भोपाल। 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को दो चुनावों से इंतजार है. इस सीट पर सिंधी मतदाताओं को निर्णायक भूमिका में माना जाता है, इसलिए कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से सिंधी समाज से आने वाले नरेश ज्ञानचंदानी को चुनाव मैदान में उतारा है. उधर बीजेपी से फिर रामेश्वर शर्मा चुनाव मैदान में हैं. उन्होंने पिछला चुनाव 15 हजार 725 वोटों के अंतर से जीता था. जबकि 2013 के चुनाव में यह अंतर 59 हजार से ज्यादा का था. यही वजह है कि इस बार कांग्रेस इस सीट से जीत की उम्मीद लगाए बैठी है.
क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़ी सीट: मध्यप्रदेश की हूजुर विधानसभा क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़ी सीट मानी जाती है. इस विधानसभा की सीमाएं पूरे भोपाल से सटे ग्रामीण और उप नगरों को छूती हैं. इसलिए चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों को मतदाताओं तक पहुंचने के लिए भरपूर पसीना बहाना पड़ रहा है. हुजूर विधानसभा 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इसके बाद इस सीट पर तीन बार चुनाव हुए और तीनों ही बार बीजेपी अपना परचम लहराने में सफल रही.
साल 2008 के चुनाव में बीजेपी ने जितेन्द्र डागा को चुनाव मैदान में उतारा था. जहां वे जीत दर्ज करने में सफल रहे. हालांकि इसके बाद वे एक मामले में सीबीआई जांच के दायरे में आए और पार्टी ने 2013 के चुनाव में उनका टिकट काटकर युवा हिंदूवादी नेता के रूप में पहचान रखने वाले रामेश्वर शर्मा को मैदान में उतारा. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 59 हजार 608 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की. 2018 के पिछले चुनाव में बीजेपी के रामेश्वर शर्मा यहां से फिर जीते, लेकिन जीत का अंतर घटकर 15 हजार पर आ गया. एक बार फिर 2018 के किरदार चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी से रामेश्वर शर्मा और कांग्रेस से नरेश ज्ञानचंदानी.
सिंधी वोट बैंक निर्णायक: हुजूर विधानसभा सीट में आने वाले उप नगर संत हिरदाराम के मतदाताओं को निर्णायक माना जाता है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में सिंधी मतदाता हैं. कांग्रेस ने इस गणित को ध्यान में रखकर भी सिंधी समाज से आने वाले नरेश ज्ञानचंदानी को टिकट दिया है. हालांकि सिर्फ सिंधी मतदाताओं के भरोसे जीत की आस बेमानी साबित हो सकती है. हालांकि कुछ समय पहले बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए जितेन्द्र मन्नू डागा भी निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे, लेकिन कांग्रेस उन्हें मनाने में कामयाब रही, लेकिन कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बीजेपी के मुकाबले कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज और संसाधन है.
विकास के नए वादे: इस विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 70 हजार 348 हैं. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 68 हजार 353 है, जबकि पुरूष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 80 हजार 433 है. इस सीट में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों आता है. हालांकि यहां चुनावी मुद्दा विकास ही है. यही वजह है कि इस बार बीजेपी जहां पिछले 10 सालों के अपने कामों को गिना रही है, वहीं कांग्रेस कई नए वादों के साथ चुनाव मैदान में मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है.