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एमपी के 'क्लाइमेक्स' का शुक्र को 'THE END' ! देखिए गुरूवार के 'दंगल' का सुपरहिट एंगल

मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घमासान का शुक्रवार को अंत होने को है, ये बात गुरुवार शाम आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो जाती है. क्योंकि शुक्रवार को ही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है. आइए जानते हैं मध्यप्रदेश की राजनीति में गुरुवार का दिन कैसा रहा...

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MP के सुपरहिट दंगल में जानिए कैसा रहा गुरुवार...
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Published : Mar 19, 2020, 10:06 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में जारी सियासी घमासान खींचता ही जा रहा है. एक मोड पर आकर यह खत्म होने ही वाला होता है कि फिर कोई संविधान की धारा का हवाला देते हुए नई जंग छेड़ देता है. प्रदेश की सत्ता को हथियाने के लिए दोनों ही दलों के नेता रात-दिन सिसासत का खेल खेल रहे हैं. कहते हैं कि डूबते हुए को तिनके का सहारा होता है, लेकिन यहां तो तिनका दिखे बस, उसकी ही कस्ती बनाकर नैया पार लगाने की जद्दोजहद में लग जाते हैं. मध्यप्रदेश की सियासत की आग सिर्फ प्रदेश में ही नहीं, बल्कि कर्नाटक में भी जोरों से सुलग रही है. कर्नाटक के बेंगलुरू में ठहरे कांग्रेस के बागी विधायकों से मिलने जाने के बाद हंगामा करने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी सहित कांग्रेस के कई दिग्गज हिरासत में ले लिए गए थे. हालांकि कुछ देर बाद जमानत मिलने के बाद उन्हें छोड़ भी दिया गया. बुधवार को हिरासत में लिए जाने के बाद दिग्विजय सिंह ने यहां तक कह दिया था कि जब तक वो बागी विधायकों से मिल नहीं लेते, वो उपवास करेंगे. ये बात अलग है कि थक हार को दिग्विजय गुरुवार के भोपाल आने की खबरे आने लगी थी.

इधर मध्यप्रदेश की सियासत का ड्रामा अब सुप्रीम कोर्ट में अपना खेल दिखा रहा है. बुधवार को चार घंटे तक चली सुनवाई में कोई हल नहीं निकल पाया. बीजेपी-कांग्रेस के अलावा राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और बागी विधायकों के पांच वकील अपनी दलीलें पेश करते रहे. लगातार चार घंटे तक सुनवाई करने के बाद अदालत ने सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी थी. वहीं गुरुवार को एक बार फिर वकीलों की दलीलों का दौर शुरू हुआ. पांचों वकील दलीलों की बौछार कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी दोपहर तक कोई स्थाई समाधान नहीं ढूंढ पाया था. इधर कोर्ट में वकीलों की दलीलें जारी थी, तो प्रदेश में भी दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे. नेताओं की बयानबाजी दिनभर जारी रही. मध्यप्रदेश के नेता सत्ता की इस लड़ाई में अपने आप को सबसे आगे बताने में लगे थे. एक ओर कांग्रेस फ्लोर टेस्ट टालने को लेकर जी-जान लगा रही थी, तो वहीं बीजेपी भी तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने की कोशिश में लगी थी. बुधवार को "MP का सुपरहिट दंगल पार्ट-3' में आपको बताया कि मध्यप्रदेश में दिनभर सियासी नाटक किस तरह रंग बदलता रहा.

आइए जानते हैं गुरुवार को किस पर हुआ 'वार'

करीब 10 बजकर 52 मिनट पर विधानसभा अध्यक्ष के वकील ने दलील पेश करते हुए कहा कि कोर्ट स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल ना दें. साथ ही कहा कि 16 विधायकों के बाहर होने से हाउस सीमित होगा. करीब साढ़े 10 बजे सियासी नाटक सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ, जहां एमपी में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई होनी थी. कोर्ट में कमलनाथ सरकार के तरफ से कपिल सिब्बल वकील थे, वहीं बीजेपी की तरफ से मुकुल रोहतगी दलील पेश कर रहे थे. इसके अलावा स्पीकर पक्ष से अभिषेक मनु सिंघवी वकालत कर रहे थे.

