भोपाल। तत्कालीन कमलनाथ सरकार और लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन मामले में (Poll cash case) आज मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा की चुनाव आयोग के साथ बैठक हुई. बैठक में अधिकारियों ने चुनाव आयोग को पोल कैश मामले में अब तक की कार्रवाई की जानकारी दी. साथ ही ये भी बताया कि मामला EOW ने दर्ज कर लिया है और इंवेस्टीगेशन चल रहा है. EOW की जांच में क्या सामने आ रहा है? जांच कहां तक पहुंची है इसकी डिटेल जानकारी देने के लिए 2 हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा है.
MP के अधिकारी दिल्ली में हुए हाजिर
चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव की बैठक हुई. इसमें केवल पोल कैश केस (Poll cash case) पर ही चर्चा हुई, क्योंकि पहले ही चुनाव आयोग ने दोनों अधिकारियों को तलब करते हुए साफ कर दिया था कि, वह इस तैयारी के साथ आएं. साथ ही बताएं कि अब तक मामले में क्या-क्या किया गया, आगे क्या करने वाले हैं? वहीं आयकर छापों के मामले में क्या-क्या एक्शन लिया गया इसका भी प्लान लेकर बैठक में आएं.
बैठक से पहले ही ईओडब्ल्यू ने की प्राथमिकी दर्ज
पोल कैश मामले में ईओडब्ल्यू की टीम चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला जांच के लिए दर्ज कर चुकी है. माना जा रहा है कि यह प्राथमिकी इसलिए दर्ज की गई है कि बैठक में मुख्य सचिव इस मामले की कार्रवाई को लेकर अपना पक्ष रख सकें. जानकारी के मुताबिक उन्होने यही बात आयोग के सामने रखी भी. हालांकि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अब तक इस मामले में कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है. लिहाजा ये माना जा रहा है कि दिल्ली में हुई आज इस बैठक में बाद मामले में आगे कोई ठोस एक्शन लिया जा सकता है.
16 दिसम्बर को मिली थी चुनाव आयोग की चिट्ठी
लोकसभा चुनाव के दौरान कालेधन के लेनदेन के मामले में सबसे पहले 16 दिसंबर को राज्य सरकार को चुनाव आयोग की चिट्ठी मिली थी. इसके करीब 9 दिन बाद ही चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को यह कहते हुए तलब किया था कि अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है. हालांकि चुनाव आयोग की इस चिट्ठी और सीबीडीटी की रिपोर्ट के तथ्यों पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अवगत करा चुके थे.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले आयकर छापों के बाद कालेधन के लेनदेन के मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग के उपचुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को 5 जनवरी को दिल्ली तलब किया था. इससे पहले आयोग ने 16 दिसंबर 2020 को मुख्य सचिव को भेजे पत्र में ये साफ कर दिया था कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसी संबंध में बात होगी.
इनकी बढ़ेंगी मुश्किलें
इस मामले में शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों सहित पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि अभी तक प्राथमिकी में किसी का भी नाम शामिल नहीं किया गया है, लेकिन 3 आईपीएस अफसर सुशोभन बनर्जी, वी. मधुकुमार, संजय माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा पर गाज गिरना लगभग तय माना जा रहा है.
रिपोर्ट में 64 विधायकों के नाम, इनमें से 13 बीजेपी में शामिल
सीबीडीटी की रिपोर्ट में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्रियों समेत 64 विधायकों के नाम शामिल हैं. इनमें से 13 विधायक रिपोर्ट आने से पहले ही बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इन 13 में से 8 विधायक सिंधिया समर्थक हैं. हालांकि, रिपोर्ट में सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम नहीं है, लेकिन दिग्विजय सिंह पर लोकसभा चुनाव में 90 लाख रुपए के लेन-देन का आरोप हैं.
यह है पूरा मामला
मध्य प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे.
आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की, तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे, जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी. इस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए.