भोपाल। कांग्रेस द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि बीजेपी की 18 साल की सरकार में आदिवासी समुदाय पर अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. बीजेपी सरकार में आदिवासी उत्पीड़न के 30,000 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं. जबकि इससे बड़ी संख्या ऐसे मामले हैं, जो प्रकाश में ही नहीं आ सके. ताजा मामला सीधी जिले के एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने की घटना के रूप में सामने आया. घटना का मुख्य आरोपी बीजेपी नेता है और भाजपा विधायक का प्रतिनिधि था.
आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं गिनाईं : कांग्रेस ने ज्ञापन में नीमच जिले में आदिवासी युवक को गाड़ी से बांधकर घसीटना, नेमावर में आदिवासी युवती और उसके परिवार के 5 लोगों को जिंदा जमीन में गाड़ने जैसी कई घटनाओं का जिक्र किया है. ज्ञापन में कहा है कि शिवराज सरकार आदिवासी कल्याण का बजट सरकारी रैलियों में खर्च कर रही है. अनुसूचित जनजाति के लोग अपने लिए बनाए गए अजाक थानों में शिकायत कराते हैं लेकिन उनका बजट भी सरकार ने स्वीकृत नहीं किया है. इधर, मीडिया से चर्चा के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार की लगातार घटनाएं हो रही हैं. रोज नए मामले सामने आ रहे हैं.
राज्यपाल से ये मांग की : कमलनाथ ने कहा कि राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया है. हमने राज्यपाल से मांग की है कि आदिवासियों के हित की रक्षा के लिए वे खुद आगे आएं. क्योंकि राज्यपाल खुद आदिवासी वर्ग से आते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह, आदिवासी विधायक हीरालाल अलावा, अशोक मर्सकोले, हर्ष विजय गहलोत,डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी, प्रताप ग्रेवाल, मुकेश पटेल, संजय कोई के सहित कई कांग्रेस विधायक मौजूद थे. उधर, कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा में चर्चा कराए जाने की मांग की है. जीतू पटवारी ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि प्रदेश में आतंकवाद आ जाता रुकने का नाम नहीं ले रही.
ये खबरें भी पढ़ें... |
जीतू पटवारी ने ये मांगें रखीं : जीतू पटवारी ने मांग की है कि सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर खुली चर्चा करवाए. चर्चा में सभी दलों के आदिवासी/पिछड़े वर्ग से आने वाले विधायकों को समान रूप से बोलने का अवसर दिया जाए. सरकार पिछड़े एवं जनजाति समुदाय के खिलाफ हुए अपराधों का ब्यौरा प्रस्तुत करे. दर्ज हुए मामलों में अब तक हुई कार्रवाई की रिपोर्ट सरकार पटल पर रखे. जांच एवं कार्रवाई के नाम पर लापरवाही करने वाले पुलिस प्रशासन के खिलाफ की गई सरकारी अनुशंसा का ब्यौरा दिया जाए.