इसी सुनवाई के बीच साढ़े 11 बजे कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में सक्रिय रही है. सदन सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट का आदेश कोर्ट ने कभी नहीं दिया. साथ ही कहा कि हम हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं देने चाहते है. फ्लोर टेस्ट जल्द हो, ताकि खरीद फरोख्त रोका जा सके.

इधर गोपाल भार्गव ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे घटनाक्रम के लिए दोषी दिग्विजय सिंह हैं. पारिवारिक हितों को साधने के लिए दिग्गी ने कांग्रेस का उपयोग किया है. प्रदेश के घटनाक्रम के लिए कमलनाथ से ज्यादा दिग्विजय दोषी हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और शिवराज ने बीजेपी के नेताओं की बैठक आयोजित की गई. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी इंतजार किया जा रहा था.

गोपाल भार्गव

वहीं सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में कमलनाथ सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पेश करते हुए कहा कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है. 16 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा. साथ ही कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए.

इसी दौरान सुनवाई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने करीब 11.45 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं. ये केवल एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है. इस्तीफे वास्तव में स्वैच्छिक हैं. हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं. वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं. साथ ही कहा कि राज्यपाल के आदेश का पालन होना चाहिए था. अगर उन्होंने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था तो होना चाहिए था.

करीब 12 बजे सुप्रीम कोर्ट से समय मांगने पर शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें और समय क्यों चाहिए. क्या हॉर्स ट्रेडिंग करना चाहते हैं. सरकार जानती है कि उनके पास संख्या नहीं है. हम आराम से हैं, विधायक आराम से हैं और आने वाले समय को देखते हुए जनता भी आराम से है. शिवराज ने कहा कि सत्य की विजय होगी और न्याय की जीत होगी.

वहीं विधायकों के इस्तीफे को लेकर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि नियम के मुताबिक इस्तीफा एक लाइन का होना चाहिए. सभी विधायक एक साथ कार्य कर रहे हैं, यह एक राजनैतिक ब्लॉक हो सकता है. वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है, वे व्हिप से संचालित होते हैं.

इसी बीच प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा हैं, फैसला हमारे पक्ष में आएगा. हमारी सरकार पूर्ण बहुमत में हैं, बीजेपी को अगर लगता है तो वह विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लायें. उन्होंने कहा कि सीहोर के जिस होटल में बीजेपी विधायक इकठ्ठा हैं, उनके भी कोरोना टेस्ट होने चाहिए.

पीसी शर्मा

12 बजकर 40 मिनट पर फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई में जज हेमंत गुप्ता ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि यदि सरकार अल्पमत में है, तो क्या राज्यपाल के पास विश्वास मत लेने की शक्ति नहीं है. इस पर सिंघवी ने कहा कि वे नहीं कर सकते, उनकी शक्तियां सदन बुलाने तक की है. राज्यपाल के पास केवल आहूत करना, स्थगित करना और भंग करना ये तीन शक्तियां है. इसके बाद 1 बजे सुनवाई लंच तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इसी दौरान बीजेपी के नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय पर हमला बोलते हुए कहा कि दिग्विजय किसान कर्जमाफी और बेरोजगारी के लिए उपवास पर बैठते तो ठीक रहता.

नरोत्तम मिश्रा

वहीं एक बार फिर लंच के बाद फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई शुरू हुई. जिसके बाद कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ने जगदंबिका पाल मामले का हवाला देते हुए कहा कि सब पैसे और ताकत का खेल है, हम आंखें बंद नहीं रख सकते है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हर जगह ऐसा राजनीतिक उठापटक है. स्पीकर ने 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए, उस समय जांच आदि का सवाल ही नहीं था. नहीं जानते कि वह कब फैसला कर सकते हैं.

इधर मध्यप्रदेश में वित्त मंत्री तरूण भनोत सीएम हाउस से बाहर निकलते हुए कहा कि कोरोना को लेकर चर्चा चल रही है. साथ ही कहा कि 16 विधायकों में से कुछ ने मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा प्रकट की है, लेकिन बीजेपी उन्हें मिलने नहीं दे रही.

