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MP Political Gossips: बाबाओं की अदा पर फिदा है पूरा देश, एमपी में सत्ता की कैटेलिस्ट बने महाराज

एमपी में किसकी शह पर हो रहा है महाराज सरकार और बाबाओं का बोल बम. कैसे सत्ता के कैटेलिस्ट बन गए हैं ये महाराज. विकास यात्रा की मीडिया क्लिप्स कब और किसे दिखाए जाने की है तैयारी और नागपुर से बजी घंटी किसकी शामत लेकर आई है.

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अंदर की लाए हैं गॉसिप
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Published : Feb 20, 2023, 5:18 PM IST

अंदर की लाए हैं गॉसिप

भोपाल। एमपी में क्या अब सामान्य ज्ञान के प्रश्न बदलने पड़ेंगे. अब पूछा जाएगा बताइए खजुराहो सांची के स्तूप मांडू से ज्यादा चर्चित कौन से स्थान है. जवाब भी बदलेंगे जाहिर है. कुबरेश्वर और बागेश्वर धाम. ये गौर करने की बात है कि प्रदेश का पर्यटन विभाग कई बरसों की मेहनत में एमपी में देश के नक्शे पर इतना चर्चित नहीं कर पाया और ना इस तादात में यहां सैलानी आए. भले धार्मिक सैलानी हों लेकिन जिस तादात में देश के अलग अलग हिस्सों से महाराज और सराकारों ने पिछले एक साल में लोग भोपाल बुला लिए इतने तो पर्यटन विभाग कई साल में नहीं बुला पाया.

ह्रदय प्रदेश में बाबाओं का बोल बम: एमपी में बाबाओं के धाम पर देश के हर हिस्से से भीड़ बिना बुलाए चली आ रही है. कुबेश्वर धाम में हुई अव्यवस्था और मौतें भी सवालों के कटघरे में हैं लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि ये सब हो किसकी शह पर रहा है. चुनावी साल में महाराज सरकार और बाबा सियासी दलों के लिए सत्ता के कैटेलिस्ट बनेंगे. ये सीन तो दिख रहा है क्या यही वजह है कि कुबेश्वर धाम में बदइंतजामियों के बाद भी सरकार एक्शन नहीं ले पाई.

Bageshwar Dham: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री व पं. प्रदीप मिश्रा को कैबिनेट मंत्री बनाने की मांग, कांग्रेस नेता ने शिवराज को लिखा पत्र

विकास यात्रा के आईने में: मध्यप्रदेश में निकल रही मंत्रियों की विकास यात्रा में सरकार की भरपूर किरकिरी हो रही है. कई इलाकों में तो जनता इस अंदाज में मंत्रियों का स्वागत करती है कि आइए आपका इंतजार था. कहीं उखड़ी सड़कें नेताओं के नजराने में पेश की जा रही हैं. कहीं योजनाओं में बदइंतजामी को लेकर पूछे जा रहे हैं सवाल. विधायक और मंत्री जनता को रिझाने ऊंट और घोड़े की सवारी कर रहे हैं. सपेरा और नाग बनके नाच हो रहे हैं लेकिन बात नहीं बन रही.

पार्टी की कमजोर कड़ी: अब सवाल ये है कि ये आईना किसके लिए है. कहा ये जा रहा है कि बीजेपी ने बिना सर्वे के जान लिया कहां कौन सा विधायक पार्टी की कमजोर कड़ी है. बाकी विधायक तो ये जान ही गए होंगे कि ये राह नहीं आसां. कोई बड़ी बात नहीं कि जब टिकट वितरण में कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे और जब उनकी तरफ से कोई सवाल आएंगे तो मीडिया में चली विकास यात्रा के दौर की खबरें दिखाई जाएँगी उन्हे और पूछा जाएगा. आईना देखिए श्रीमान फिर बताइए ये ना करते तो क्या करते.

MP Political Gossips: विकास यात्रा क्या दे रही आभास, कठिन है इस बार डगर पनघट की...

नागपुर से आया किसके नाम का फरमान: चुनावी साल में क्या वो घड़ी आ गई. सियासी अटकलें तेज हैं कि अब चुनाव में जाने से पहले शिवराज सरकार में खराब पर्फामेंस वाले मंत्रियों की छुट्टी किए जाने का समय नजदीक आ गया है. माहौल तो उसी दिन बन गया था जब मंत्रियों को इतवार को तैनात रहने के निर्देश आए थे और कर्मचारियों के अंदाज में ये कहा गया था कि हेडक्वार्टर छोड़कर कोई कहीं नहीं जाएगा. लेकिन सियासत के जानकार ये कह रहे हैं कि विकास यात्रा ने बीजेपी संगठन की भी नींद उड़ा दी है और माना जा रहा है कि मंत्रियों में सबसे ज्यादा शामत उनकी है जो दो साल पहले दूल्हा बनकर पार्टी में आए थे पहली खेप में इनमें से कई का पत्ता कटना तय माना जा रहा है. सियासत में घबराहट इस बात को लेकर भी है कि नागपुर से किसके नाम का फरमान आया है.

अंदर की लाए हैं गॉसिप

भोपाल। एमपी में क्या अब सामान्य ज्ञान के प्रश्न बदलने पड़ेंगे. अब पूछा जाएगा बताइए खजुराहो सांची के स्तूप मांडू से ज्यादा चर्चित कौन से स्थान है. जवाब भी बदलेंगे जाहिर है. कुबरेश्वर और बागेश्वर धाम. ये गौर करने की बात है कि प्रदेश का पर्यटन विभाग कई बरसों की मेहनत में एमपी में देश के नक्शे पर इतना चर्चित नहीं कर पाया और ना इस तादात में यहां सैलानी आए. भले धार्मिक सैलानी हों लेकिन जिस तादात में देश के अलग अलग हिस्सों से महाराज और सराकारों ने पिछले एक साल में लोग भोपाल बुला लिए इतने तो पर्यटन विभाग कई साल में नहीं बुला पाया.

ह्रदय प्रदेश में बाबाओं का बोल बम: एमपी में बाबाओं के धाम पर देश के हर हिस्से से भीड़ बिना बुलाए चली आ रही है. कुबेश्वर धाम में हुई अव्यवस्था और मौतें भी सवालों के कटघरे में हैं लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि ये सब हो किसकी शह पर रहा है. चुनावी साल में महाराज सरकार और बाबा सियासी दलों के लिए सत्ता के कैटेलिस्ट बनेंगे. ये सीन तो दिख रहा है क्या यही वजह है कि कुबेश्वर धाम में बदइंतजामियों के बाद भी सरकार एक्शन नहीं ले पाई.

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पार्टी की कमजोर कड़ी: अब सवाल ये है कि ये आईना किसके लिए है. कहा ये जा रहा है कि बीजेपी ने बिना सर्वे के जान लिया कहां कौन सा विधायक पार्टी की कमजोर कड़ी है. बाकी विधायक तो ये जान ही गए होंगे कि ये राह नहीं आसां. कोई बड़ी बात नहीं कि जब टिकट वितरण में कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे और जब उनकी तरफ से कोई सवाल आएंगे तो मीडिया में चली विकास यात्रा के दौर की खबरें दिखाई जाएँगी उन्हे और पूछा जाएगा. आईना देखिए श्रीमान फिर बताइए ये ना करते तो क्या करते.

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