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बालाघाट के डाक मतपत्र मामले को लेकर बोले बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, इलेक्शन कमीशन कर रहा है अपना काम - What did say VD Sharma in balaghat case

Statement of BJP State President in Balaghat case: बालाघाट के डाक मतपत्र मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि वहां जो भी गड़बड़ी हुई है उसे अपने संज्ञान में लेकर चुनाव आयोग लगातार कार्रवाई कर रहा है.

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बालाघाट के पोस्टल बैलेट मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने की प्रेस कांन्फ्रेंस
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 6:39 PM IST

बालाघाट के पोस्टल बैलेट मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का बयान

भोपाल। बालाघाट के पोस्टल बैलेट मामले में कांग्रेस कलेक्टर को हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं. इधर चुनाव आयोग के निर्देश के बाद कलेक्टर पहले ही दो अधिकारियों को सस्पेंड कर चुके हैं. यहां हुए हेरफेर को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि चुनाव आयोग खुद मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई कर रहा है.

क्या बोले वीडी शर्मा: राजधानी में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कई मामलों में अपना पक्ष रखा. बालाघाट की पोस्टल बैलेट की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जो वहां किया था उसमें किसी प्रकार का कोई लेकुना नहीं था ना ही किसी अन्य प्रकार की कोई अलग प्रकार की मंशा थी. चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार कार्य किया जा रहा है. इलेक्शन कमीशन अपने संज्ञान में लेकर लगातार कार्रवाई कर रहा है.

कांग्रेस ने क्या की है मांग: बालाघाट मामले में कांग्रेस लगातार कलेक्टर को हटाने की मांग कर रही है. ऐसा आरोप है कि नोडल अधिकारी और तहसीलदार हिम्मत सिंह समय से पहले पोस्टल बैलेट की मतगणना का काम करवा रहे थे.इस मामले का एक वीडियो भी सामने आया था.वीडियो के सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर को निर्देश जारी किए थे. इसके बाद कलेक्टर ने नोडल अधिकारी हिम्मत सिंह और एसडीएम गोपाल सोनी को सस्पेंड कर दिया है. अब कांग्रेस कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा पर भी कार्रवाई की मांग कर रही है.

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मतदान नहीं करने का आरोप: इधर, कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर शासकीय कर्मचारियों को मतदान नहीं करने दिया गया. इस आरोप पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है और न ही ऐसा संभव है. वोट डालने का उनका अपना अधिकार है जिससे हमें कोई वंचित नहीं कर सकता. लोकतंत्र में ऐसा कभी संभव नहीं है और इस बार तो निर्वाचन आयोग ने अलग व्यवस्था भी की थी. जिसमें 80 साल से अधिक और दिव्यागों को उनके घर से मतदान करने की सुविधा दी गई थी. ऐसे में किसी शासकीय कर्मचारियों को वोट डालने से वंचित करने का तो सवाल ही नहीं उठता.

बालाघाट के पोस्टल बैलेट मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का बयान

भोपाल। बालाघाट के पोस्टल बैलेट मामले में कांग्रेस कलेक्टर को हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं. इधर चुनाव आयोग के निर्देश के बाद कलेक्टर पहले ही दो अधिकारियों को सस्पेंड कर चुके हैं. यहां हुए हेरफेर को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि चुनाव आयोग खुद मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई कर रहा है.

क्या बोले वीडी शर्मा: राजधानी में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कई मामलों में अपना पक्ष रखा. बालाघाट की पोस्टल बैलेट की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जो वहां किया था उसमें किसी प्रकार का कोई लेकुना नहीं था ना ही किसी अन्य प्रकार की कोई अलग प्रकार की मंशा थी. चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार कार्य किया जा रहा है. इलेक्शन कमीशन अपने संज्ञान में लेकर लगातार कार्रवाई कर रहा है.

कांग्रेस ने क्या की है मांग: बालाघाट मामले में कांग्रेस लगातार कलेक्टर को हटाने की मांग कर रही है. ऐसा आरोप है कि नोडल अधिकारी और तहसीलदार हिम्मत सिंह समय से पहले पोस्टल बैलेट की मतगणना का काम करवा रहे थे.इस मामले का एक वीडियो भी सामने आया था.वीडियो के सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर को निर्देश जारी किए थे. इसके बाद कलेक्टर ने नोडल अधिकारी हिम्मत सिंह और एसडीएम गोपाल सोनी को सस्पेंड कर दिया है. अब कांग्रेस कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा पर भी कार्रवाई की मांग कर रही है.

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मतदान नहीं करने का आरोप: इधर, कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर शासकीय कर्मचारियों को मतदान नहीं करने दिया गया. इस आरोप पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है और न ही ऐसा संभव है. वोट डालने का उनका अपना अधिकार है जिससे हमें कोई वंचित नहीं कर सकता. लोकतंत्र में ऐसा कभी संभव नहीं है और इस बार तो निर्वाचन आयोग ने अलग व्यवस्था भी की थी. जिसमें 80 साल से अधिक और दिव्यागों को उनके घर से मतदान करने की सुविधा दी गई थी. ऐसे में किसी शासकीय कर्मचारियों को वोट डालने से वंचित करने का तो सवाल ही नहीं उठता.

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