भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार आत्महत्याओं को रोकने के लिए टास्क फोर्स गठित करने जा रही है. आत्महत्या ना हो इसके लिए सरकार देश के जाने माने चिकित्सकों की सेवाएं भी लेगी. धर्म के गुरू और विभिन्न स्तर पर काम कर रहे समाजिक संगठन की मदद भी सरकार लेगी. मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो आत्महत्या रोकथाम रणनीति का ड्राफ्ट तैयार करेगा. जिसमें 6 उप समितियां 2 माह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.MP government Task force, MP farmer suicide case
टास्क फोर्स का काम ये रहेगा कि सबसे पहले ये टीम आत्महत्याओं के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. क्षेत्र भी चिन्हित होंगे कि किन क्षेत्रों में ज्यादा आत्महत्याएं हो रही हैं. जो रिपोर्ट तैयार हो रही है, उसमें सरकार की चिंता किसान और युवाओं को लेकर है.
किसानों की आत्महत्या मामले में चौथे नंबर पर मप्र: NCRB के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश के किसानों की आत्महत्या के मामले में चौथे नंबर पर है. साल 2017 से साल 2019 तक देश के सभी राज्यों में हुई किसानों की खुदखुशी का डेटा दिया गया है. इन आंकड़ों के अनुसार, देश में सबसे ज़्यादा किसानों की आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र और कर्नाटक से सामने आये हैं. महाराष्ट्र में 2017 में 2426 किसानों, 2018 में 2239 किसानों और साल 2019 में 2680 किसानों ने आत्महत्या की थी. वहीं कर्नाटक में ये आंकड़ा क्रमानुसार 1157, 1365 और 1331 है. जबकि मप्र में 429, 303, 142 है.
दिहाड़ी मजदूरों ने की सबसे ज्यादा आत्महत्याएं: एनसीआरबी-2020 के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 की तुलना में आत्महत्या से जुड़े मामलों में लगभग 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वर्ष 2020 में कुल 1,53,052 लोगों के मौत की वजह आत्महत्या बनी है. जिसमें से सबसे ज़्यादा 33,164 दिहाड़ी मजदूर हैं. इस मामले में सबसे प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है, जहां करीब 13 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्या की. वहीं दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है, जहां पर यह आंकड़ा लगभग 11 प्रतिशत है.
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इस मामले में मध्य प्रदेश तीसरे पायदान पर है: यहां करीब 9.5 फीसदी लोगों की मौत आत्महत्या करने से हुई. आत्महत्या के मामले में पुरुषों का आंकड़ा महिलाओं से अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार देश में 1,08,534 पुरुष तो 44,498 महिलाओं के मौत की वजह आत्महत्या बनी.
2018 में आत्महत्या से हुई कुल मौतों में 8.8 प्रतिशत लोग एमपी के थे. वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 9 प्रतिशत हो गया. वर्ष 2020 की बात करें तो यह आंकड़ा 9.5 हो गया. जबकि 2019 की तुलना में 17.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वहीं राष्ट्रीय औसत (11.3 प्रतिशत) से काफी ज्यादा निकल गया है. राज्य में सबसे अधिक प्रभावित तीन शहर हैं, जिसमें भोपाल, इंदौर और जबलपुर शामिल हैं.
देश में नंबर-1 है एमपी: महिलाओं के कुल आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 44,498 महिलाओं में से 22,372 गृहिणी आत्महत्या करने को मजबूर हुईं. मध्यप्रदेश में 3,185 गृहिणियों ने आत्महत्या की. इस मामले में मध्यप्रदेश देश में नंबर वन है. इसका सबसे बड़ा कारण पारिवारिक हिंसा और आपसी संबंधों में तनाव को माना गया है. जबकि मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और तमिलनाडु में यह आंकड़ा 2,579 एवं 2,559 है.
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मंत्री विश्वास सारंग का क्या कहना है?: चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि आत्महत्या की मानसिकता को रोकने के लिये विस्तृत रूप से कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया है, देश-प्रदेश के प्रसिद्ध मनोचिकित्सकों को टास्क फोर्स में शामिल किया गया है.क्या कहती है कांग्रेस :पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी को घेरते हुए कहा है कि ऐसी स्थिति ही क्यों निर्मित होती है कि, कोई खुदकुशी करे. भाजपा तो इसे भी एक इवेंट बनायेगी. ऐसी स्थिति ही निर्मित नहीं होना चाहिए कि लोग खुदकुशी करें.(MP government Task force) (MP farmer suicide case) (mp government formed task force) (MP first state to prepare draft)