भोपाल। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या वाकई लोकसभा चुनाव के लिए ग्वालियर को ही अपने रनवे के तौर पर तैयार कर रहे हैं. सिंधिया ने बीते एक साल से समाजों की बैठकें के साथ-साथ बीजेपी संगठन में अपनी पकड़ और मजबूत की है. यही नहीं उन्होंने क्षेत्र के लिए सौगातों की झड़ी लगा दी है लेकिन, सिंधिया की सियासत का एपि सेंटर गुना की जगह ग्वालियर शिफ्ट हो गया है. अत्याधुनिक विमानतल की सौगात देने के साथ ग्वालियर के कायाकल्प तक सिंधिया कोई मौका नहीं छोड़ते कि ग्वालियर की तस्वीर और तकदीर उनके बीजेपी में आने के साथ बदलनी शुरू हुई है. लेकिन सवाल ये भी है कि मजबूत संगठन और ग्वालियर चंबल में मजबूत दावेदारी के साथ क्या सिंधिया ग्वालियर को इतनी आसानी से अपना सियासी रण बना पाएंगे.
सिंधिया सौगात और ग्वालियर : 2020 में बीजेपी के होने के बाद से सिंधिया मध्यप्रदेश के दौरे पर जितनी बार भी आए उनका फोकस गुना के साथ ग्वालियर पर शिफ्ट हुआ है. कई गुटों में बंटी ग्वालियर चंबल की बीजेपी में पकड़ बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा सिंधिया ने. बीजेपी की सदस्यता लेते ही जयभान सिंह पवैया जैसे अपने धुर विरोधियों को साधा और फिर नाराज को संभालने में जुट गए. पार्टी संगठन में पकड़ बनाने के बाद समाजों में अपनी जमीन मजबूत की और अब सौगातों की झड़ी के साथ ये बताने की कोशिश कि ग्वालियर का कायाकल्प महाराज के हाथों ही मुमकिन है. ग्वालियर में विकास कार्यों की झांकी भी उसी का हिस्सा मान लिया जाना चाहिए, जिसमें सिंधिया बता रहे हैं कि ग्वालियर में किन परियोजनाओं को लाने में उनकी भूमिका रही और इन योजनाओं के जरिए कैसे ग्वालियर की सूरत बदल गई. इनमें स्वर्ण नदी पर बन रहे एलिवेटेड रोड से लेकर 300 करोड़ की लागत से बन रहे ग्वालियर थीम रोड मल्टीलेवल पार्किंग, बाड़ा को नए सिरे से संवारे जाने समेत कई काम शामिल हैं.
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ग्वालियर की कनेक्टिविटी और विकास का टर्मिनल : सिंधिया ये जताने-बताने का कभी कोई मौका नहीं छोड़ रहे कि उनके मंत्री बन जाने के बाद मध्यप्रदेश और विशेषकर ग्वालियर की हवाई सेवाओं में कितना बदलाव आया है. 2021 तक एमपी में हर हफ्ते 554 विमानों की ही आवाजाही थी जो अब बढ़कर 956 हो चुकी है. आंकड़ों में ये वृध्दि 70 फीसदी के करीब है. अकेले ग्वालियर में 76 विमानों की आवाजाही है. ग्वालियर में बनाया गया 498 करोड़ का नया टर्मिनल भवन और तय टारगेट की इसे सितम्बर 2023 यानि विधानसभा चुनाव के पहले सितम्बर में पूरा कर लिया जाए. सिंधिया बता रहे हैं कि ग्वालियर की तरक्की की रफ्तार उनके बीजेपी में आने के बाद ही मिली है.
सियासी ज़मीन बचा रहे हैं बेचारे सिंधिया : कांग्रेस की मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा कहती हैं- "सिंधिया जी बीजेपी में गए बड़ी उम्मीदों से थे कि वे यहां पर पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा होंगे, लेकिन हकीकत चंद महीनों में ही सामने आ गई. अब जो वो ग्वालियर में जुटे हुए हैं. राष्ट्रीय स्तर के नेता की ये सारी कवायद अपनी सियासी जमीन को बचाने की है. हांलाकि, ग्वालियर में एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी ग्वालियर चंबल में बीजेपी के जो दिग्गज नेता डटे हुए हैं वो इन्हें टिकने नहीं देंगे."