करीब 4 बजकर 20 मिनट पर उतराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि दिग्विजय सिंह कोई कोरोना वायरस का बॉक्स लेकर विधयकों से मिलने नहीं जा रहे थे, वो राज्यसभा के उम्मीदवार हैं, वोट की अपील करने जा रहे थे. ये बीजेपी का षडयंत्र है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल
हरीश रावत

कुछ देर बाद करीब 4 बजकर 38 मिनट पर कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह को स्टंटबाज नेता बताते हुए कहा कि अल्पमत में होने से धड़ल्ले से तबादले कर रहे हैं. कमलनाथ सरकार फावड़े से पैसा खींचने में लगी है.

कैलाश विजयवर्गीय

इधर करीब 5 बजे दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के बागी विधायक एदल की कंषाना को पत्र लिखते हुए कहा कि मनुष्य का स्वभाव है गलतियां करना, अगर कोई गलती हुई है तो उसपर चर्चा कर दूर करेंगे. कर्नाटक बीजेपी द्वारा बागी विधायकों को पत्र सौंपने से इनकार करने के बाद दिग्विजय सिंह द्वारा कोरियर करने की खबरें आने लगी.

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दिग्विजय ने कंसाना को लिखा पत्र

करीब 5 बजकर 15 मिनट पर प्रेस कॉफ्रेस आयोजित करते हुए दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के नेता भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं, इसीलिए नहीं चाहते कि सरकार चले. मेरे पास सबकी फोन रिकार्डिंग है. शिवराज सिंह और नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस विधायकों को पैसे भी ऑफर किए हैं. साथ ही अमित शाह पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे मामले में अमित शाह फंडिंग कर रहे हैं.

दिग्विजय सिंह

करीब साढ़े 6 बजे फ्लोर टेस्ट पर चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को आदेश देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार शाम 5 बजे तक कराया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी साफ किया कि इस फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी. कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा. वहीं मध्यप्रदेश और कर्नाटक के डीजीपी को आदेशित किया कि अगर बेंगलुरू से विधायक जाना चाहे तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला

इधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्यप्रदेश में बयानबाजी का दौर शुरू हुआ. एक और बीजेपी के नेता भारी मन से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कर रहे थे, तो वहीं बीजेपी के नेता इसे सत्य की जीत बताते हुए खुशी जाहिर कर रहे थे. इसी बीच सीहोर के एक होटल में ठहरे बीजेपी के विधायकों ने भारत माता के नारे लगाते हुए खुशियों का इजहार किया. इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ थे.

भोपाल। मध्यप्रदेश में जारी सियासी घमासान खींचता ही जा रहा है. एक मोड पर आकर यह खत्म होने ही वाला होता है कि फिर कोई संविधान की धारा का हवाला देते हुए नई जंग छेड़ देता है. प्रदेश की सत्ता को हथियाने के लिए दोनों ही दलों के नेता रात-दिन सिसासत का खेल खेल रहे हैं. कहते हैं कि डूबते हुए को तिनके का सहारा होता है, लेकिन यहां तो तिनका दिखे बस, उसकी ही कस्ती बनाकर नैया पार लगाने की जद्दोजहद में लग जाते हैं. मध्यप्रदेश की सियासत की आग सिर्फ प्रदेश में ही नहीं, बल्कि कर्नाटक में भी जोरों से सुलग रही है. कर्नाटक के बेंगलुरू में ठहरे कांग्रेस के बागी विधायकों से मिलने जाने के बाद हंगामा करने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी सहित कांग्रेस के कई दिग्गज हिरासत में ले लिए गए थे. हालांकि कुछ देर बाद जमानत मिलने के बाद उन्हें छोड़ भी दिया गया. बुधवार को हिरासत में लिए जाने के बाद दिग्विजय सिंह ने यहां तक कह दिया था कि जब तक वो बागी विधायकों से मिल नहीं लेते, वो उपवास करेंगे. ये बात अलग है कि थक हार को दिग्विजय गुरुवार के भोपाल आने की खबरे आने लगी थी.

