भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने पटवारी परीक्षा को व्यापमं 3 का नाम दिया है. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश घोटालो का प्रदेश है. 18 साल में कितने सारे घोटाले हुए हैं यादव ने आरोप लगाए कि प्रधानमंत्री ने कहा था घोटालेबाजों को नही छोडूंगा. अब क्या करवाई करने वाले हैं इन महाघोटालो पर. इस मामले की जांच CBI से जांच कराए. NRI कॉलेज संचालक BJP नेता के खिलाफ करवाई हो. जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर शक, मीडिया से बोले उन Top 10 विद्यार्थियों की जांच करे.
MP में व्यापमं भाग-3: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि पटवारी एवं अन्य पदों के लिए हुई परीक्षा में भाजपा नेताओं के निर्देश एवं देखरेख में जमकर धांधली हुई है, जिससे काबिल युवक-युवतियां चयनित होने के बजाय, भाजपा जिन्हें चाहती थी, उन्हें चयनित करवाया गया एवं मध्य प्रदेश फिर एक बार अपनी व्यापमं व्यवस्था के तहत काबिल युवाओं की भर्ती से महरूम रह गया. मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाला कितने बड़े पैमाने पर हुआ जिसने लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया और इस खरीदी हुई सरकार के वापस आने के बाद व्यापमं-2 का खुलासा भी कांग्रेस पार्टी कर चुकी है. जिस परीक्षा का हमने जिक्र किया है उस परीक्षा के परीक्षा परिणाम यदि आप देखेंगे तो इस बात को स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में अब व्यापमं भाग-3 आपके सामने आ चुका है.
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Live : पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मप्र कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव जी की पत्रकार वार्ता। @MPArunYadav https://t.co/dbT48QVKMP
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कांग्रेस के 10 प्रश्न: यादव ने टॉप 10 अभ्यर्थियों की सूची साझा की. इस परीक्षा का परिणाम 30 जून को प्रकाशित किया गया. इस परिणाम में वृहद स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है. यादव ने कहा इस परीक्षा में शामिल सभी काबिल छात्र-छात्राओं के कुछ प्रश्न कांग्रेस पार्टी आपके सामने रख रही है जो निम्न हैं:-
प्रश्न-1: टॉप 10 में से 8 चयन युवक ग्वालियर-चंबल संभाग से हैं, जिनमे से 7 का सेंटर एक ही कॉलेज में था, उस कॉलेज का नाम एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट है. ऐसा कैसे हुआ? उल्लेखनीय है कि उक्त कॉलेज भाजपा विधायक संजीव सिंह का है.
प्रश्न-2: अधिकतर टॉपर्स की एक बात समान है कि उन्होंने अपने हस्ताक्षर हिंदी में किए हैं और वो भी स्पष्ट रूप से अपना नाम लिखा है, जबकि नए छात्र-छात्राओं में से ज्यादातर हिंदी में नाम वाले हस्ताक्षर नहीं करते, खासकर वो जिनके अंग्रेजी में नंबर अच्छे बताए गए हैं, ऐसा लगता है कि ये सोची समझी रणनीति के तहत किए गए है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति या सॉल्वर इतने सरल हस्ताक्षर आसानी से कर सके और परीक्षा दे सके. इन युवाओं ने हिंदी में हस्ताक्षर क्यों किए?
प्रश्न-3: एक ही परीक्षा केंद्र से इतने टॉपर्स निकले है, किंतु मीडिया में किसी टॉपर ने ना तो इंटरव्यू दिया और उनका न ही किसी कोचिंग सेंटर में उनका नाम आया कि वे किसी खास कोचिंग से पढ़े हैं. क्या उन्हें मीडिया से बात करने से रोका गया?
प्रश्न-4: हर शिफ्ट के 3-4 सही प्रश्नों को डिलीट किया गया है, जबकि उनके उत्तर एकदम सही हैं ऐसा क्यों?
