भोपाल। सरकार के तमाम दावों और सख्ती के बाद भी प्रदेश की हाउसिंग सोसायटियों में गड़बड़ियों पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकी है. अब इन गड़बड़ियों को रोकने के लिए तीन बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी संस्था ने हाउसिंग सोसायटियों के चुनाव के दौरान सदस्यों की सूची के साथ उनके आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. साथ ही सोसायटी की ऑडिट रिपोर्ट भी बुलाई जा रही है. साथ ही बड़ी और विवादित सोसायटियों के चुनाव एसडीएम स्तर के अधिकारी की देखरेख में करने की निर्णय लिया गया है. (MP government housing society plan) (plot sale fraud Bhopal) (mp housing societies fraud )
तीन उपायों से गड़बड़ियां रोकने की कोशिश: मध्यप्रदेश में करीबन 4 हजार हाउसिंग सोसायटियां संचालित है. बताया जाता है कि इनमें से करीबन आधी सोसायटियों में किसी न किसी तरह के विवाद चल रहे हैं. स्थिति यह है कि कई हाउसिंग सोसायटियों में लोगों ने अपनी मेहनत का पैसा तो लगाया, लेकिन उन्हें सालों बाद भी प्लॉट नसीब नहीं हो सका. इनके स्थान पर अपात्रों को प्लॉट दे दिए गए. ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए अब मध्यप्रदेश राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी संस्था द्वारा तीन कदम उठाए गए हैं. (housing rules in madhya pradesh) ((mp housing societies fraud ))
- हाउसिंग सोसायटी के चुनाव के भेजे जाने वाले प्रस्ताव के साथ सदस्यों की सूची में पूरा पता, मोबाइल नंबर के साथ अब आधार कार्ड को भी अनिवार्य कर दिया गया है.
- चुनाव के दौरान भेजे जाने वाले प्रस्ताव के साथ सोसायटी की ऑडिट रिपोर्ट भी भेजना अनिवार्य कर दिया गया है. इससे सोसायटी में होने वाली गड़बड़ियों के बारे में पता लगाना आसान होगा.
- प्रदेश की विवादित और बड़ी हाउसिंग सोसायटियों के चुनाव में गड़बड़ियों को रोकने लिए एसडीएम और तहसीलदारों की मदद ली जाएगी. इसको लेकर संबंधित जिलों के कलेक्टरों से चर्चा की जा चुकी है. आचार संहित हटने के बाद होने वाले हाउसिंग सोसायटियों के चुनाव एसडीएम और तहसीलदार की निगरानी में ही होंगे.
सोशल मीडिया की ली जा रही मदद: सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी कार्यालय के संज्ञान में आया है कि अधिकांश हाउसिंग सोसायटी के चुनावों में समिति का संचालक मंडल सभी सदस्यों के सूचना ही नहीं देता. ऐसे में संचालक मंडल अपनी पसंद के लोगों का निर्वाचन करा लेता है और फिर प्लॉट के विक्रय में बंदरबांट की जाती है. इसको देखते हुए प्राधिकारी कार्यालय ने सभी 52 जिलों में सोषल मीडिया से संस्थाओं के चुनावों की जानकारी दी जा रही है. राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एमबी ओझा के मुताबिक गृह निर्माण सहकारी समितियों में स्वच्छ इलेक्शन कराने के लिए तहसीलदार और एसडीएम की मदद ली जाएगी. साथ ही सोसायटियों के चुनाव की सभी सदस्यों तक सूचना भेजने के उपाए भी किए जा रहे हैं. सदस्यों तक पूरी जानकारी पहुंच जाए तो गडबड़ियों में बड़ी कमी आ सकती है.