इधर मध्यप्रदेश की सियासत का ड्रामा अब सुप्रीम कोर्ट में अपना खेल दिखा रहा है. बुधवार को चार घंटे तक चली सुनवाई में कोई हल नहीं निकल पाया. बीजेपी-कांग्रेस के अलावा राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और बागी विधायकों के पांच वकील अपनी दलीलें पेश करते रहे. लगातार चार घंटे तक सुनवाई करने के बाद अदालत ने सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी थी. वहीं गुरुवार को एक बार फिर वकीलों की दलीलों का दौर शुरू हुआ. पांचों वकील दलीलों की बौछार कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी दोपहर तक कोई स्थाई समाधान नहीं ढूंढ पाया था. इधर कोर्ट में वकीलों की दलीलें जारी थी, तो प्रदेश में भी दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे. नेताओं की बयानबाजी दिनभर जारी रही. मध्यप्रदेश के नेता सत्ता की इस लड़ाई में अपने आप को सबसे आगे बताने में लगे थे. एक ओर कांग्रेस फ्लोर टेस्ट टालने को लेकर जी-जान लगा रही थी, तो वहीं बीजेपी भी तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने की कोशिश में लगी थी. बुधवार को "MP का सुपरहिट दंगल पार्ट-3' में आपको बताया कि मध्यप्रदेश में दिनभर सियासी नाटक किस तरह रंग बदलता रहा.

आइए जानते हैं गुरुवार को किस पर हुआ 'वार'

करीब 10 बजकर 52 मिनट पर विधानसभा अध्यक्ष के वकील ने दलील पेश करते हुए कहा कि कोर्ट स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल ना दें. साथ ही कहा कि 16 विधायकों के बाहर होने से हाउस सीमित होगा. करीब साढ़े 10 बजे सियासी नाटक सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ, जहां एमपी में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई होनी थी. कोर्ट में कमलनाथ सरकार के तरफ से कपिल सिब्बल वकील थे, वहीं बीजेपी की तरफ से मुकुल रोहतगी दलील पेश कर रहे थे. इसके अलावा स्पीकर पक्ष से अभिषेक मनु सिंघवी वकालत कर रहे थे.

इसी सुनवाई के बीच साढ़े 11 बजे कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में सक्रिय रही है. सदन सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट का आदेश कोर्ट ने कभी नहीं दिया. साथ ही कहा कि हम हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं देने चाहते है. फ्लोर टेस्ट जल्द हो, ताकि खरीद फरोख्त रोका जा सके.

इधर गोपाल भार्गव ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे घटनाक्रम के लिए दोषी दिग्विजय सिंह हैं. पारिवारिक हितों को साधने के लिए दिग्गी ने कांग्रेस का उपयोग किया है. प्रदेश के घटनाक्रम के लिए कमलनाथ से ज्यादा दिग्विजय दोषी हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और शिवराज ने बीजेपी के नेताओं की बैठक आयोजित की गई. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी इंतजार किया जा रहा था.

गोपाल भार्गव

वहीं सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में कमलनाथ सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पेश करते हुए कहा कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है. 16 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा. साथ ही कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए.

इसी दौरान सुनवाई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने करीब 11.45 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं. ये केवल एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है. इस्तीफे वास्तव में स्वैच्छिक हैं. हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं. वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं. साथ ही कहा कि राज्यपाल के आदेश का पालन होना चाहिए था. अगर उन्होंने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था तो होना चाहिए था.

करीब 12 बजे सुप्रीम कोर्ट से समय मांगने पर शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें और समय क्यों चाहिए. क्या हॉर्स ट्रेडिंग करना चाहते हैं. सरकार जानती है कि उनके पास संख्या नहीं है. हम आराम से हैं, विधायक आराम से हैं और आने वाले समय को देखते हुए जनता भी आराम से है. शिवराज ने कहा कि सत्य की विजय होगी और न्याय की जीत होगी.

वहीं विधायकों के इस्तीफे को लेकर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि नियम के मुताबिक इस्तीफा एक लाइन का होना चाहिए. सभी विधायक एक साथ कार्य कर रहे हैं, यह एक राजनैतिक ब्लॉक हो सकता है. वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है, वे व्हिप से संचालित होते हैं.

इसी बीच प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा हैं, फैसला हमारे पक्ष में आएगा. हमारी सरकार पूर्ण बहुमत में हैं, बीजेपी को अगर लगता है तो वह विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लायें. उन्होंने कहा कि सीहोर के जिस होटल में बीजेपी विधायक इकठ्ठा हैं, उनके भी कोरोना टेस्ट होने चाहिए.

