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कांग्रेस का शैडो कैबिनेट बनाना हास्यास्पद, ये सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट: राकेश सिंह

बीजेपी सांसद राकेश सिंह ने शैडो कैबिनेट को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस अपने विधायकों और मंत्रियों पर नजर रख लेती तो ये नौबत नहीं आती है. कांग्रेस सिर्फ खबरों में बनी रहना चाहती है.

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सांसद राकेश सिंह
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Published : Jul 15, 2020, 7:39 PM IST

जबलपुर। शिवराज मंत्रिमंडल पर नजर रखने के लिए कांग्रेस शैडो कैबिनेट बनाने जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने बयान देते हुए कहा है कि कांग्रेस शिवराज मंत्रिमंडल पर अपनी नजर बनाए रखेगी, ताकि भ्रष्टाचार न हो सके. भाजपा ने कांग्रेस की इस शैडो केबिनेट पर तंज कसा है. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद राकेश सिंह ने जबलपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि इससे ज्यादा हास्यास्पद बात और कुछ नहीं हो सकती है कि कांग्रेस अब शैडो कैबिनेट के जरिए हमारी सरकार पर नजर रखेगी. अगर कमलनाथ सरकार अपने कैबिनेट मंत्रियों पर नजर रखती तो शायद उनकी सरकार गिरने की नौबत नहीं आती.

सांसद राकेश सिंह ने कांग्रेस पर साधा निशाना

सांसद राकेश सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार में भ्रष्टाचार, तबादला उद्योग और अराजकता का ठिकाना नहीं था. कांग्रेस शैडो कैबिनेट जरूर बना रही है लेकिन उससे कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है. कांग्रेस का ये हथकंडा सिर्फ खबरों में बने रहने का है. वहीं राकेश सिंह ने राजस्थान के सियासी ड्रामे पर कहा कि कांग्रेस के भीतर लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है. कांग्रेस में किस नेता का क्या जनाधार है उसकी पार्टी के अंदर कोई अहमियत नहीं होती. यही वजह है कि ये जो असंतोष लगातार नेताओं के सीने में पनप रहा था, वो अब निकलकर बाहर आ रहा है.

क्या है शैडो कैबिनेट

शैडो अंग्रेजी शब्द है जिसका मतलब होता है छाया. यानी शैडो कैबिनेट सत्ता पक्ष के मंत्रियों और उनके विभागों के कामकाजों पर नजर बनाए रखते हैं और कोई भी गड़बड़ी मिलने पर उसे जनता के सामने रखते हैं. ये कोई संवैधानिक पद नहीं है और न ही कोई मंत्रालय है. एक तरह से कह सकते हैं कि व्यक्तिगत तौर पर या समूह में मंत्रियों के काम का लेखा-जोखा रखना. जनता को मंत्रियों के काम की जानकारी देना, यही सब काम शैडो कैबिनेट का होता है.

ब्रिटिश कॉन्सेप्ट है शैडो कैबिनेट

ये शब्द ब्रिटिश संसद से आया है. जहां पर शैडो कैबिनेट में विपक्षी पार्टी के नेता शामिल होते हैं. इन्हें पार्टी के द्वारा ही चुना जाता है. ये नेता ऐसे विशेषज्ञों की तरह होते हैं, जो विभागों के कामकाज की निगरानी करते हैं. विपक्ष, सत्तापक्ष के नेताओं के कामों का ब्योरा रखते हैं.

जबलपुर। शिवराज मंत्रिमंडल पर नजर रखने के लिए कांग्रेस शैडो कैबिनेट बनाने जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने बयान देते हुए कहा है कि कांग्रेस शिवराज मंत्रिमंडल पर अपनी नजर बनाए रखेगी, ताकि भ्रष्टाचार न हो सके. भाजपा ने कांग्रेस की इस शैडो केबिनेट पर तंज कसा है. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद राकेश सिंह ने जबलपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि इससे ज्यादा हास्यास्पद बात और कुछ नहीं हो सकती है कि कांग्रेस अब शैडो कैबिनेट के जरिए हमारी सरकार पर नजर रखेगी. अगर कमलनाथ सरकार अपने कैबिनेट मंत्रियों पर नजर रखती तो शायद उनकी सरकार गिरने की नौबत नहीं आती.

सांसद राकेश सिंह ने कांग्रेस पर साधा निशाना

सांसद राकेश सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार में भ्रष्टाचार, तबादला उद्योग और अराजकता का ठिकाना नहीं था. कांग्रेस शैडो कैबिनेट जरूर बना रही है लेकिन उससे कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है. कांग्रेस का ये हथकंडा सिर्फ खबरों में बने रहने का है. वहीं राकेश सिंह ने राजस्थान के सियासी ड्रामे पर कहा कि कांग्रेस के भीतर लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है. कांग्रेस में किस नेता का क्या जनाधार है उसकी पार्टी के अंदर कोई अहमियत नहीं होती. यही वजह है कि ये जो असंतोष लगातार नेताओं के सीने में पनप रहा था, वो अब निकलकर बाहर आ रहा है.

क्या है शैडो कैबिनेट

शैडो अंग्रेजी शब्द है जिसका मतलब होता है छाया. यानी शैडो कैबिनेट सत्ता पक्ष के मंत्रियों और उनके विभागों के कामकाजों पर नजर बनाए रखते हैं और कोई भी गड़बड़ी मिलने पर उसे जनता के सामने रखते हैं. ये कोई संवैधानिक पद नहीं है और न ही कोई मंत्रालय है. एक तरह से कह सकते हैं कि व्यक्तिगत तौर पर या समूह में मंत्रियों के काम का लेखा-जोखा रखना. जनता को मंत्रियों के काम की जानकारी देना, यही सब काम शैडो कैबिनेट का होता है.

ब्रिटिश कॉन्सेप्ट है शैडो कैबिनेट

ये शब्द ब्रिटिश संसद से आया है. जहां पर शैडो कैबिनेट में विपक्षी पार्टी के नेता शामिल होते हैं. इन्हें पार्टी के द्वारा ही चुना जाता है. ये नेता ऐसे विशेषज्ञों की तरह होते हैं, जो विभागों के कामकाज की निगरानी करते हैं. विपक्ष, सत्तापक्ष के नेताओं के कामों का ब्योरा रखते हैं.

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