भोपाल। कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं कोई बेवफा नहीं होता. (Andar ki laye hai) उमा भारती ने अभी बीजेपी से वफा पूरी तरह खत्म भी नहीं की है, लेकिन उमा बीजेपी की शान में कसीदे भी नहीं पढ़ रहीं. जो कह रही हैं वो काबिल ए गौर इसलिए भी है कि उसके अर्थ भी हैं और उनके बयानों से खड़े हो रहे हैं कई सवाल भी. सवाल ये कि ये बयान उमा दीदी का कोई हिडन एजेंडा है क्या जिस पर वो चलना शुरु कर चुकी हैं.
उमा के तरकश से निकले तीर: अब लोधी समाज को चुनावी साल में फ्री हैंड देने के का मतलब निकालना इतना मुश्किल भी नहीं. फिर उसके बाद कहना कि राम और हनुमान बीजेपी का कॉपीराईट नहीं है. जुबान फिसली नहीं है उमा भारती की ये जान लीजिए. उनकी जुबान फिसलती भी नहीं. वो जो कहती हैं सोच विचार कर उसके सियासी असर जान कर कहती हैं. तो भाई फिलहाल तो उमा के तरकश से निकले तीर जो संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी में घर के ही भीतर एक और मोर्चा खुल रहा है.
क्या नए साल में बदल जाएंगे जीतू पटवारी के सितारे: ज्योतिषियों के हिसाब से तो नहीं कह सकते, लेकिन एमपी से गुजरी भारत जोड़ो यात्रा के बाद कहा जा रहा है कि विधायक जीतू पटवारी के सितारे बदल सकते हैं. असल में राहुल गांधी यूथ ब्रिगेड के साथ कांग्रेस में जो बदलाव लाना चाह रहे हैं. सुना ये है कि उसके प्रयोग विधानसभा चुनाव के साथ ही शुरु कर दिए जाएंगे. और जाहिर है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस की पहली प्रयोग शाला होगा. जहां कमलनाथ से लेकर दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी तक फ्रंट पर खड़े तमाम नेता उम्रदराज हैं. बाकी पिछले दिनों कांग्रेस की युवा ब्रिगेड ने जिस तरह से कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह गैरमौजूदगी में जिस तरह से मोर्चा संभाला उसके बाद जीतू पटवारी के नंबर और बढ़ गए हैं. और सुनने में तो ये भी आया है कि चुनावी साल लगते ही किसी शुभ मुहुर्त के साथ जीतू पटवारी को मिल सकती है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जवाबदारी. और कमलनाथ सीएम चेहरे केसाथ चुनाव अभियान समिति की किसी बड़ी जिम्मेदारी पर प्रमोट किए जा सकते हैं.
सिंधिया समर्थक मंत्री क्यों दिखा रहे हैं कुंडली: वैसे तो नए साल की शुरुआत में आम आदमी का भी पहला सवाल होता है कि आने वाला साल कैसा होगा. फिर इस साल में जिन्हें पांच साल का भाग्य चमकाना हो उनकी तो पूछिए मत. आप समझ गए ना यहां मंत्रियों विधायकों की तरफ है इशारा. पर सुना ये है कि विधायकों में भी ज्यादा चिंता सिंधिया समर्थक उन मंत्रियों और विधायकों को है चुनावी साल लगते ही जिन पर राहू केतू मंडराते दिखाई दे रहे हैं. सिंधिया समर्थक एक मंत्री का वीडियो दूसरे मंत्री को ससुराल से गिफ्ट में मिली 50 एकड़ जमीन का मामला. सुना ये है कि ज्योतिषियों से ये मंत्री पूछ रहे हैं कि नए साल में क्या ग्रहों की चाल इन्हें आगामी संकट से बचा पाएगी. और उनके भाग्य में जीत से पहले विधानसभा के टिकट की गारटी है कि नहीं.