भोपाल। बीजेपी आदिवासियों का खोया हुआ जनाधार फिर से वापस लाना चाहती है. इसकी तैयारियां भी पार्टी ने आने वाले विधानसभा चुनावों के पहले ही कर ली है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने झाबुआ में अनुसूचित जनजाति प्रदेश कार्यसमिति की बैठक ली. झाबुआ में हुई एसटी मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आगामी रणनीति बनाई गई. इसके अलावा आदिवासी इलाकों के लिए विशेष कार्ययोजना की रणनीति भी बनाई गई है. इसमें सत्ता की योजनाओं का सौ प्रतिशत लाभ दिलाने के लिए कार्यकर्ताओं को एक्टिव किया गया. बकायदा ऐप के जरिए डाटा भी इकट्ठा किया जा रहा है. (mp mission 2023 mp) (mp assembly election 2023) (mp eyes of ruling party on reserved seats) (bjp worried about tribal organizations)
झाबुआ से लगे धार पर भी पार्टी का फोकसः नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में आदिवासियों का झुकाव बीजेपी की तरफ बढ़ा है. आदिवासियों के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया, वालसिंह मेड़ा और वीरसिंह भूरिया कांग्रेस से हैं, लेकिन बावजूद इसके यहां की एक नगर पालिका और 3 नगर परिषदों में भाजपा अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब हुई. (mp mission 2023 mp) (mp assembly election 2023) (mp eyes of ruling party on reserved seats)
बीजेपी को आदिवासी संगठनों से चिंताः बीजेपी की इसी महीने अक्टूबर की बैठक में उन क्षेत्रों पर व्यापक चर्चा हुई जहां पार्टी कमजोर है.जहां क्षेत्रीय संगठन जैसे कि जयस, भीम आर्मी और एसडीपीआई भाजपा के वोटों में कटौती कर सकते हैं. पार्टी में इस पर चर्चा हुई कि कैसे क्षेत्रीय संगठन राज्य की राजनीति में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं. यह संगठन विभिन्न क्षेत्रों में एससी वोट को विभाजित कर सकता है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक संगठन के बड़े नेता जो इन क्षेत्रों में अपना वर्चस्व रखते हैं उन्हें पूरी तरह से सक्रिय रहने को कहा गया हैं. ऐसे संगठनों की रिपोर्ट पार्टी स्तर पर हर हफ्ते देनी होगी. जिससे पार्टी समीक्षा कर सके.साथ ही नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि लाभार्थी राज्य व केंद्र सरकारों द्वारा उनके लिए शुरू की गई योजनाओं से पूरी तरह अवगत रहें. (bjp worried about tribal organizations) (mp mission 2023 mp) (mp assembly election 2023)
आरक्षित सीटों पर सत्ताधारी दल की नजरः मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले आदिवासी वोट बैंक पर भारतीय जनता पार्टी की नजरें टिकी हैं. आदिवासियों के पक्ष में द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाने के मास्टर स्ट्रोक के साथ ही भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को तेज कर दिया है. मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के दिमाग में एक चिंता का विषय आदिवासी और पिछड़ा वोट है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने एक अक्टूबर को आयोजित एक बैठक में यह मुद्दा उठाया था. जिसके बाद हाल के स्थानीय निकाय चुनाव परिणामों का आकलन करते हुए राज्य भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पांच जिला प्रमुखों को बदला था. (mp eyes of ruling party on reserved seats) (mp mission 2023 mp) (mp assembly election 2023)
कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए निकाली थी अधिकार यात्राः पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वर्षाकालीन विधानसभा सत्र के दौरान भी विश्व आदिवासी दिवस के मुद्दे को जमकर में उठाया. बड़वानी में कांग्रेस ने आदिवासी अधिकार यात्रा भी निकाली. इसके बहाने कांग्रेस बड़वानी और उससे लगे आधा दर्जन से ज्यादा जिलों को अपनी ओर करने की कोशिश में जुटी हुई है. (mp mission 2023 mp) (mp assembly election 2023)
बीजेपी ने नौकरी और सौगात देने का एलान कियाः वहीं सीएम शिवराज सिंह ने आदिवासियों के लिए एक लाख नौकरियां निकालने का एलान किया. इस पंचायत में 51 जनजातियों को बुलाया गया था. सीएम ने 31 अगस्त को जनजातियों के विमुक्ति दिवस के रूप में मनाए जाने का एलान किया. सीएम शिवराज ने 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाने की भी घोषणा की और सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया. प्रदेश में बीजेपी आदिवासी वोट पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है. जिसे 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के खिलाफ देखा गया था. बीजेपी ने 2018 में प्रदेश की 82 आरक्षित एससी/एसटी सीटों में से केवल 34 पर जीत हासिल की थी. जबकि 2013 में यह 59 थी. साल 2021 में पार्टी ने एक व्यापक जनजातीय पहुंच कार्यक्रम शुरू किया था. प्रदेश में 90 से 100 सीटों पर आदिवासी वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाता है. (mp mission 2023 mp) (mp assembly election 2023) (mp eyes of ruling party on reserved seats) (bjp worried about tribal organizations)