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MP High Court Order: कलेक्टर का आदेश खारिज, याचिकाकर्ता को 50 लाख रूपये प्रदान किए जाने का आदेश जारी, जानें क्या है मामला

मुख्यमंत्री कोविड 19 योद्धा कल्याण योजना (CM Kovid 19 Warrior Welfare Scheme) में आंगनवाड़ी सहायिकों को शामिल किया गया था. योजना के तहत कोविड 19 में कर्तव्यों का पालन करते हुए या दुर्घटना में मौत पर 50 लाख का मुआवजा दिए जाने के प्रावधान था. लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला प्रोग्राम अधिकारी तथा जिला कलेक्टर बड़वानी ने आवेदन को खारिज कर दिया था. मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कलेक्टर के आदेश को खारिज करके याचिकाकर्ता लक्ष्मी (20) को 30 दिन के भीतर 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने का आदेश जारी किए हैं.

MP High Court Order
एमपी हाई कोर्ट जबलपुर
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Published : Nov 13, 2022, 10:18 PM IST

जबलपुर। मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का आवेदन खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर (High Court petition filed) की गई थी. हाई कोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने माना कि, नॉन मेडिको लीगल मामले में एफआईआर और पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है. अब एकलपीठ द्वारा याचिकाकर्ता को योजना के तहत 30 दिनों में 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने का आदेश जारी किए गए हैं

50 लाख के मुआवजे का आदेश: याचिकाकर्ता लक्ष्मी (20) की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि, उसकी मां दुर्गा आंगनवाडी में सहायिका थी. करोना काल में वह पोषण आहार वितरित करने जा रही थी. उसकी मां करोना कर्तव्यों का पालन करते समय 5 अप्रैल 2020 को गिरकर घायल हो गई थी. डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के कारण 24 अप्रैल 2020 को मौत हो गई थी. युगलपीठ ने जिला प्रोग्राम अधिकारी व जिला कलेक्टर के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को योजना के तहत 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने के आदेए दिए हैं

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कलेक्टर का आदेश खारिज: योजना के तहत मुआवजा दिए जाने के प्रावधान के लिए उसने आवेदन किया था. महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला प्रोग्राम अधिकारी तथा जिला कलेक्टर बड़वानी ने उसके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि, योजना के तहत एफआईआर व पोस्टमॉर्टम के दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि, महिला दुर्घटना में घायल हुई थी. उपचार के दौरान उसकी 24 दिन बाद मौत हो गई. नॉन मेडिको लीगल मामले में एफआईआर व पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है.

जबलपुर। मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का आवेदन खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर (High Court petition filed) की गई थी. हाई कोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने माना कि, नॉन मेडिको लीगल मामले में एफआईआर और पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है. अब एकलपीठ द्वारा याचिकाकर्ता को योजना के तहत 30 दिनों में 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने का आदेश जारी किए गए हैं

50 लाख के मुआवजे का आदेश: याचिकाकर्ता लक्ष्मी (20) की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि, उसकी मां दुर्गा आंगनवाडी में सहायिका थी. करोना काल में वह पोषण आहार वितरित करने जा रही थी. उसकी मां करोना कर्तव्यों का पालन करते समय 5 अप्रैल 2020 को गिरकर घायल हो गई थी. डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के कारण 24 अप्रैल 2020 को मौत हो गई थी. युगलपीठ ने जिला प्रोग्राम अधिकारी व जिला कलेक्टर के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को योजना के तहत 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने के आदेए दिए हैं

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कलेक्टर का आदेश खारिज: योजना के तहत मुआवजा दिए जाने के प्रावधान के लिए उसने आवेदन किया था. महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला प्रोग्राम अधिकारी तथा जिला कलेक्टर बड़वानी ने उसके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि, योजना के तहत एफआईआर व पोस्टमॉर्टम के दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि, महिला दुर्घटना में घायल हुई थी. उपचार के दौरान उसकी 24 दिन बाद मौत हो गई. नॉन मेडिको लीगल मामले में एफआईआर व पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है.

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