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एक्शन में MP मानवाधिकार आयोग, भोपाल की बड़ी घटनाओं पर जिम्मेदारों से मांगे जवाब

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Published : Apr 17, 2023, 7:48 PM IST

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी राजधानी में चल रहे अलग-अलग घटनाओं को लेकर लगातार ऐक्शन में नजर आ रहे हैं. भोपाल के आदमपुर छावनी में बिना बिजली-पानी नगर निगम ने 70 परिवारों को किया विस्थापित सहित राजधानी के ही 7 मामलों में जिम्मेदारों से जवाब मांगे हैं.

MP Human Rights Commission
एमपी मानव अधिकार आयोग

भोपाल। राजधानी सहित मध्य प्रदेश में घटित हो रही घटनाओं को लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग लगातार जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांग रहा है और साथ ही मानव अधिकार आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों और बताई गई कार्रवाई पर किस प्रकार कितना काम किया जा रहा है इस पर भी नजर रख रही है. मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सोमवार को राजधानी के ही सात मामलों में संज्ञान लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से समय सीमा के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.

70 परिवारों का विस्थापन: भोपाल शहर की आदमपुर छावनी में स्थित लेंडफिल साईट के पास नगर निगम द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत 70 मकानों का निर्माण किया गया है. मकानों की गुणवत्ता बेहद खराब है. इनकी दीवारों में दरारे आ गई हैं. वहीं बिना बिजली और पानी व्यवस्था किये निगम द्वारा यहां हितग्राहियों को शिफ्ट कर देने से उन्हें मूलभूत सुविधायें भी नहीं मिल पा रही हैं. पीने का पानी आधा किमी दूर से लाना पड़ रहा है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

भोपाल शहर की आदमपुर छावनी में स्थित कचरा खंती में नगर निगम द्वारा रोजाना दर्जनों की संख्या में मृत गोवंश को फेंका जा रहा है. मृत मवेशियों के शव अब सड़ने लगे है, जिन्हें कुत्ते और कौए दिनभर नोचते-खसोटते रहते हैं. कचरा खंती की दुर्गंध से आस-पास के एक दर्जन गावों में लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. क्योंकि मृत मवेशियों के शवों और कचरे के निपटान में नगर निगम के कर्मचारी भारी लापरवाही बरत रहे हैं. एमपी मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

राजधानी में खुले चैंबर: भोपाल शहर के वार्ड नं. 40 में ऐशबाग स्थित चाणक्यपुरी मार्ग में नाली के चैंबर का ढक्कन ही गायब है. इससे कई वाहन चालक और राहगीर दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं. पुराना भोपाल, सिंधी मार्केट, संत हिरदाराम नगर, न्यू मार्केट, कोलार रोड़ सहित शहर के कई इलाकों में नालियों के चैंबर खुले पड़े है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में स्पष्ट जवाब मांगा है.

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सामाजिक न्याय विभाग में फंसे मामले: भोपाल शहर में बीते 18 मार्च को हुए सामूहिक विवाह सम्मेलन में कुल 172 जोड़ों की शादी हुई, पर दुल्हनों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि उन्हें अभी तक नहीं मिली, क्योंकि यह राशि नगर निगम, भोपाल और सामाजिक न्याय विभाग के बीच रस्साकशी में फंस गई है. नगर निगम का कहना है कि हमने सामाजिक न्याय विभाग को लिस्ट बनाकर दे दी है. उनकी तरफ से राशि मिलते ही हम दुल्हनों को दे देंगे. जबकि सामाजिक न्याय विभाग का दावा है कि उन्होंने नगर निगम को राशि दे दी है, उन्होंने अबतक क्यों नहीं बांटी यह वे ही जाने. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर संचालक, सामाजिक न्याय विभाग, मप्र शासन, भोपाल एवं कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से उपरोक्त 172 प्रकरणों में दुल्हनों को देय भुगतान की कार्रवाई सुनिश्चित कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

