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35 साल में 42 लाख पेड़ काटकर कर लिया अतिक्रमण, NGT ने कलेक्टर और निगम आयुक्त को जारी किया नोटिस, मांगा जवाब - bhopal encroachment news

एक तरफ सरकार पौधरोपण कर रही है और दूसरी तरफ 35 साल में सिर्फ भोपाल के आसपास 42 लाख पौधे काट दिए गए. जब इस मामले की तथ्यपरक रिपोर्ट एनजीटी के सामने प्रस्तुत की गई तो भोपाल कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त, डीएफओ और पीसीबी भोपाल को नोटिस दिया गया. इसमें इन्हें 6 सप्ताह में जवाब देना होगा.

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35 साल में 42 लाख पेड़ काटकर कर लिया अतिक्रमण
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Published : Mar 3, 2023, 6:48 PM IST

भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) में बीते कई साल से पेड़ कटाई को लेकर अलग अलग याचिकाएं लगाई गई थी, लेकिन इसमें सबसे तत्यपरक रिपोर्ट याचिकाकर्ता डॉ. सुभाष सी पांडेय ने प्रस्तुत की. इनकी रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों को देखकर एनजीटी ने 6 फरवरी को सुनवाई की थी. सुनवाई के बाद गुरूवार देर रात में एक फैसला सामने आया. इसमें बताया गया कि भोपाल शहर में सरकारी जमीन पर लगाए गए 42 लाख पेड़ों को काटकर अतिक्रमण कर लिया गया है. इन अतिक्रमणों की विस्तृत रिपोर्ट मांगने के लिए एनजीटी ने नगरीय प्रशासन विभाग और नगर निगम को छह सप्ताह का समय दिया है. इसमें डीएफओ भोपाल और एमपी प्रदूषण नियंत्रण मंडल की संयुक्त टीम भी नगर निगम के साथ मिलकर छह सप्ताह में प्रतिवेदन तैयार करेगी. इस पूरे मामले में मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.

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35 साल में 42 लाख पेड़ काटकर कर लिया अतिक्रमण

अतिक्रमण रोकने की बजाय सीपीए कर दिया बंद: जिन पेड़ और पौधों को लेकर एनजीटी ने नोटिस दिया है, वे राजधानी परियोजना वन मंडल ने शहर में भोज वेटलैंड परियोजना के तहत लगाए गए थे. इसके तहत कुल 17.68 लाख पेड़ लगाए गए थे. इसके अलावा सामान्य वन मंडल यानी फॉरेस्ट भोपाल से द्वारा लगाए गए 6.47 लाख पेड़ और शहरी पौधारोपण के तहत लगाए गए 17.97 लाख पेड़ों की सुरक्षा और उनके रखरखाव की जिम्मेदारी सीपीए भोपाल की फॉरेस्ट डिवीजन को दी गई थी. लेकिन यह डिवीजन सुरक्षा करने में फेल हो गई और इन सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हो गया. हद तो यह है कि अतिक्रमण हटाने को लेकर जब सीपीए की तरफ से नगर निगमू आयुक्त को एक पत्र 10 दिसंबर 2021 को भेजा गया तो उसके बाद ऐसे शहर में 692 इलाके चिह्नित भी कर लिए गए, जहां बड़े अस्पतालों, कार्पोरेटर्स और राजनेताओं ने अतिक्रमण करके रखा था, लेकिन इसे हटाया नहीं गया.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

चार साल पहले दिया था नोटिस: राजधानी के बड़े तालाब के फुल टैंक लेवल में आने वाली मुनारों के 50 मीटर के दायरे के भीतर भी जमकर अतिक्रमण हुआ है. इसको लेकर 4 साल पहले एनजीटी ने एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम कमिश्नर और कलेक्टर भोपाल को तलब किया था. इनसे जवाब मांगा था कि शहर के छोटे तालाब, शाहपुरा तालाब, मुंशी हुसैन खां का तालाब, नवाब सिद्दीक हसन तालाब के आसपास हुए अतिक्रमण का सीमांकन क्यों नहीं किया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई थी, लेकिन यह समस्या अब भी जस की तस है.

भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) में बीते कई साल से पेड़ कटाई को लेकर अलग अलग याचिकाएं लगाई गई थी, लेकिन इसमें सबसे तत्यपरक रिपोर्ट याचिकाकर्ता डॉ. सुभाष सी पांडेय ने प्रस्तुत की. इनकी रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों को देखकर एनजीटी ने 6 फरवरी को सुनवाई की थी. सुनवाई के बाद गुरूवार देर रात में एक फैसला सामने आया. इसमें बताया गया कि भोपाल शहर में सरकारी जमीन पर लगाए गए 42 लाख पेड़ों को काटकर अतिक्रमण कर लिया गया है. इन अतिक्रमणों की विस्तृत रिपोर्ट मांगने के लिए एनजीटी ने नगरीय प्रशासन विभाग और नगर निगम को छह सप्ताह का समय दिया है. इसमें डीएफओ भोपाल और एमपी प्रदूषण नियंत्रण मंडल की संयुक्त टीम भी नगर निगम के साथ मिलकर छह सप्ताह में प्रतिवेदन तैयार करेगी. इस पूरे मामले में मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.

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35 साल में 42 लाख पेड़ काटकर कर लिया अतिक्रमण

अतिक्रमण रोकने की बजाय सीपीए कर दिया बंद: जिन पेड़ और पौधों को लेकर एनजीटी ने नोटिस दिया है, वे राजधानी परियोजना वन मंडल ने शहर में भोज वेटलैंड परियोजना के तहत लगाए गए थे. इसके तहत कुल 17.68 लाख पेड़ लगाए गए थे. इसके अलावा सामान्य वन मंडल यानी फॉरेस्ट भोपाल से द्वारा लगाए गए 6.47 लाख पेड़ और शहरी पौधारोपण के तहत लगाए गए 17.97 लाख पेड़ों की सुरक्षा और उनके रखरखाव की जिम्मेदारी सीपीए भोपाल की फॉरेस्ट डिवीजन को दी गई थी. लेकिन यह डिवीजन सुरक्षा करने में फेल हो गई और इन सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हो गया. हद तो यह है कि अतिक्रमण हटाने को लेकर जब सीपीए की तरफ से नगर निगमू आयुक्त को एक पत्र 10 दिसंबर 2021 को भेजा गया तो उसके बाद ऐसे शहर में 692 इलाके चिह्नित भी कर लिए गए, जहां बड़े अस्पतालों, कार्पोरेटर्स और राजनेताओं ने अतिक्रमण करके रखा था, लेकिन इसे हटाया नहीं गया.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

चार साल पहले दिया था नोटिस: राजधानी के बड़े तालाब के फुल टैंक लेवल में आने वाली मुनारों के 50 मीटर के दायरे के भीतर भी जमकर अतिक्रमण हुआ है. इसको लेकर 4 साल पहले एनजीटी ने एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम कमिश्नर और कलेक्टर भोपाल को तलब किया था. इनसे जवाब मांगा था कि शहर के छोटे तालाब, शाहपुरा तालाब, मुंशी हुसैन खां का तालाब, नवाब सिद्दीक हसन तालाब के आसपास हुए अतिक्रमण का सीमांकन क्यों नहीं किया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई थी, लेकिन यह समस्या अब भी जस की तस है.

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