भोपाल। चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ते मामलों को लेकर एमपी फिर एक बार सुर्खियों में है. एमपी में एक साल के भीतर चाइल्ड पोर्नोग्राफी 160 मामले सामने आए हैं. जो 2022 के मुकाबले ज्यादा हैं. 2022 में एमपी में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केवल 147 मामले ही दर्ज किए गए थे. चिंता की बात ये है कि पोर्नोग्राफी का रैकेट चलाने वाले गिरोह अब मेट्रोज के साथ छोटे शहरों को भी निशाना बना रहा है. ये गिरोह सोशल मीडिया पर लगाई गई बच्चों की तस्वीरों का गलत इस्तेमाल करते हैं.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी में दूसरे नंबर पर एमपी: असल में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में कर्नाटक 235 मामलों के साथ पहले नंबर पर था. दूसरे नंबर पर एमपी 147 मामलों के साथ था. तीसरे नंबर पर छत्तीसगढ था. जहां 112 मामले दर्ज हुए था. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 से 2023 में एमपी में इन मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है.
कैसे काम करता है गिरोह: असल में सोशल मीडिया पर अपलोड की गई युवाओं और बच्चों की तस्वीरें रैकेटर्स पहले सिलेक्ट कर लेते हैं. फिर वो इन तस्वीरों को अपने हिसाब से बदल कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इन्हें अपलोड कर देते हैं. साइबर पुलिस तक पहुंची एक शिकायत में किसी युवती ने त्योहार की तस्वीर अपलोड की, लेकिन उसका गलत इस्तेमाल कर लिया गया. लड़की की तस्वीर में बदलाव कर दिया गया. बाद में परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस में की. बदनामी की वजह से परिवार को गहरा सदमा झेलना पड़ा. साइबर पुलिस का कहना है कि अब इस तरह के मामले छोटे शहरो में भी दर्ज होने लगे हैं. साइबर पुलिस का कहना है कि इस मामले में पुलिस लगातार जागरुकता कार्यशालाएं आयोजित करती है, जिससे युवा और बच्चे सतर्क हो सकें.
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सोशल मीडिया का मिसयूज रहे मालूम: मनोवैज्ञानिक अदिति सक्सेना कहती हैं कि अब समय आ गया है कि बच्चों को सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाए. असल में इस तरह की घटनाएं जो होती हैं, वो ऐसा अपराध है जो अपराधी जैसा पीड़ित के जीवन को प्रभावित करते हैं. बच्चे गहरे अवसाद में चले जाते हैं. कई बार तो अपने साथ कुछ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इससे निकालने के लिए उनका जागरुक होना बेहद जरुरी है.'