भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी कोरोना संक्रमण भारी पड़ा है. कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए प्रदेश सरकार पिछले ढाई महीने में 2250 करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से उठा चुकी है. मौजूदा स्थिति में केंद्र से भी प्रदेश को अतिरिक्त मदद नहीं मिल पा रही है. वहीं मध्य प्रदेश के खजाने में भी राजस्व नहीं आ रहा है. पिछली सरकार ने भी 16 हजार 800 करोड़ रुपए का लोन लिया था. प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को निशाने पर लिया है.
मध्य प्रदेश सरकार पर कितना है कर्ज
प्रदेश सरकार पर एक लाख 80 हजार 988 करोड़ रुपए का कर्जा है. प्रदेश सरकार ने 9 जून को 500 करोड़ रुपए बाजार से कर्ज लिया है. इसके पहले 28 मई को 500 करोड़ रुपए का सरकार ने लोन लिया था. वहीं 1 अप्रैल को 500 करोड़ रुपए का लोन ढाई साल के लिए बाजार से लिया है. इसके अलावा 26 मार्च को 750 करोड़ रुपए रुपए का सरकार ने कर्जा लिया है. वहीं अब प्रदेश सरकार 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी कर रही है. प्रदेश की पूर्व कमलनाथ सरकार ने भी अपने 14 माह के कार्यकाल में 16 हजार 800 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. कोरोना संक्रमण की वजह से केंद्र ने मध्य प्रदेश की कर्ज की सीमा को बढ़ाकर 3 से 5 फीसदी कर दिया है. अर्थात अब कर्ज राज्य की जीडीपी के पांच फीसदी तक लिया जा सकेगा. जहिर है कि आर्थिक संसाधनों को पूरा करने के लिए सरकार और कर्ज लेगी.
मानसून सत्र में पेश होगा बजट
मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. 5 दिन के विधानसभा सत्र के दौरान शिवराज सरकार अपना पहला बजट पेश करेगी. सत्र के दौरान महत्वपूर्ण विधि विषयक और वित्तीय कार्य संपादित किए जाएंगे. 15वीं विधानसभा का यह सातवां सत्र होगा.
कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश की वित्तीय व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए गए थे, लेकिन शिवराज सरकार के प्रदेश की सत्ता में आते ही अव्यवस्था की स्थिति देखी जा रही है. सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाते हुए जनता की जेब पर बोझ बढ़ाया है. प्रदेश सरकार कोरोना के नाम पर कर्ज ले रही है, लेकिन इस मामले में भी प्रदेश की स्थिति अच्छी नहीं है.