भोपाल। एमपी के चुनाव में अभी तक पार्टियों के बागी ही अपने तेवर दिखा रहे थे. लेकिन अब अपने नेताओं की अनदेखी से समाज भी पार्टियों पर आंखे तरेरते मैदान में आ रहे हैं. 2003 से बीजेपी के सबसे मजबूत वोट बैंक रहे लोधी समाज उमा भारती के अपमान का बदला बीजेपी से लेने जा रहा है. इस समाज ने 20 साल लंबे मजबूत साथ के बाद बीजेपी से बगावत का फैसला कर लिया है. जिस समय राजनीतिक दल मुद्दे गिनाते वोट की मांग रहे हैं. तब एक समाज अपने लोगों को वजह गिनाते हुए ये अपील कर रहा है कि बीजेपी को वोट क्यों नहीं करना है.
उमा की अनदेखी तो बीजेपी से बगावत: लोधी समाज बीजेपी के सबसे मजबूत वोट बैंक में अब तक गिना जाता रहा है. ये पहला विधानसभा चुनाव होगा जब लोधी समाज ने बीजेपी को हराने का अभियान छेड़ा है और बीजेपी को वोट न देने की अपील की है. वजह क्या है इस सवाल पर लोधी समाज के प्रदेशाध्यक्ष महेश नरवरिया कहते हैं ''हमारी नेता की बीजेपी ने उपेक्षा की है. उमा दीदी हमारी नेता हैं, उन्हें पूरे चुनाव से अलग रखा गया. यहां तक की स्टार प्रचारकों की सूची में भी उनका नाम नहीं है. जिन्होंने सरकार बनाई थी, 2003 में सत्ता पलट किया. 2023 में बीजेपी उस नेता को ही भूल गई. ये अभी से नहीं बीस साल से चला आ रहा है कि उमा दीदी के साथ लगातार बीजेपी ऐसे ही भेदभाव का बर्ताव करती आई है. इसी वजह से हमने तय किया है कि इस चुनाव में बीजेपी का बहिष्कार करेंगे. हमने बाकायदा अपील तैयार की है कि बीजेपी को वोट क्यों नहीं करना है. ये पूरे मुद्दे उसमें लिखे हैं.''
लोधी समाज को छोड़ के सबकी चिंता: महेश नरवरिया कहते हैं ''कई समाजों की पंचायतें बुलाई गईं. उनकी मांगों पर विचार किया गया. बोर्ड के गठन हुए लेकिन लोधी समाज को ये कोई मौका नहीं मिला. ये बीजेपी का दोहरा रवैया नहीं है क्या. जिस समाज ने हमेशा आगे बढ़कर बीजेपी को सत्ता दिलाई उसके साथ ये बर्ताव है तो समाज भी क्यों साथ खड़ा होगा.''
लोधी समाज के नेताओं का सियासी इस्तेमाल: लोधी नेता नरवरिया कहते हैं ''मंत्रिमण्डल विस्तार किया, लोधी समाज के नेता को मौका दिया. लेकिन कितने दिन की सत्ता मिली दो महीने की भी नहीं. ऐसे ही समाज का बीजेपी इस्तेमाल करती है. उमा दीदी खुद ये कह चुकी हैं कि जब जरुरत होती है तभी उनके और कल्याण सिंह के फोटो दिखाए जाते हैं, फिर नहीं. उमा दीदी ने कहा है कि मैं तो पार्टी से बंधी हूं. लेकिन आप लोग अब बाध्य नहीं हो. जो आपकी बात सुने उसे वोट करना, अब हम यही कर रहे हैं.''
लोधी वोट में है कितना दम: एमपी में लोधी समाज का मजबूत वोट बैंक है. प्रदेश में करीब नौ प्रतिशत के लोधी वोट हैं और विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो करीब 65 विधानसभाओं में ये समाज जीत हार तय करता है. इनमें ज्यादातर सीटें बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल इलाके की हैं. लोकसभा सीटों की बात करें तो 29 में से 13 लोकसभा सीटों पर लोधी वोटर निर्णायक है.