भोपाल। कहते हैं बसंत सबके हिस्से नहीं आता, लेकिन चुनावी साल लगते ही एमपी में ये सवाल बीजेपी की सियासत में भी खूब पूछा जा रहा है कि बसंत किसके हिस्से आएगा. वो इसलिए कि बड़ी तेज हवा है कि, फरवरी महीने में शिवराज सरकार का फुल एण्ड फाईनल वाला फेरबदल हो सकता है. जो खबरें आ रही हैं वो बता रही हैं कि, पतझड़ का मौसम सिंधिया समर्थक कुछ मंत्रियों के हिस्से आना तय है. ऐसा नहीं है कि चुन-चुन कर पतझड़ पहुंचाया जा रहा लेकिन सिंधिया समर्थक जो मंत्री पार्टी के लिए दाग बन गए हैं उन दागों की धुलाई के लिए सिंधिया के करीबी मंत्रियों की कैबिनेट से सफाई जरुरी बताई जा रही है.
कैबिनेट से कटेगा पत्ता: सिंधिया समर्थक मंत्रियों को जोर का झटका धीरे से लगा. इसलिए बीजेपी की कार्यसमिति की बैठके के दौरान सिंधिया समर्थक मंत्रियों की क्लास अलग से ली गई थी. सुना तो ये भी है कि, उन्हें बता भी दिया गया है कि, चुनावी साल में उनका अप्रेजल बिगड़ने की वजह है उनकी खराब परफार्मेंस. कहा तो ये भी जा रहा है कि जिनका कैबिनेट से पत्ता कटेगा चंद महीनों बाद उनका टिकट कटना भी तय है.
वीडी-शिवराज साथ साथ क्या कहें पिक्चर ऑफ द ईयर: सीएम शिवराज और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा की गलबहैंया डाले आखिरी तस्वीर आपने कब देखी थी. अब आप कहेंगे हाल में ही वीडियो आया है. ठीक पकड़े हैं. यहां उसी वीडियो की बात हो रही है. वीडियो में भले सीएम शिवराज सिंह चौहान नर्मदा जयंती की शुभकामनाएं दे रहे हों लेकिन सियासी गलियारों में इस वीडियो के अलग अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं. भाजपाई खेमे से आने वाले समर्थक इसे एक और एक ग्यारह की तस्वीर कह रहे हैं चुनावी साल में. और उधर कांग्रेसी खेमे से कहा जा रहा है कि ये वीडी शर्मा के विदाई से पहले सौहार्द की तस्वीर है, लेकिन बीजेपी की राजनीति को करीब से देखने वाले इस तस्वीर के साथ प्रभात झा के कार्यकाल को याद कर रहे हैं और कह रहे हैं कि, बीजेपी में बड़े बदलाव इतने ही सुकून से किए जाते हैं. सवाल ये उठ रहे हैं कि प्रभात झा के साथ चुनाव के एन पहले हुआ पोखरण विस्फोट कहीं दोहराया तो नहीं जाएगा.
अब बोलो पठान: जहां की आग हो ईलाज भी वहीं होता है. पठान फिल्म को लेकर विवाद भी एमपी से ही शुरु हुआ था. अब जब इस पर खात्मे की बात आई तो सुना है कि, पठान अब कुछ नहीं बोलेंगे कि शुरुआत भी एमपी से ही हुई. कभी जो मंत्री उछल उछलकर पठान फिल्म पर बयान दे रहे थे. सुना है कि वो कैमरा और माईक देखते ही पूछते हैं पठान को छोड़कर कुछ भी पूछ लो. इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा शिवराज सरकार के उन कद्दावर मंत्री जी की है. जिनकी प्रेस ब्रीफिंग से छोड़े गए तीर हमेशा चर्चा में रहते थे. इनकी तरकश से निकलने वाले तीर भी अब कम हुए है. असर जहां का भी हो और जो भी हो.