अहाते बंद होने पर वाॅइन शाॅप में शराबियों का डेरा: प्रदेश में अहाते बंद होने का असर नजर आने लगा है. भोपाल शहर में अब शराबी लोग कलारी से शराब लेकर आस-पास की दुकानों में खड़े होकर ही शराब पी रहे हैं. यहां तक कि शराब की दुकानों में ही छोटे-छोटे अहाते बनाकर अपना व्यवसाय किया जा रहा है. पुलिस का कहना है कि खुले में शराब पीने वालों पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर पुलिस कमिश्नर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के बारे में पंद्रह दिन में जवाब मांगा है. आयोग ने पुलिस कमिश्नर से कहा है कि ऐसी शराब की दुकानों के पास पीने की व्यवस्था संबंधी सुविधाओं के विरूद्ध भी कार्रवाई सुनिश्चित करें, जिससे खुले स्थान पर ऐसे कार्यों से सामाजिक शांति व्यवस्था प्रभावित न हो सके.

ट्रैफिक सिग्नल बेमतलब: भोपाल शहर के उपनगर संतनगर के मेन रोड पर लगे ट्रैफिक सिग्नल बेमतलब लगे हैं. न तो इन सिग्नल्स का कोई पालन करता है, न ही निगरानी. सिग्नल्स का पालन न करने वालों पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती. चैराहे पर पुलिस की मौजूदगी भी तमाशबीन की तरह होती है. इससे वाहन चैराहों से बचते-बचाते निकलते हैं। यहां हमेशा एक्सीडेंट की आशंका बनी रहती है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर एडिशनल पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के बारे में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

जर्जर भवन में पंजीयक कार्यालय: भोपाल शहर के शाहजहांनाबाद इलाके के परी बाजार स्थित पंजीयन कार्यालय में आने वाले लोगों को बुनियादी सुविधायें तक नसीब नहीं है. पहली बार यहां आने वालों को पहले तो यह दफ्तर ढूंढना पड़ता है. यदि कोई यहां पहुंच भी गया, तो भरोसा नहीं होता कि यह रजिस्ट्री आफिस है. यहां आगंतुकों के लिए न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही यहां पब्लिक टाॅयलेट है. इस दड़बेनुमा आफिस में जहां-तहां गंदगी पसरी है. कुर्सियां और सीढ़ियां गंदी पड़ी हैं. यहां पार्किंग व्यवस्था भी नहीं है, लोग खुले में गाड़ी खड़ी करते है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कलेक्टर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई, पीने के पानी की समुचित व्यवस्था एवं टाॅयलेट की व्यवस्था से संबंधित फोटोग्राफ्स सहित पंद्रह दिन में स्पष्ट जवाब मांगा है.

भोपाल। राजधानी सहित मध्य प्रदेश में घटित हो रही घटनाओं को लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग लगातार जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांग रहा है और साथ ही मानव अधिकार आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों और बताई गई कार्रवाई पर किस प्रकार कितना काम किया जा रहा है इस पर भी नजर रख रही है. मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सोमवार को राजधानी के ही सात मामलों में संज्ञान लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से समय सीमा के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.

70 परिवारों का विस्थापन: भोपाल शहर की आदमपुर छावनी में स्थित लेंडफिल साईट के पास नगर निगम द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत 70 मकानों का निर्माण किया गया है. मकानों की गुणवत्ता बेहद खराब है. इनकी दीवारों में दरारे आ गई हैं. वहीं बिना बिजली और पानी व्यवस्था किये निगम द्वारा यहां हितग्राहियों को शिफ्ट कर देने से उन्हें मूलभूत सुविधायें भी नहीं मिल पा रही हैं. पीने का पानी आधा किमी दूर से लाना पड़ रहा है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

भोपाल शहर की आदमपुर छावनी में स्थित कचरा खंती में नगर निगम द्वारा रोजाना दर्जनों की संख्या में मृत गोवंश को फेंका जा रहा है. मृत मवेशियों के शव अब सड़ने लगे है, जिन्हें कुत्ते और कौए दिनभर नोचते-खसोटते रहते हैं. कचरा खंती की दुर्गंध से आस-पास के एक दर्जन गावों में लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. क्योंकि मृत मवेशियों के शवों और कचरे के निपटान में नगर निगम के कर्मचारी भारी लापरवाही बरत रहे हैं. एमपी मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

राजधानी में खुले चैंबर: भोपाल शहर के वार्ड नं. 40 में ऐशबाग स्थित चाणक्यपुरी मार्ग में नाली के चैंबर का ढक्कन ही गायब है. इससे कई वाहन चालक और राहगीर दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं. पुराना भोपाल, सिंधी मार्केट, संत हिरदाराम नगर, न्यू मार्केट, कोलार रोड़ सहित शहर के कई इलाकों में नालियों के चैंबर खुले पड़े है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में स्पष्ट जवाब मांगा है.

