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MP : कपास उद्योग पर टैक्स की मार के कारण 200 से ज्यादा जिनिंग फैक्ट्री का मध्यप्रदेश से पलायन

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Published : Oct 18, 2022, 6:28 PM IST

मध्यप्रदेश में कपास व्यवसाय और जिनिंग फैक्ट्री से जुड़े व्यवसाय पर भारी भरकम टैक्स लगाए जाने के कारण प्रदेश के कपास व्यापारी और जिनिंग फैक्ट्री संचालक हड़ताल पर हैं. अन्य पड़ोसी राज्यों के मुकाबले एमपी में उत्पादन पर 5 गुना ज्यादा खर्च आने के कारण प्रदेश का कपास उद्योग गुजरात और महाराष्ट्र में शिफ्ट हो गया है. इन हालातों में जिनिंग फैक्ट्री और कपास व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूर बेरोजगारी के कारण आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हैं. इस बारे में खरगोन के पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे ने सरकार से कपास से मंडी शुल्क कम करने की मांग उठाई है. (Cotton industry MP) (Tax hit on cotton industry) (200 ginning factories migrate) (MP Cotton Business and Factory)

MP Tax hit on cotton industry
टैक्स की मार के कारण 200 से ज्यादा जिनिंग फैक्ट्री का मध्यप्रदेश से पलायन

इंदौर। खरगोन के पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे ने इस आशय को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी लिखा है. इस पत्र में श्री मोघे ने मध्य प्रदेश के कपास व्यवसाय और जिनिंग फैक्ट्री संचालकों की परेशानी बयां करते हुए लिखा है कि पड़ोसी राज्यों में .50% प्रतिशत मंडी टैक्स कपास पर लगता है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह शुल्क 1.70% से भी ज्यादा है. इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में कपास की जो गठान ₹600 में तैयार होती है, वह महाराष्ट्र व गुजरात में ₹100 में तैयार हो रही है. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश का पूरा कपास उद्योग टैक्स की मार के कारण महाराष्ट्र गुजरात शिफ्ट हो चुका है लेकिन राज्य सरकार लंबे समय से इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दे पा रही है.

जिनिंग फैक्ट्री में हड़ताल : कृष्ण मुरारी मोघे ने लिखा है कि इसी मांग के मद्देनजर खरगोन बड़वानी सेंधवा समेत निमाड़ अंचल के कपास व्यवसाई और जिनिंग फैक्ट्री संचालकों ने 11 अक्टूबर से ही अनिश्चित हड़ताल कर रखी है. इन हालातों में मध्यप्रदेश की 200 से ज्यादा फैक्ट्रियां गुजरात और महाराष्ट्र में पलायन कर चुकी हैं. इधर, फसल बिक्री को लेकर भी यही हाल है. अपनी ही फसल बेचने के लिए प्रदेश के लाखों किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

MP Tax hit on cotton industry
टैक्स की मार के कारण 200 से ज्यादा जिनिंग फैक्ट्री का मध्यप्रदेश से पलायन

उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा का बड़ा बयान, बोले- अगले साल शुरू होंगी करीब 2000 नई इंडस्ट्रीज

मिलें बंद होने से कर्मचारी व मजदूर बेरोजगार : इसके अलावा इस साल ज्यादा बारिश होने के कारण बड़ी मात्रा में कपास की फसल बर्बाद भी हुई है. लिहाजा इस सेक्टर में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारी मिलों के बंद होने के कारण बेरोजगार हो चुके हैं. किसानों और मजदूरों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है. इसलिए मध्यप्रदेश में कपास उद्योग को बचाने के लिए मंडी शुल्क पड़ोसी राज्यों के बराबर ही .50% करना चाहिए जिससे कि व्यापारियों सार्थक चर्चा के फल स्वरुप हड़ताल समाप्त कराई जा सके. (Cotton industry MP) (Tax hit on cotton industry) (200 ginning factories migrate) (MP Cotton Business and Factory)

इंदौर। खरगोन के पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे ने इस आशय को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी लिखा है. इस पत्र में श्री मोघे ने मध्य प्रदेश के कपास व्यवसाय और जिनिंग फैक्ट्री संचालकों की परेशानी बयां करते हुए लिखा है कि पड़ोसी राज्यों में .50% प्रतिशत मंडी टैक्स कपास पर लगता है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह शुल्क 1.70% से भी ज्यादा है. इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में कपास की जो गठान ₹600 में तैयार होती है, वह महाराष्ट्र व गुजरात में ₹100 में तैयार हो रही है. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश का पूरा कपास उद्योग टैक्स की मार के कारण महाराष्ट्र गुजरात शिफ्ट हो चुका है लेकिन राज्य सरकार लंबे समय से इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दे पा रही है.

जिनिंग फैक्ट्री में हड़ताल : कृष्ण मुरारी मोघे ने लिखा है कि इसी मांग के मद्देनजर खरगोन बड़वानी सेंधवा समेत निमाड़ अंचल के कपास व्यवसाई और जिनिंग फैक्ट्री संचालकों ने 11 अक्टूबर से ही अनिश्चित हड़ताल कर रखी है. इन हालातों में मध्यप्रदेश की 200 से ज्यादा फैक्ट्रियां गुजरात और महाराष्ट्र में पलायन कर चुकी हैं. इधर, फसल बिक्री को लेकर भी यही हाल है. अपनी ही फसल बेचने के लिए प्रदेश के लाखों किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

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मिलें बंद होने से कर्मचारी व मजदूर बेरोजगार : इसके अलावा इस साल ज्यादा बारिश होने के कारण बड़ी मात्रा में कपास की फसल बर्बाद भी हुई है. लिहाजा इस सेक्टर में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारी मिलों के बंद होने के कारण बेरोजगार हो चुके हैं. किसानों और मजदूरों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है. इसलिए मध्यप्रदेश में कपास उद्योग को बचाने के लिए मंडी शुल्क पड़ोसी राज्यों के बराबर ही .50% करना चाहिए जिससे कि व्यापारियों सार्थक चर्चा के फल स्वरुप हड़ताल समाप्त कराई जा सके. (Cotton industry MP) (Tax hit on cotton industry) (200 ginning factories migrate) (MP Cotton Business and Factory)

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