आई कमलनाथ सरकार भी वादे के मुताबिक इसको लेकर सदन में संकल्प लेकर आई थी. सरकार ने संकल्प प्रस्तुत किया था कि विधानसभा सदस्यों को साल में एक बार अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा को बताना होगा. हालांकि कुछेक विधायकों को छोड़ बाकी किसी ने अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दी.

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क्या चुनावी साल में मंत्री पेश करेंगे उदाहरण: मध्यप्रदेश में यह चुनावी साल है. प्रदेश की शिवराज सरकार किसी भी मुद्दे पर विपक्ष को घेरने का मौका नहीं दे रही. साथ ही जनता में अच्छा मैसेज जाए, इसके लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों बीजेपी मुख्यालय में हुई बैठक में सीएम ने कहा है कि सभी सदन में अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करें, ताकि लोगों के बीच अच्छा मैसेज जाए. हालांकि देखना होगा कि आगामी विधानसभा के बजट सत्र और उसके बाद कितने मंत्री सदन में संपत्ति की जानकारी देने में रूचि दिखाते हैं. उधर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह के मुताबिक सदन में हर साल संपत्ति की जानकारी देने का ऐसा कोई नियम नहीं है, बल्कि यह स्वेच्छिक है. इसलिए जानकारी देने को लेकर सचिवालय द्वारा किसी तरह की सूचना या नोटिस नहीं भेजा जाता. उधर कांग्रेस मीडिया प्रभारी केके मिश्रा के मुताबिक उन्हें भी इंतजार रहेगा कि कितने मंत्री अपनी संपत्ति की जानकारी सदन में सांझा करते हैं, इससे पता चलेगा कि पिछले सालों में मंत्रियों की संपत्ति कितने गुना बढ़ी है.

भोपाल। मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चलने वाली मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और उनके मंत्रियों को लगता है कि मोदी सरकार का संपत्ति घोषित करने का फैसला पसंद नहीं आया. पीएम मोदी और उनके मंत्रियों ने पिछले साल अगस्त माह में अपनी संपत्ति घोषित की थी, लेकिन इसके 6 माह बाद भी शिवराज सरकार के मंत्रियों ने इसका पालन नहीं किया. जबकि शिवराज सरकार ने 2010 में बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्यों का संपत्ति का ब्यौरा रखने की परंपरा शुरू की थी. उधर कांग्रेस के मुताबिक उन्हें भी इंतजार है कि शिवराज मंत्रीमंडल सदन में अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करें, ताकि पता चल सके कि मंत्रियों की संपत्ति 4 और बाद में बने मंत्रियों की संपत्ति 3 साल में कितनी बढ़ी.

हर साल घटती गई रूचि: सिद्धांतों की राजनीति का उदाहरण पेश करने प्रदेश में 1990 से मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा सदन के पटन पर हर साल संपत्ति की जानकारी पेश करने की परंपरा रही है. अगस्त 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने अपने सभी 27 मंत्रीमंडल सदस्यों के साथ संपत्ति का ब्यौरा सदन के पटल पर रखा था. इसके बाद प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस लौटी, लेकिन यह परंपरा जारी रही. फरवरी 1994 में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सभी 36 मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा पेश किया था. इसके बाद 1995, 1997, 1999, 2001 और 2003 में भी दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल द्वारा संपत्ति की जानकारी पटल पर रखी जाती रही.

सदन में संपत्ति ब्यौरा पेश नहीं! अपना ही नियम भूली सरकार

प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद 2008 में सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में अपनी संपत्ति बताई. इसके बाद तय किया गया कि बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्य सदन में अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करेंगे और मार्च 2010 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनके मंत्रिमंडल के सभी 32 सदस्यों ने अपनी सपंत्ति की जानकारी विधानसभा के पटल पर रखी.

  1. हालांकि इसके बाद मंत्रियों की इसको लेकर रूचि घटती गई.
  2. साल 2011 में सीएम सहित सिर्फ 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति बताई.
  3. 2012 में सीएम और 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड पेश किया.
  4. साल 2013 में सीएम और 17 मंत्रियों ने संपत्ति की जानकारी दी.
  5. साल 2015 में शिवराज सरकार के इकलौते मंत्री वित्त जयंत मलैया ने सदन में अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड पेश किया.
  6. साल 2017 में संपत्ति का ब्यौरा पेश करने वाले शिवराज सरकार के इकलौते मंत्री गौरीशंकर बिसेन थे.
  7. 2017 के बाद शिवराज सरकार दूसरे बार सत्ता में आ चुकी है, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल के द्वारा सदन में संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया गया.

कांग्रेस ने सदन में पेश किया था संकल्प: 2019 में सत्ता में आई कमलनाथ सरकार भी वादे के मुताबिक इसको लेकर सदन में संकल्प लेकर आई थी. सरकार ने संकल्प प्रस्तुत किया था कि विधानसभा सदस्यों को साल में एक बार अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा को बताना होगा. हालांकि कुछेक विधायकों को छोड़ बाकी किसी ने अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दी.

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क्या चुनावी साल में मंत्री पेश करेंगे उदाहरण: मध्यप्रदेश में यह चुनावी साल है. प्रदेश की शिवराज सरकार किसी भी मुद्दे पर विपक्ष को घेरने का मौका नहीं दे रही. साथ ही जनता में अच्छा मैसेज जाए, इसके लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों बीजेपी मुख्यालय में हुई बैठक में सीएम ने कहा है कि सभी सदन में अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करें, ताकि लोगों के बीच अच्छा मैसेज जाए. हालांकि देखना होगा कि आगामी विधानसभा के बजट सत्र और उसके बाद कितने मंत्री सदन में संपत्ति की जानकारी देने में रूचि दिखाते हैं. उधर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह के मुताबिक सदन में हर साल संपत्ति की जानकारी देने का ऐसा कोई नियम नहीं है, बल्कि यह स्वेच्छिक है. इसलिए जानकारी देने को लेकर सचिवालय द्वारा किसी तरह की सूचना या नोटिस नहीं भेजा जाता. उधर कांग्रेस मीडिया प्रभारी केके मिश्रा के मुताबिक उन्हें भी इंतजार रहेगा कि कितने मंत्री अपनी संपत्ति की जानकारी सदन में सांझा करते हैं, इससे पता चलेगा कि पिछले सालों में मंत्रियों की संपत्ति कितने गुना बढ़ी है.

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