भोपाल। विंध्य से ग्वालियर चंबल के दौरे पर पहुंचे दिग्गी राजा ने किसकी लगाई क्लास है और कहां भड़ास बाहर आई है. एमपी के हैं कर्मचारी, लेकिन कर्नाटक वाली सरकार क्यों रास आई और कैसे कलेक्टर साहब की पत्नि ने की गाय की तलाश, क्या गाय के सहारे कैसे पूरी होगी मन की आस? आइए जानते हैं 'अंदर की लाए हैं' में हफ्ते का एमपी पॉलीटिक्स गपशप..
आ गए राजा जी, अब निकालो भड़ास: कांग्रेस के कार्यकर्ता भी यही जानते हैं और आका भी कि पार्टी के राजा जी कांग्रेस की हारी हुई 65 सीटों का सीन बदलने निकले हैं और इस कवायद में है कि उनकी यात्रा कि कांग्रेस की कमजोर कड़ियों को कसा जाए, लेकिन अंदर की खबर ये है कि चुनाव के पहले एक बड़े काम पर हैं दिग्गी राजा. पार्टी की कमराबंद बैठकों में कार्यकर्ताओँ के मन की बात या सीधी भाषा में कहिए तो भड़ास सुनी जा रही है, जो चुनाव के मद्देनजर सबसे जरुरी काम कहा जा सकता है. अंदर की खबर ये है कि दिग्गी राजा विंध्य से लेकर ग्वालियर चंबल तक कार्यकर्ताओँ के मन की भड़ास सुनने पहुंच रहे हैं. यही वजह है कि इन बैठको में ताकीद कर दी जाती है कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता वाले कार्यकर्ताओँ को ही कमरे में एंट्री मिलेगी. इसमें दोराय नहीं कि राजा की कवायद रंग तो लाती है, पिछले चुनाव में संगत में पंगत करके उन्होंने बिखरी कांग्रेस को एक किया था. क्या ये भड़ास निकलवा कर दिग्गी राजा कार्यकर्ताओं का ये अफसोस कम करवा पाएंगे कि नेताओं के इगो में 15 महीने के भीतर निपट गई थी कांग्रेस की सरकार. बाकी अंदरखाने तो चर्चा इस बात की है कि दिग्गी राजा की ये पूरी कवायद भी तो अपने और अपनों के लिए ही है. कहते हैं राजा की बनाई जमीन पर कल होगा जेवी का जलवा.
MP Political Gossips की मिलती-जुलती ये खबरें जरूर पढ़ें. |
गौ सेवा के रास्ते संघ तक पहुंचते शासकीय सेवक: जब गाय की पूंछ पकड़के नेता चुनावी वैतरणी पार कर सकते हैं तो कलेक्टर साहब गौ माता के आर्शीवाद से आरएसएस में अपनी पैठ क्यों नहीं बना सकते भला. एक पंथ कई काज के अंदाज में कलेक्टर साहब की पत्नि की गाय की खोज चर्चा का विषय बनी हुई है. सुना ये है कि एक बड़े जिले के कलेक्टर की पत्नि यानि मैडम जी इन दिनों युध्द स्तर पर दूधारू गाय की तलाश में है और इसके लिए कई गौ शालाएँ भी विजिट कर चुकी हैं. अब सुनिए कि इस गौ प्रेम के फायदे कितने हैं. एक तो सीधा सीधा गाय के दूध से सेहत जुड़ी है और गौ की सेवा करके जो पुण्य मिलेगा सो अलग. बाकी एक गाय बीजेपी के राज में हजार काम बनाती है, पहले भी गाय के बहाने कलेक्टर साहब ने बीजेपी और संघ में अपनी अच्छी खासी झांकी जमाई थी. गौ प्रेम से सेहत भी बनी रहे और कलेक्टरी भी जमी रहे और क्या चाहिए. देखा इसे कहते हैं गौ माता के सहारे नैया पार करना.
कर्नाटक सरकार से क्यों खुश हैं एमपी के कर्मचारी: 2023 के विधानसभा चुनाव में 2003 का सीन बन सकता है एमपी में. ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारियों के तेवर तो यही हैं, लेकिन अब कर्मचारियों की उम्मीद बना है कर्नाटक. जहा बाकायदा तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो ओपीएस लागू करने वाले राज्यों में जाकर स्टडी करेगी.. कर्मचारियों को उम्मीद है कि स्टडी के बाद अगर बीजेपी शासित कर्नाटक में ओपीएस लागू हो गई तो चुनावी साल में शिवराज सरकार को भी इसी राह पर आना पड़ेगा. अब सुना ये है कि एमपी के कर्मचारी भी शिवराज सरकार को कर्नाटक का आईना दिखा रहे हैं. और बता रहे हैं कि देख लो आपकी ही पार्टी की सरकार है. लेकिन कितनी कर्मचारी फ्रेंडली है.