मानव अधिकार आयोग से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें

सामाजिक न्याय विभाग में फंसे मामले: भोपाल शहर में बीते 18 मार्च को हुए सामूहिक विवाह सम्मेलन में कुल 172 जोड़ों की शादी हुई, पर दुल्हनों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि उन्हें अभी तक नहीं मिली, क्योंकि यह राशि नगर निगम, भोपाल और सामाजिक न्याय विभाग के बीच रस्साकशी में फंस गई है. नगर निगम का कहना है कि हमने सामाजिक न्याय विभाग को लिस्ट बनाकर दे दी है. उनकी तरफ से राशि मिलते ही हम दुल्हनों को दे देंगे. जबकि सामाजिक न्याय विभाग का दावा है कि उन्होंने नगर निगम को राशि दे दी है, उन्होंने अबतक क्यों नहीं बांटी यह वे ही जाने. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर संचालक, सामाजिक न्याय विभाग, मप्र शासन, भोपाल एवं कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से उपरोक्त 172 प्रकरणों में दुल्हनों को देय भुगतान की कार्रवाई सुनिश्चित कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

अहाते बंद होने पर वाॅइन शाॅप में शराबियों का डेरा: प्रदेश में अहाते बंद होने का असर नजर आने लगा है. भोपाल शहर में अब शराबी लोग कलारी से शराब लेकर आस-पास की दुकानों में खड़े होकर ही शराब पी रहे हैं. यहां तक कि शराब की दुकानों में ही छोटे-छोटे अहाते बनाकर अपना व्यवसाय किया जा रहा है. पुलिस का कहना है कि खुले में शराब पीने वालों पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर पुलिस कमिश्नर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के बारे में पंद्रह दिन में जवाब मांगा है. आयोग ने पुलिस कमिश्नर से कहा है कि ऐसी शराब की दुकानों के पास पीने की व्यवस्था संबंधी सुविधाओं के विरूद्ध भी कार्रवाई सुनिश्चित करें, जिससे खुले स्थान पर ऐसे कार्यों से सामाजिक शांति व्यवस्था प्रभावित न हो सके.

ट्रैफिक सिग्नल बेमतलब: भोपाल शहर के उपनगर संतनगर के मेन रोड पर लगे ट्रैफिक सिग्नल बेमतलब लगे हैं. न तो इन सिग्नल्स का कोई पालन करता है, न ही निगरानी. सिग्नल्स का पालन न करने वालों पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती. चैराहे पर पुलिस की मौजूदगी भी तमाशबीन की तरह होती है. इससे वाहन चैराहों से बचते-बचाते निकलते हैं। यहां हमेशा एक्सीडेंट की आशंका बनी रहती है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर एडिशनल पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के बारे में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

जर्जर भवन में पंजीयक कार्यालय: भोपाल शहर के शाहजहांनाबाद इलाके के परी बाजार स्थित पंजीयन कार्यालय में आने वाले लोगों को बुनियादी सुविधायें तक नसीब नहीं है. पहली बार यहां आने वालों को पहले तो यह दफ्तर ढूंढना पड़ता है. यदि कोई यहां पहुंच भी गया, तो भरोसा नहीं होता कि यह रजिस्ट्री आफिस है. यहां आगंतुकों के लिए न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही यहां पब्लिक टाॅयलेट है. इस दड़बेनुमा आफिस में जहां-तहां गंदगी पसरी है. कुर्सियां और सीढ़ियां गंदी पड़ी हैं. यहां पार्किंग व्यवस्था भी नहीं है, लोग खुले में गाड़ी खड़ी करते है. मप्र मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कलेक्टर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई, पीने के पानी की समुचित व्यवस्था एवं टाॅयलेट की व्यवस्था से संबंधित फोटोग्राफ्स सहित पंद्रह दिन में स्पष्ट जवाब मांगा है.

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