भोपाल। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में रामायण और महाभारत के प्रमुख अंशों को शामिल किए जाने के पहले ही बवाल शुरू हो गया है. उलेमाओं ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब हिंदू धर्म के श्लोकों और उनके अंशों को शामिल किया जा रहा है तो फिर मुस्लिम धर्म से परहेज क्यों. बेहतर हो कि बच्चों में सर्व धर्म समभाव का माहौल बने.
रामायण-महाभारत से किसे परहेज: NCERT की किताबों के सिलेबस में रामायण महाभारत शामिल किए जाने पर महाभारत भी शुरू हो गई है. जहां एक तरफ कांग्रेस ने शिक्षा में भगवाकरण का आरोप लगाया तो वहीं मुस्लिम धर्म गुरुओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. उनका कहना कि हमारे धर्म ग्रंथ के साथ दूसरे सभी धर्मों के अंश भी पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए.
इधर कांग्रेस ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है.कांग्रेस का कहना है कि अब बीजेपी सरकार बच्चों को ये पढ़ाएगी कि द्रौपदी का चीरहरण कैसे हुआ,कैसे भाई भाई लड़े , अब बच्चों को विज्ञान की शिक्षा की जरूरत नहीं.
बीजेपी ने क्या कहा: इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि अब कांग्रेस की सोच ही यही है उसे महाभारत में चीरहरण दिखता है , उनकी मानसिकता लूट खसोट की है, हमें तो भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम का त्याग नजर आता है और श्रीकृष्ण के गीता के उपदेश नजर आते हैं.
हिंदूवादी संगठनों ने किया स्वागत: हिंदूवादी संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है और मुस्लिम धर्मगुरुओं को आइना दिखाते हुए कहा कि अपना इतिहास देख लें और पूरे संसार में जेहादी इस्लाम क्या कर रहा है ये सब देख रहे हैं.
NCERT की समिति का क्या है सुझाव: NCERT की उच्च स्तरीय सामाजिक विज्ञान समिति ने भी सिफारिश की है कि रामायण और महाभारत को इतिहास पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए. वहीं समिति ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को भी शामिल करने का सुझाव दिया है.
इतिहास में भी फेरबदल का सुझाव: समिति के सुझावों में इतिहास के पाठ्यक्रम पर प्रमुख फोकस रहा. समिति ने इतिहास को 4 भागों में बांटने की सिफारिश की है. जिसमें इतिहास को शास्त्रीय काल, मध्यकाल , ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत में क्लासीफाइड करने का सुझाव दिया है.
समिति की अन्य सिफारिश: समिति ने सिफारिश की है कि पाठ्य पुस्तकों में भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए. सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में जानकारी को भी शामिल करना चाहिए. इससे छात्र भारतीय जननायक और उनके संघर्षों के बारे में पढ़ सकेंगे और जान सकेंगे.