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MP Political Gossips: दीपक जोशी के बाद भी, क्या BJP में फिर एक बार होगा पोखरण विस्फोट ? - दीपक जोशी ने छोड़ी बीजेपी

इस हफ्ते 'अंदर की लाएं हैं' में आप पढ़ेंगे कि जिस तरह से बीजेपी का दामन छोड़ दीपक जोशी ने कांग्रेस का हाथ थामा है, क्या ये भाजपा जोखिम उठा पाएगी. इसके साथ ही आप जानेंगे की कथावाचक धीरेन्द्र शास्त्री की मुश्किलें कैसे बढ़ने वाली हैं.

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अंदर की लाए हैं
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Published : May 6, 2023, 9:46 PM IST

भोपाल। बीजेपी में बगावत के तेवर दिखाते और कितने नेता आएंगे, क्या चुनावी साल में पार्टी के जिम्मेदार ये जोखिम उठा पाएंगे. क्या अपने ही बयानों में उलझने वाले हैं हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरते बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र शास्त्री. पूर्व सांसद ने क्यों लिखी पार्टी छोड़ गए दीपक जोशी को ऐसी आत्मीय चिट्ठी. क्या बीजेपी में बढ़ते घाव इतनी जल्दी भर पाएंगे. जानेंगे सब कुछ यहां, पढ़िए अंदर की लाएं हैं-

क्या फिर बीजेपी में होगा पोखरण विस्फोट: बीजेपी में जिस तरह से नेताओं के बगावती तेवर सामने आए हैं और दीपक जोशी के पार्टी छोड़ने के बाद जिस तरह से नेताओं की बगावती सुर सुनाई दे रही है. एमपी के सियासी गलियारों में ये चर्चाएं तेज हो गई है कि बीजेपी में फिर एक बार पोखरण विस्फोट होगा. प्रभात झा जिस समय बीजेपी अध्यक्ष थे तब इसी तरह से उनकी विदाई की गई थी. अब कहा जा रहा है कि वीडी शर्मा को भी पार्टी उसी अंदाज में विदा कर सकती है. वजह ये है कि उनके नेतृत्व को लेकर न केवल सवाल उठ रहे हैं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता इशारों में कह रहे हैं कि इनके नेतृत्व से संगठन संभाले नहीं संभल रहा है. सबसे ज्यादा शिकायतें पार्टी में कार्यकर्ताओं की अनदेखी को लेकर है. कहा जा रहा है कि पार्टी में अब वन वे कम्यूनिकेशन ही बांकी रहा है. कार्यकर्ता केवल सुनने के लिए हैं. कार्यकर्ता अगर कुछ कहे तो उसकी सुनवाई कहीं नहीं है. चर्चा ये है कि अगर बगावत संक्रमण की तरह फैली तो पार्टी चुनावी साल में स्थितियां संभालने कोई कठोर फैसला भी ले सकती है.

बीजेपी की मुश्किल न बढ़ा दें धीरेन्द्र शास्त्री: अभी तक जिस तरह से हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे थे बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री उससे लग रहा था कि बीजेपी के लिए चुनाव में महाराज अच्छी पिच तैयार कर देंगे. लेकिन अब महाराज की जुबान पिछले दिनों से जिस तरह फिसली है उसके बाद संकट बढ़ गया है कि हवन करते हाथ जले का किस्सा न हो जाए. असल में इसकी वजह है हेट स्पीच को लेकर राज्यों को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश. उस पर धीरेन्द्र शास्त्री अपने बयानों से अलग-अलग वर्गों को नाराज भी कर रहे हैं. जिस तरह से उन्होंने हैहय क्षत्रिय समाज के भगवान सहस्त्रार्जुन के खिलाफ टिप्पणी की है और जिस तरह से समाज ने FIR दर्ज करवाई है, कहा जा रहा है कि अगर ये मामला हेट स्पीच में आया तो महाराज की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही साथ ही महाराज को हिंदुत्व का ब्रांड एंबेसडर बनाकर अपने विधानसभा क्षेत्रों में ले जाने वाले बीजेपी विधायकों का भी संकट बढ़ जाएगा. वजह ये कि इस समाज की तकरीबन हर विधानसभा सीट में वोट है जो बागेश्वर धाम के विरोध को जाहिर है, बीजेपी की खिलाफत तक ले जाएंगे.