प्रश्न-5: नॉर्मलाइजेशन की पूरी प्रक्रिया संदेह के दायरे में है, क्योंकि एक ही शिफ्ट के अंक के कम या ज्यादा होने में भी समानता नहीं है ऐसा कैसे संभव है
प्रश्न-6: इस एक कालेज एनआरआई से चयन का प्रतिशत दिल्ली के मुखर्जी नगर में जो संस्थान आईएएस की कोचिंग पढ़ाते हैं, उन संस्थानों से भी ज्यादा कैसे है
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प्रश्न-7: एक चयनित युवती जिसकी अंकसूची आपके साथ साझा है, इन्होंने जब फॉर्म भरा तो शरीर पर निशान के कॉलम में अंग्रेजी में लिखा है. भाजपा जवाब दे कि इन्हे अंग्रेजी में शत प्रतिशत अंक नही मिले हैं? क्योंकि इनका अंग्रेजी का ज्ञान तो इनके फॉर्म भरते समय ही पता चल गया?
प्रश्न-8: मोदी जी मप्र की धरती पर गारंटी दे रहे थे, मगर शिवराज जी तो इधर व्यापमं घोटाले की गारंटी हैं, कृषि विस्तार अधिकारी घोटाले की गारंटी हैं, शिक्षक भर्ती घोटाले की गारंटी हैं, 220 माह में 220 घोटाले करके कीर्तिमान स्थापित कर दिया है. यादव ने कहा कि जब मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था, तब विधानसभा को घोटालों की लिस्ट मय सबूतों के सौंपी थी, आज दिनांक तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
प्रश्न-9: इस भर्ती परीक्षा में बड़ा अजीब मामला आया है कि एक सवाल था कि नर्मदा का उद्गम स्थल कहां से है, व्यापमं के अपनी आंसर शीट में भोपाल का चयन किया था जबकि उसका सही उत्तर आपको भी पता है कि अनूपपुर है. मगर टॉपर छात्रों ने भोपाल को सिलेक्ट किया था, अभ्यर्थियों ने जब आपत्ति जताई तब जाकर उस सवाल को हटाया गया, क्यों?
प्रश्न-10: एक बड़ा बिंदु निकलकर सामने आ रहा है कि एक अभ्यर्थी पूजा शर्मा के 185 नंबर आये हैं, जबकि व्यापमं ने ही 11 सवाल गलत होने की वजह से हटाए थे, तो इसका मतलब स्वतः 15 नंबर खुद कम हो जाते हैं, परीक्षा फिर 185 नंबर की बची थी, अब क्या कोई अभ्यर्थी 185 में से 185 नंबर किसी कंपीटिटिव एग्जाम में लेकर आ सकता है? साथ ही एप्लाइड प्रेफरेंस में 150 कोड में से चयन करना होता है तो उसमें भी स्टार्टिंग के 2 प्रेफरेंस 153-154 कैसे हो सकते हैं. यह सब फर्जीवाड़े के फॉर्म भी एक जगह से भरे गए हैं और सेंटर भी एक ही दिया गया है.
पटवारी की परीक्षा देने वाले कुछ युवाओं ने भी अपनी बात रखी, उनका कहना था कि साफ-साफ सबूत नजर आते हैं जिसमें उन लोगों को मेरिट में शामिल कर दिया गया. जो ढंग से इंग्लिश लिखना तक नहीं जानते थे.
फिर बदला जाए व्यापमं का नाम: यादव ने कहा व्यापमं नाम बदनाम होने के बाद सरकार ने जिस व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम बदलकर ‘कर्मचारी चयन बोर्ड’ (कचबो) कर दिया, उसका नाम एक बार फिर बदल कर सरकार को ‘कर्मचारी चयन रासलीला (कचरा)’ कर देना चाहिए ताकि जिस तरह ‘व्यावसायिक परीक्षा मंडल’ का शॉर्ट में नाम ‘व्यापम’ होता है उसी तरीके से ‘कर्मचारी चयन रासलीला’ का शार्ट में नाम ‘कचरा’ हो जाए.