पीसी शर्मा

12 बजकर 40 मिनट पर फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई में जज हेमंत गुप्ता ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि यदि सरकार अल्पमत में है, तो क्या राज्यपाल के पास विश्वास मत लेने की शक्ति नहीं है. इस पर सिंघवी ने कहा कि वे नहीं कर सकते, उनकी शक्तियां सदन बुलाने तक की है. राज्यपाल के पास केवल आहूत करना, स्थगित करना और भंग करना ये तीन शक्तियां है. इसके बाद 1 बजे सुनवाई लंच तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इसी दौरान बीजेपी के नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय पर हमला बोलते हुए कहा कि दिग्विजय किसान कर्जमाफी और बेरोजगारी के लिए उपवास पर बैठते तो ठीक रहता.

नरोत्तम मिश्रा

वहीं एक बार फिर लंच के बाद फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई शुरू हुई. जिसके बाद कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ने जगदंबिका पाल मामले का हवाला देते हुए कहा कि सब पैसे और ताकत का खेल है, हम आंखें बंद नहीं रख सकते है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हर जगह ऐसा राजनीतिक उठापटक है. स्पीकर ने 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए, उस समय जांच आदि का सवाल ही नहीं था. नहीं जानते कि वह कब फैसला कर सकते हैं.

इधर मध्यप्रदेश में वित्त मंत्री तरूण भनोत सीएम हाउस से बाहर निकलते हुए कहा कि कोरोना को लेकर चर्चा चल रही है. साथ ही कहा कि 16 विधायकों में से कुछ ने मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा प्रकट की है, लेकिन बीजेपी उन्हें मिलने नहीं दे रही.

करीब 4 बजकर 20 मिनट पर उतराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि दिग्विजय सिंह कोई कोरोना वायरस का बॉक्स लेकर विधयकों से मिलने नहीं जा रहे थे, वो राज्यसभा के उम्मीदवार हैं, वोट की अपील करने जा रहे थे. ये बीजेपी का षडयंत्र है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल
हरीश रावत

कुछ देर बाद करीब 4 बजकर 38 मिनट पर कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह को स्टंटबाज नेता बताते हुए कहा कि अल्पमत में होने से धड़ल्ले से तबादले कर रहे हैं. कमलनाथ सरकार फावड़े से पैसा खींचने में लगी है.

कैलाश विजयवर्गीय

इधर करीब 5 बजे दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के बागी विधायक एदल की कंषाना को पत्र लिखते हुए कहा कि मनुष्य का स्वभाव है गलतियां करना, अगर कोई गलती हुई है तो उसपर चर्चा कर दूर करेंगे. कर्नाटक बीजेपी द्वारा बागी विधायकों को पत्र सौंपने से इनकार करने के बाद दिग्विजय सिंह द्वारा कोरियर करने की खबरें आने लगी.

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दिग्विजय ने कंसाना को लिखा पत्र

करीब 5 बजकर 15 मिनट पर प्रेस कॉफ्रेस आयोजित करते हुए दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के नेता भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं, इसीलिए नहीं चाहते कि सरकार चले. मेरे पास सबकी फोन रिकार्डिंग है. शिवराज सिंह और नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस विधायकों को पैसे भी ऑफर किए हैं. साथ ही अमित शाह पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे मामले में अमित शाह फंडिंग कर रहे हैं.

दिग्विजय सिंह

करीब साढ़े 6 बजे फ्लोर टेस्ट पर चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को आदेश देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार शाम 5 बजे तक कराया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी साफ किया कि इस फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी. कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा. वहीं मध्यप्रदेश और कर्नाटक के डीजीपी को आदेशित किया कि अगर बेंगलुरू से विधायक जाना चाहे तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला

इधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्यप्रदेश में बयानबाजी का दौर शुरू हुआ. एक और बीजेपी के नेता भारी मन से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कर रहे थे, तो वहीं बीजेपी के नेता इसे सत्य की जीत बताते हुए खुशी जाहिर कर रहे थे. इसी बीच सीहोर के एक होटल में ठहरे बीजेपी के विधायकों ने भारत माता के नारे लगाते हुए खुशियों का इजहार किया. इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ थे.

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