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दीपक जोशी को रोकने पूर्व सांसद की आत्मीय पुकार: पूर्व मंत्री दीपक जोशी और पूर्व सांसद आलोक संजर कॉलेज के जमाने के दोस्त हैं. आलोक संजर को लोकसभा चुनाव का टिकट दिलाने में कैलाश जोशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. अब जब दीपक जोशी ने बीजेपी छोड़ने का फैसला किया तो आलोक संजर ने सोशल मीडिया पर बेहद आत्मीय कविता दीपक जोशी के लिए लिखी. इसकी शुरुआत में उन्होंने लिखा कि "दीपक तो आलोक का ही रहेगा, दीपक के बिना आलोक????…" उन्होंने इस कविता में कैलाश जोशी के उपकारों को भी रेखांकित करते हुए लिखा है कि "मेरे और मेरे परिवार पर कितने उपकार हैं. जीवन ही नहीं जन्मों-जन्मों तक वह उपकार भूल ही नहीं सकता हूं. मेरी कलम कोरे पन्ने पर लिखने को तैयार नहीं- फिर भी… तकलीफ में है आज “संजर”, कितना बदला-बदला सा है मंजर. लोक बुझा-बुझा सा, दीपक उलझा-उलझा सा…राजनीति भी क्या चीज है, अपने हुए पराए, दूजा अजीज है." हालांकि उनकी इस भावुक अभिव्यक्ति पर भी कुछ भाजपा नेताओं ने सवाल उठाते हुए पूछा कि "आलोक भाई ये समय ज्ञान देने का नहीं, दीपक जोशी का साथ देने का है." समझाइश ये भी आई की दोस्ती की है तो उस दोस्ती को अब निभाओ आलोक भाई.

भोपाल। बीजेपी में बगावत के तेवर दिखाते और कितने नेता आएंगे, क्या चुनावी साल में पार्टी के जिम्मेदार ये जोखिम उठा पाएंगे. क्या अपने ही बयानों में उलझने वाले हैं हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरते बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र शास्त्री. पूर्व सांसद ने क्यों लिखी पार्टी छोड़ गए दीपक जोशी को ऐसी आत्मीय चिट्ठी. क्या बीजेपी में बढ़ते घाव इतनी जल्दी भर पाएंगे. जानेंगे सब कुछ यहां, पढ़िए अंदर की लाएं हैं-

क्या फिर बीजेपी में होगा पोखरण विस्फोट: बीजेपी में जिस तरह से नेताओं के बगावती तेवर सामने आए हैं और दीपक जोशी के पार्टी छोड़ने के बाद जिस तरह से नेताओं की बगावती सुर सुनाई दे रही है. एमपी के सियासी गलियारों में ये चर्चाएं तेज हो गई है कि बीजेपी में फिर एक बार पोखरण विस्फोट होगा. प्रभात झा जिस समय बीजेपी अध्यक्ष थे तब इसी तरह से उनकी विदाई की गई थी. अब कहा जा रहा है कि वीडी शर्मा को भी पार्टी उसी अंदाज में विदा कर सकती है. वजह ये है कि उनके नेतृत्व को लेकर न केवल सवाल उठ रहे हैं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता इशारों में कह रहे हैं कि इनके नेतृत्व से संगठन संभाले नहीं संभल रहा है. सबसे ज्यादा शिकायतें पार्टी में कार्यकर्ताओं की अनदेखी को लेकर है. कहा जा रहा है कि पार्टी में अब वन वे कम्यूनिकेशन ही बांकी रहा है. कार्यकर्ता केवल सुनने के लिए हैं. कार्यकर्ता अगर कुछ कहे तो उसकी सुनवाई कहीं नहीं है. चर्चा ये है कि अगर बगावत संक्रमण की तरह फैली तो पार्टी चुनावी साल में स्थितियां संभालने कोई कठोर फैसला भी ले सकती है.

बीजेपी की मुश्किल न बढ़ा दें धीरेन्द्र शास्त्री: अभी तक जिस तरह से हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे थे बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री उससे लग रहा था कि बीजेपी के लिए चुनाव में महाराज अच्छी पिच तैयार कर देंगे. लेकिन अब महाराज की जुबान पिछले दिनों से जिस तरह फिसली है उसके बाद संकट बढ़ गया है कि हवन करते हाथ जले का किस्सा न हो जाए. असल में इसकी वजह है हेट स्पीच को लेकर राज्यों को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश. उस पर धीरेन्द्र शास्त्री अपने बयानों से अलग-अलग वर्गों को नाराज भी कर रहे हैं. जिस तरह से उन्होंने हैहय क्षत्रिय समाज के भगवान सहस्त्रार्जुन के खिलाफ टिप्पणी की है और जिस तरह से समाज ने FIR दर्ज करवाई है, कहा जा रहा है कि अगर ये मामला हेट स्पीच में आया तो महाराज की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही साथ ही महाराज को हिंदुत्व का ब्रांड एंबेसडर बनाकर अपने विधानसभा क्षेत्रों में ले जाने वाले बीजेपी विधायकों का भी संकट बढ़ जाएगा. वजह ये कि इस समाज की तकरीबन हर विधानसभा सीट में वोट है जो बागेश्वर धाम के विरोध को जाहिर है, बीजेपी की खिलाफत तक ले जाएंगे.

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